रूस-यूक्रेन युद्ध को लगभग डेढ़ महीने से ज्यादा हो गया है। दोनों देशों के बीच जारी युद्ध फ़िलहाल थमता नहीं दिख रहा है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि इस युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ रही है। पेट्रोलियम की बढ़ी कीमतों ने सबको परेशान कर दिया है। इसी के साथ एक और भी संकट है, जो इस युद्ध के कारण मंडरा रहा है। वह है खाद्य संकट।
यूनाइटेड नेशंस के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के प्रमुख डेविड बेसली ने चेतावनी दी थी कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण द्वितीय विश्व युद्ध के जैसा खाद्य संकट पैदा हो सकता है। खाद्यान्न की कीमतें बढ़ रही हैं। रूस व यूक्रेन से आयात पर निर्भर कई देशों में खाद्यान्न की कमी भी हो सकती है।
संयुक्त राष्ट्र के फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन (एफएओ) के मुताबिक, 2016 से 2020 के बीच गेहूं, जौ और मक्का के वैश्विक निर्यात में रूस व यूक्रेन की संयुक्त हिस्सेदारी क्रमश: 27, 23 और 15 प्रतिशत थी। यहां तक कि वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के तहत करीब आधा अनाज रूस-यूक्रेन से ही आता है। कोरोना महामारी के कारण पहले से ही संकटग्रस्त दुनिया पर यह युद्ध किसी आपदा जैसा दुष्प्रभाव डाल सकता है।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का आज 50वां दिन है। यूक्रेन ने दावा किया है कि रूसी सैनिकों के हमले में कम से कम 197 बच्चे मारे गए हैं। जानकारी के अनुसार, युद्ध शुरु होने के बाद से अब तक 197 बच्चों की जान गई है। 351 से अधिक बच्चे घायल हुए हैं। बता दें कि रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर युद्ध का एलान किया था। युद्ध के कारण यूक्रेन से लाखों लोग अपने देश को छोड़ चुके हैं। इनमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं।
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