वैसे तो महा विकास आघाडी के नेता उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की आलोचना करने का कोई मौका नहीं छोडते। पर बुधवार को विधानसभा में सरकार ने माना कि लड़कियों की संख्या बढ़ाने के लिए यूपी सरकार की कन्या विवाह योजना अच्छी है। इस योजना को महाराष्ट्र में भी अपनाया जाएगा। राज्य सरकार उन राज्यों की नीतियों का अध्ययन करेगी जहां लड़कों के मुकाबले लड़कियों का औसत ज्यादा है। साथ ही राज्य सरकार उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बेटियों की शादी के लिए आर्थिक मदद देने पर भी विचार करेगी। बेटियों के पैदा होने पर आर्थिक मदद देने पर भी विचार किया जाएगा। बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने विधानसभा में यह जानकारी दी।
सदन में शिवसेना के तानाजी सावंत, भाजपा की भारती लवेकर, हरिभाऊ बागडे, कांग्रेस के नाना पटोले आदि सदस्यों के सवाल के जवाब में मंत्री टोपे ने बताया कि 2016 में राज्य में एक हजार लड़कों के मुकाबले 874 लड़कियां थीं जो साल 2019 तक प्रतिहजार बढ़कर 913 तक पहुंच गईं हैं। इसे एक हजार लड़कों पर एक हजार लड़कियों की आदर्श स्थिति तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि पीसीपीएनडीटी कानून पर कड़ाई से अमल किया जा रहा है।
एक-एक बेटियों के पिता हैं फडणवीस-पवार
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि 20 जनवरी से 28 फरवरी के बीच स्टेट सुपरवाइजरी बोर्ड ने 10372 सोनोग्राफी सेंटरों की जांच की है। गड़बड़ी मिलने के बाद 181 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। तीन मशीने सील की गई हैं। 5927 एमटीपी की भी जांच की गई है जिनमें से 73 को अनियमितता सामने आने पर नोटिस दिया गया है। 15 सेंटर बंद कर दिए गए हैं। साथ ही टोपे ने कहा कि मानसिकता, खर्च और पुरुष प्रधान समाज के चलते ज्यादा समस्या है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एक बच्चे के जन्म के बाद दूसरा बच्चा क्यों चाहिए। शरद पवार और देवेंद्र फडणवीस की एक-एक बेटियां हैं और वे खुश हैं।
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