आखिरकार शिवसेना अपने सांसदों के सामने झुक ही गई। मंगलवार को संजय राउत ने एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया। उन्होंने इस दौरान कहा कि इसका यह मतलब नहीं कि शिवसेना ने बीजेपी का समर्थन किया है। बल्कि आदिवासी महिला नेता द्रौपदी मुर्मू को यह समर्थन दिया गया है। जान भावनाओं को देखते हुए ऐसा किया गया है।
बता दें कि इससे पहले सोमवार को उद्धव ठाकरे ने मातोश्री में सांसदों की बैठक बुलाई थी। जिसमें पार्टी के 19 में से 12 ही पहुंचे थे। जबकि 7 गायब थे। बैठक में शामिल होने वाले सांसदों ने ठाकरे पर मुर्मू को समर्थन देने दबाव बनाया था। इससे पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि शिवसेना विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा समर्थन करेंगे, लेकिन पार्टी नेताओं को उद्धव ठाकरे को झुकना पड़ा।
कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे ने यह कदम पार्टी की और टूट नहीं चाहते हैं। इसलिए सांसदों की बातों को मानना पड़ा। अब कुछ सांसदों ने उम्मीद जताई है कि आने वाले समय में शिंदे गुट से भी सुलह हो सकती है। हेमंत गोडसे ने बताया कि बैठक के दौरान सांसदों ने सुझाव दिया था कि अगर राज्य और केंद्र की सरकार मिलकर काम करे तो विकास कार्यों को गति मिलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में विकास को गति नहीं मिलने का एक यह भी कारण है। इस हम सांसदों पार्टी से एक स्वाभाविक गठबंधन की मांग की है।
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