बता दें कि किशोर गजभिये सहित कुछ पेंशनभोगियों ने वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश तालेकर के माध्यम से यह याचिका दायर की है| मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा मुख्य सचिव को आदेश जारी करने के बाद राज्य के मुख्य सचिव ने 20 जुलाई को विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिवों को निर्देश जारी किए| इसके बाद संबंधित विभागों के प्रधान सचिवों ने कई फैसलों के क्रियान्वयन को निलंबित या रद्द कर दिया|
ऐसे कई निर्णय तकनीकी और प्रशासनिक अनुमोदन के साथ लागू या आंशिक रूप से लागू होने की प्रक्रिया में थे। ऐसे में निर्णय को रद्द या निलंबित करने का निर्णय जनहित और विकास के लिए खतरा है। क्योंकि बिना किसी कारण के परियोजना में देरी करने से सरकारी खजाने पर करोड़ों रुपये का बोझ पड़ता है।
याचिका में दावा किया गया है कि ‘मौजूदा सरकार के आदेश उन विभागों के सचिवों द्वारा जारी निलंबन या रद्द करने के आदेशों को रद्द कर दें और ऐसे सचिवों को निर्देश देने वाले परिपत्र भी रद्द कर दिए जाएं। याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि याचिका के लंबित रहने तक ऐसे आदेशों पर रोक लगाई जाए।
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