फिल्म की कहानी थोड़ी जटिल है, क्योंकि यह फिल्म टाइम ट्रेवेल पर आधारित है, जहां कहानी और किरदार दोनों ही 1990 और 2021 के बीच झूलती है। नब्बे के दशक में, एक भयावह तूफानी रात में 12 वर्षीय अनय की सड़क हादसे में मौत हो जाती है। अपनी मौत के पहले अनय अपने पड़ोसी (स्वासता चटर्जी) को पति – पत्नी की हत्या और फिर उस हत्या का सुराग मिटाते देखता है। पच्चीस साल बाद एक बार फिर उसी तरह की तूफानी रात है और अंतरा (तापसी पन्नू) जो कि एक नर्स है, अपने पति राहुल भट्ट और बेटी के साथ नए घर में शिफ्ट हुई है। खुद को वह एक टीवी सेट के सामने पाती है। जब वह टीवी खोलती है, तो उसे टीवी के अंदर वही बच्चा अनय दिखता है।
दूसरी तरफ अनय को भी अंतरा अपने टीवी में नजर आती है। अंतरा जान चुकी होती है कि अनय कत्ल को देखने के बाद सड़क हादसे में मरने वाला है। टीवी के माध्यम से वह अनय की जान बचाने का प्रयास करती है। अतीत में अनय को उस सड़क हादसे से तो बचा लेती है, मगर उसके वजह से वर्तमान में अंतरा अपनी जिंदगी के बिंदुओं को खो बैठती है।
फिल्म मिराज की रीमेक होने के तौर पर अनुराग कश्यप का स्टाइल साफ झलकता है। पर दर्शक अनुराग से थोड़ी गहरी और परतदार कहानी की उम्मीद करते है। चूंकि फिल्म अतीत और वर्तमान की घटनाओं के साथ आगे बढ़ती है, तो कई जगह पर उलझी हुई दिखती है। मगर जटिल होने के बावजूद ये दर्शकों को बांधे रखती है। हमेशा की तरह अनुराग के फिल्मों में महिला किरदार मजबूत हैं, जिसकी झलक पहले ही दृश्य में मिल जाती है, जहां अनय की आर्किटेक्ट मां बेटे की् ख्याल रखने के साथ ही अस्पताल का नक्शा तैयार करती दिखती है, तो तापसी पन्नू एक डॉक्टर और नर्स के रूप में अपनी हालिया जिंदगी को पाने की कोशिश में लगी रहती है। पहले सीन से ही बेचैनी शुरू हो जाती है और वो अंत तक बनी रहती है। फिल्म में टाइम ट्रेवल के साथ ही साथ हत्या की गुत्थी भी सुलझती है, जिसमें सस्पेंस और थ्रिलर बना रहता है। फिल्म में दो गाने हैं जिसकी जरूरत नहीं थी।
अभिनय के मामले में तापसी हर तरह से योग्य साबित हुई हैं। तापसी ने अपने किरदार को खास शैली के रूप में पिरोया है। उनकी झुंझलाहट, पागलपन, दुस्साहस और असमंजस किरदार को और मजबूत बनाता है। पुलिस अधिकारी के रूप में पावेल गुलाटी खूब जंचे हैं। स्वासता चटर्जी ने अपने चरित्र से कहानी के सस्पेंस और थ्रिलर में इजाफा किया है। इसके साथ ही राहुल भट्ट, नासर, हिमांशी चौधरी, निधि सिंह आदि ने अपनी भूमिकाओं को ईमानदारी से निभाया हैं।
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