कैबिनेट बैठक में राज्य की बिजली वितरण प्रणाली में बड़े पैमाने पर सुधार करते हुए वितरण कंपनियों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने का निर्णय लिया गया। इस योजना के तहत महावितरण कंपनी को 39 हजार 602 करोड़ और बेस्ट को 3 हजार 461 करोड़ की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को मंजूरी दी गई। इस योजना का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक कुल तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान को 12 से 15 प्रतिशत तक कम करना है। इसके अलावा वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए नए उपकेंद्र, नए ट्रांसफार्मर और नई लाइनों को बिछाने का काम किया जाएगा।राज्य के बिजली उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड-स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। इससे करीब 1 करोड़ 66 लाख ग्राहकों को फायदा होगा। वितरण ट्रांसफार्मरों पर भी मीटर लगाए जाएंगे। केवल मीटर लगाने के लिए ही 10 हजार करोड़ की रकम खर्च होने की उम्मीद है।
बिजली कंपनियों की दक्षता में सुधार कर ग्राहकों को अबाधित, दर्जेदार और किफायती बिजली की आपूर्ति करने के लिए बेहतर वितरण क्षेत्र योजना और परिणाम आधारित योजना लागू की जाएगी। इस योजना को महावितरण और बेस्ट गतिविधियों के जरिए लागू किया जाएगा। बता दें कि बिजली क्षेत्र में वितरण कंपनियों को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन वे इस क्षेत्र में सबसे कमजोर कड़ी भी हैं। इसका कारण वितरण क्षेत्र की खराब वित्तीय सेहत है, जिसका असर अंतत: उत्पादन क्षेत्र पर पड़ता है। विभिन्न राज्यों से प्राप्त अनुमानों के अनुसार उनके सरकारी विभागों पर 2020-21 के अंत में कुल 48,664 करोड़ रुपए का बिजली का बकाया था।