जाते-जाते उद्धव ठाकरे मंत्रिमंडल की अंतिम बैठक में औरंगाबाद का नाम बदल कर ‘संभाजी नगर’ और उस्मानाबाद का नाम ‘धाराशिव’ करने का फैसला लिया गया था। इस बैठक में कांग्रेस के मंत्री भी मौजूद थे। महाराष्ट्र के हिंदु जनमानस की भावना को देखते हुए कांग्रेस मंत्रियों ने इस फैसले का विरोध नहीं किया था पर अब कांग्रेस हाईकमान इससे नाराज हो गया है। क्योंकि पार्टी नेतृत्व के निर्देश के बावजूद बैठक में कांग्रेस के मंत्रियों ने इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया था और आघाडी सरकार की कैबिनेट ने यह प्रस्ताव पारित कर दिया था।
सूत्रों के अनुसार उस दिन कैबिनेट बैठक में नामांतरण का प्रस्ताव आने पर कांग्रेस के मंत्रियों ने इसका कोई विरोध नहीं किया और चुप्पी साध ली थी जबकि कांग्रेस के मुस्लिम मंत्री असलम शेख इस प्रस्ताव को देखते हुए बैठक से बाहर निकल गए थे। हर बार कैबिनेट के पहले होने वाली कांग्रेस मंत्रियों की प्री-कैबिनेट बैठक में कांग्रेस विधायक दल के नेता व तत्कालिन राजस्व मंत्री बाला साहेब थोरात की तरफ से इस बारे में कांग्रेस के मंत्रियों को कोई निर्देश नहीं दिया गया था। कांग्रेस के एक तत्कालिन मंत्री कहते हैं कि औरंगाबाद को लेकर पार्टी हाईकमान के निर्देश से हम अनजान थे। हमारे वरिष्ठ मंत्रियों ने इस बारे में हमें कुछ नहीं बताया था। बैठक के बाद कांग्रेस के तत्कालिन मंत्री सुनील केदार ने कहा था कि कांग्रेस का कभी भी औरंगाबाद को संभाजी नगर करने पर विरोध नहीं था। स्थानीय कांग्रेस नेताओं की माने तो ठाकरे मंत्रिमंडल के इस फैसले का समर्थन करना कांग्रेस के हित में था पर पार्टी नेतृत्व को यह बात समझ नहीं आ रही है।
क्रास वोटिंग वाले विधायकों के खिलाफ होगी कार्रवाई: विधान परिषद चुनाव में पार्टी विधायकों की क्रास वोटिंग के चलते कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे को पराजय का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में पार्टी के दलित नेता चंद्रकांत हंडोरे पहली पसंद के उम्मीवार थे। इसके बावजूद उन्हें हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार भाई जगताप चुनाव जीत गए। हंडोरे ने बुधवार को दिल्ली जाकर पूर्व मंत्री व प्रदेश कांग्रेस के कार्याध्यक्ष नसीम खान के साथ राहुल गांधी से मुलाकात की थी। सूत्रों के अनुसार पार्टी हाईकमान ने इस बात को गंभीरता से लिया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को बतौर पर्यवेक्षक मुंबई भेजा जाएगा। पर्यवेक्षक की रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कार्रवाई करेंगी। इसके पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने विधान परिषद चुनाव में क्रास वोटिंग करने वाले कांग्रेस के सात विधायकों के खिलाफ पार्टी से कार्रवाई की मांग की थी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि यदि पार्टी को बचानी है तो क्रास वोटिंग मामले में कार्रवाई जरुर होनी चाहिए।
विधायकों की गैर मौजूदगी से पार्टी नाराज: बीते 4 जुलाई को विधानसभा में शिंदे सरकार को लेकर पेश विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान के वक्त कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण सहित पार्टी के 12 विधायक गैर मौजूद थे। मतदान के वक्त अनुपस्थित रहने वाले कांग्रेस विधायकों में प्रणिती शिंदे, जीतेश अंतापुरकर, विजय वडेट्टीवार, जिशान सिद्दीकी, धीरज देशमुख, विक्रम सिंह सावंत, राजू अवाले, माधवराव जावालकर, कुणाल पाटील, शिरिष चौधरी व मोहन हमबार्डे शामिल थे।
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