बांबे हाईकोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से यह सूचित करने को कहा कि वह लोकल ट्रेन में बिना टीकाकरण वाले लोगों को यात्रा करने से प्रतिबंधित करने के दौरान की मुंबई की कोविड परिस्थितियों और मौजूदा परिदृश्य में इस प्रतिबंध के औचित्य के बारे में बताए, जहां अब संक्रमण के मामलों में काफी कमी दर्ज की गई है।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की पीठ ने कहा कि मौजूदा समय में कोरोना वायरस संक्रमण की दर उतनी अधिक नहीं है, जितनी यह 2020 और 2021 में थी। पीठ ने कहा कि क्या अब भी राज्य सरकार को लगता है कि मौजूदा समय के हालात के मद्देनजर मुंबई में लोकल ट्रेन और अन्य सार्वजनिक परिवहन माध्यमों में समान प्रतिबंधों को बरकरार रखे जाने की जरूरत है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ” आपको (महाराष्ट्र सरकार) हमें यह सूचित करना होगा कि जब प्रतिबंध लगाए गए, तब क्या हालात थे और क्या ये आज भी उचित हैं या नहीं?” अदालत उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बिना टीकाकरण कराने वाले लोगों को मुंबई में लोकल ट्रेन और अन्य सार्वजनिक परिवहन माध्यमों में यात्रा करने पर रोक लगाने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है। वहीं, जनहित याचिका पर जवाब देते हुए महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर करके कहा कि विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर प्रतिबंध लगाए गए थे।
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