ज्ञानवापी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले मुख्य याचिकाकर्ता की ओर से 274 पेज पेश कर दिया है, जिसमें कथित मस्जिद को असल में शिव भगवान के स्वरूप आदि विश्वेश्वर का प्राचीन मंदिर होने का दावा करके के साथ-साथ वहां सदियों से पूजा और धार्मिक कार्य होने के सबूत विद्यमान होने की बात कही गई है|
कोर्ट में याचिकाकर्ता के एडवोकेट विष्णु शंकर जैन द्वारा दाखिल जवाब में न सिर्फ ज्ञानवापी बल्कि वाराणसी के ऐतिहासिक महत्व से शुरुआत की गई है| स्कंद पुराण समेत कई धार्मिक ग्रंथ और इतिहासकारों के हवाले से मुख्य तौर पर ये प्वाइंट दिए हैं|
काशी एक प्राचीन और वैदिक युग से पहले अस्तित्व में रहा धार्मिक पवित्र शहर है, जहां भगवान आदि विशेश्वर के रूप में भगवान शिव पृथ्वी पर प्रकट हुए और वाराणसी में ज्योतिर्लिंगम की स्थापना की, वहां अनादि काल से भगवान आदि विश्वेश्वर की पूजा और अनुष्ठान उत्तर में विद्यमान गंगा जी के ताजे जल से किया जाता रहा है|
हलफनामे में बताया गया है कि वहां देवी श्रृंगार गौरी और अन्य देवताओं की पूजा होती थी|वहां ज्ञान मंडप समेत कई मंडप थे|भगवान वहां मौजूद हैं और उन्हें भक्तों द्वारा पूजा जाता है|हिंदू पूरी जमीन के मालिक हैं|वहां भक्तों द्वारा पंच कोसी परिक्रमा की जाती थी|पुराने मंदिर को तोड़कर बेतरतीब ढंग से एक निर्माण किया गया, जिसे मस्जिद नाम दिया|
मुस्लिम पक्ष ने विश्वेश्वर और देवी श्रृंगार गौरी की ज्ञानवापी में पूजा को चुनौती नहीं दी|इन पॉइंट्स से आधार पर साक्ष्यों से स्पष्ट होता है कि देवी परिसर में अनादि काल से श्रृंगार गौरी विद्यमान हैं, भक्तों द्वारा आदि विश्वेश्वर की निरंतर पूजा की जा रही है|
यह भी पढ़ें-
न्यायिक आयोग ने रिपोर्ट में हैदराबाद एनकाउंटर को बताया फर्जी