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Monday, November 25, 2024
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शराब पर कर सकते हैं कटौती, तो पेट्रोल-डीजल पर क्यों नहीं?

बीजेपी ने पेट्रोल डीजल पर कर में 50 फीसदी कटौती की मांग की

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जनता की जेब से हजारों करोड़ की लूट करने के बाद अब पेट्रोल, डीजल पर वैट में क्रमशः 2.08 रूपये व 1.44 रुपये की कटौती केवल कागज पर गाजे बाजे के साथ घोषित करके ठाकरे सरकार ने फिर से एक बार जनता की आंखों में धूल फेंकने का काम किया है। महंगाई से त्रस्त जनता को राहत देने के लिए ठाकरे सरकार शराब की ही तरह पेट्रोल डीजल पर कर में तत्काल 50 प्रतिशत कटौती करके जनता को राहत दे। प्रदेश भाजपा मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने सोमवार को यह मांग की। भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित पत्रकार परिषद में उपाध्ये ने यह बात कही।

भाजपा नेता ने कहा कि केंद्र सरकार ने छह महीने में दूसरी बार उत्पाद कर में कटौती करके जनता को बड़ी राहत दी है और ठाकरे सरकार ने डेढ़ से 2 रुपये की कटौती करके राज्य की जनता के साथ क्रूरता की है। महाराष्ट्र में पेट्रोल पर एक लीटर के पीछे 32.55 रुपये तो डीजल पर एक लीटर के पीछे 22.37 रुपये जितना कर राज्य सरकार वसूलती है।

केंद्र सरकार द्वारा कर में कटौती करके राज्य भी कर में कटौती करे ऐसा आवाहन करने के बावजूद ठाकरे सरकार ने कर में कटौती नही की। इसके विपरीत अनावश्यक विवाद उत्पन्न करके राजनीति को शुरू रखा। एक ओर महंगाई के नाम पर सत्ताधारी प्रदर्शन करते हैं और दूसरी ओर कर में कटौती न करके जनता से लूट जारी रखें है ऐसा दोहरा दांव महाविकास आघाडी सरकार खेल रही है। केंद्र सरकार से संघर्ष करने की खुमारी में जनता को महंगाई की खाई में ढकेलने का कपटी खेल सबके सामने आ गया है, ऐसा उन्होंने कहा।

उपाध्ये ने कहा कि सरकार ने शराब पर टैक्स में लगभग 50 प्रतिशत की कमी करके दारू उत्पादकों को राहत दी। लेकिन, ईंधन की कीमत में कमी करने पर महंगाई कम हो जनता को राहत मिलेगी . यह पता होने पर भी पेट्रोल पर जैसे तैसे दो रुपये की कटौती करके जनता को राहत देने से इनकार कर दिया, ऐसा आरोप भी उन्होंने लगाया। विदेशी दारू को दी सहूलियत की ही तरह पेट्रोल-डीजल पर राज्य की वैट पर 50 प्रतिशत कटौती होनी चाहिए, ऐसी मांग उन्होंने की।

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मैं धूर्त राजनीतिज्ञ हूं, ऐसा कहते हुए मुख्यमंत्री ने हाल ही में अपनी स्वयं की पीठ थपथपाई थी। उन्होंने कहा कि, कर में कटौती केवल कागज पर गाजेबाजे के साथ लाकर इस कर कटौती को प्रत्यक्ष में लाकर जनता को राहत देने की इच्छा नही होने के कारण इस संबंध में आदेश जारी करने में ठाकरे सरकार टालमटोल कर रही है।

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