भारत की तरफ से आखिरी गाँव और चीन की तरफ से पहला गाँव जिसका नाम काहो है। इस गाँव में रहनेवालों की संख्या कम हैं इसमें से कुछ लोग बाहर चले गए हैं जिस वजह से इस गाँव में 116 लोग ही रह रहे हैं। इस गाँव में पर्यटकों का आना जाना हैं। इन पर्यटकों को घर में रहने की सुविधा हैं पर वो थोड़ी महंगी है।
सरकार की तरफ से सड़क बनवाई गई है इसलिए यहाँ सड़क अच्छी हैं जिस वजह से सामान लाने में कोई दिक्कत नहीं होती हैं। काहो गाँव में 16 घरों में 79 लोग रहते हैं। यहाँ के स्थानीय निवासियों का भारतीय सेना से काफी अच्छे रिश्ता हैं। 1962 में इन निवासियों को यदि भारतीय सेनाओं का सहयोग नहीं मिलता तो यह लोग शायद यहाँ नहीं होते। यहाँ के स्थानीय निवासियों को फौजियों की तरफ से मेडिकल व अन्य चीजों की काफी मदद मिलती हैं।
मोबाईल नेटवर्क की समस्या जरूर हैं जिसपर सरकार को ध्यान देना आवश्यक हैं। हालांकि सरकार की तरफ से भारत के पहले गाँव काहो में पर्यटन को बढ़ावा देने और मॉडल गाँव तैयार करने के लिए काम चल रहा है।
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