मुंबई के मार्गों पर अनियंत्रित यातायात, असुरक्षित सड़कों और सड़क अतिक्रमणों के कारण राज्य में हादसों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है और पैदल यात्रियों की जान गंवाने वालों की संख्या चिंताजनक वृद्धी हुई है| पिछले पांच वर्षों में राज्य में 12078 पैदल यात्रियों ने सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाई है| इनमें से ज्यादातर हादसे मुंबई और ठाणे में हुए हैं।
देश के साथ-साथ राज्य की सड़कें भी राहगीरों के लिए जानलेवा साबित होती दिखाई दे रही हैं। राहगीरों की सुरक्षा के लिए तमाम उपायों के बावजूद सड़क हादसों में मृतकों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। राजमार्ग पुलिस के अनुसार 2017 से 2021 तक यानि पांच वर्ष के दरम्यान राज्य में कुल 12 हजार 78 पैदल चलने वालों यात्रियों ने सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाई| 2017 में 1,822 पैदल चलने वालों की मौत हुई, जबकि 2021 में 2,678 पैदल चलने वालों की मौत हुई।
पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं मुंबई शहर में हुई हैं, जिसमें 1,500 पैदल चलने वालों की मौत हुई है, जबकि ठाणे शहर में 420 पैदल चलने वालों की मौत हुई है। आंकड़े बताते हैं कि 100 सड़क दुर्घटनाओं में औसतन 57 पैदल यात्री होते हैं|
हालांकि कुछ स्थानों पर सड़कें चौड़ी हैं, लेकिन उन्हें पार करना असुरक्षित है। इसलिए राहगीरों को तेज रफ्तार वाहनों के बीच अपनी जान को हथेली पर लेकर सड़क पार करनी पड़ती है। कई जगहों पर जाम की वजह से वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। इसलिए वाहन चालक लापरवाही से वाहन चलाते हैं। राहगीरों को भी उनकी अनुशासनहीनता के कारण अपनी जान गंवानी पड़ती है। कही-कही राहगीरों की लापरवाही भी उनकी जान ले लेती है|
दूसरी ओर फुटपाथ पर फेरीवाले, पार्किंग में आड़े-तिरक्षे खड़े वाहन पैदल चलने वालों के लिए कोई जगह ही नहीं छोड़ते है। पैदल चलने वालों को सुरक्षित सड़क पार करने के लिए बड़े शहरों में स्काईवॉक और सबवे बनाए गए हैं, लेकिन उनका उपयोग करने वालों की संख्या बहुत कम है।
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