भारतीय विद्या भवन के जिस एम्फ़ी थिएटर में पंडित बिरजु महाराज जैसे प्रख्यात कलाकारों ने प्रस्तुति दी थी उसे भवन द्वारा अचानक तोड़े जाने से नाराज़ कलाकारों ने आज महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से मुलाक़ात की और इस पर अपनी गहरी आपत्ति जताई।मुंबई उपनगर के अंधेरी पश्चिम में भवंस कॉलेज परिसर स्थित झील के किनारे बने इस भव्य एम्फ़ी थिएटर का नाम प्राणगंगा रखा गया था।लगभग दो करोड़ की लागत से बने कलाकारों के इस अत्यंत प्रिय प्राणगंगा को तोड़े जाने से नाराज़ कलाकारों ने महाराष्ट्र फ़िल्म,रंगभूमि व सांस्कृतिक विकास महामंडल के पूर्व उपाध्यक्ष अमरजीत मिश्र के नेतृत्व में राज्यपाल के पास इस मामले में हस्तक्षेप कर तत्काल एंफी थिएटर शुरू कराने की गुहार लगाई।
श्री मिश्र ने राज्यपाल को बताया कि मुंबई उपनगर में लगातार कम होते ओपन स्पेस चिंता का कारण है और तिस पर यदि कोई सांस्कृतिक व सामाजिक संस्था अपने दायित्वों का ठीक ढंग से निर्वहन न कर रही हो,जनता के पैसे का दुरुपयोग कर रही हो तो चेरिटी कमिश्नर इस के ख़िलाफ़ कार्रवाई करें। पद्मश्री शेखर सेन ने कहा कि देश के श्रेष्ठतम कलाकारों ने प्राण गंगा इज स्टेट ऑफ आर्ट थिएटर में अपनी प्रस्तुतियां दी हैं । अनेकानेक संगीत नृत्य नाटक व लोककलाओं के समारोह यहां सम्पन्न हुए हैं। इस वास्तु पुनर्निर्माण कर कुछ स्वार्थी तत्वों के द्वारा निष्पादित भूल का सुधार किया जाए, यही अपील है । प्रख्यात उद्घोषक हरीश भिमाणी ने प्राणगंगा तोड़े जाने का की मंशा को कमर्शियल बताया।
उल्लेखनीय है कि संविधान सभा के सदस्य रहे महान शिक्षाविद, इतिहासकार एवं जागरूक संस्कृतिपुरुष कन्हैयालाल मुंशी ने भारतीय विद्या भवन की स्थापना की थी । जिसके अंतर्गत गठित भवंस कल्चरल संस्था की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य भारतीय, संस्कृति, गीत-संगीत, नृत्य, साहित्य व रंगकर्म को बढ़ावा देना था। मुंबई के उपनगर अंधेरी पश्चिम में संस्था के अनेक कॉलेज व थिएटर ,सभागृह के साथ ही समृद्ध परिसर है। अभी कुछ समय पहले ही संस्था ने परिसर में स्थित झील के पास ही एक एम्फी थिएटर प्राण गंगा का निर्माण किया था। अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस परफार्मिंग स्पेस को बिना किसी तार्किक कारण के तोड़ कर इमारत बनाने की योजना है। जैसा कि विदित ही है कि मुंशी जी की मंशा थी कि भारतीय संस्कृति और रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए भवंस काम करे। ऐसे में अभी अभी बनाया गया थिएटर तोड़कर इमारत बनाना उचित नही है जबकि मुम्बई नगर में ओपन स्पेस लगातार कम होते जा रहे हैं ।
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