निर्देशक: रंजीत तिवारी
सितारे: अक्षय कुमार, रकुल प्रीत सिंह, चंद्रचूड़ सिंह, सरगुन मेहता, ऋषिता भट्ट, जोशुआ लेक्लेयर
एक बार फिर अक्षय कुमार साउथ की फिल्म का रीमेक लेकर हाजिर हैं। रंजीत एम तिवार के निर्देशन में बनी फिल्म ‘कठपुतली’ तमिल फिल्म ‘रतसासन’ का हिंदी रीमेक हैं जिसमें अक्षय कुमार, रकुल प्रीत सिंह, चंद्रचूर सिंह और सरगुन मेहता समेत कई कलाकार हैं। तमिल फिल्म ‘रतसासन’ साल 2018 में आई थी और ये पर्दे पर हिट साबित हुई थी। किसी भी फिल्म का रीमेक बनाने की सबसे बड़ी चुनौती ये होती है कि वह हूबहू न लगे या वह उसकी कॉपी न लगे। हालांकि यह तो फिल्म देखने के बाद पता चलेगा कि क्या अक्षय फिल्म के साथ पूरी तरह न्याय कर पाते हैं या नहीं??
कहानी शुरू होती है कसौली के सुंदर नजारों से। शहर में सीरियल किलर को लेकर दहशत फैल गई है। प्लास्टिक बैग में एक बॉडी मिली है जिसकी क्रूर तरीके से हत्या की गई है। पुलिस जांच में जुट चुकी है। वहीं दूसरा सीन है अर्जन सेठी (अक्षय कुमार) के सपनों का। वह पुलिसवाले का बेटा है जिसके पिता गुजर चुके हैं। फैमिली के नाम पर बहन और जीजा का परिवार है। वह चंडीगढ़ में किराए पर रहता है। वह 7 साल से देश विदेश के सभी साइकोपैथ मुजरिमों पर रिसर्च कर रहा है और दमदार सी फिल्म बनाना चाहता है। वह सालों से साइकोथ्रिलर फिल्म बनाना चाहता है। मगर वह सालों से स्ट्रगल करता रह जाता है और फिल्म बनाने का सपना सपना रह जाता है क्योंकि कोई भी प्रोड्यूसर उसकी फिल्म में मदद के लिए राजी नहीं होता है। फिर बहन के कहने पर वह पुलिस में भर्ती हो जाता है और अपने जीजा (चंद्रचूर सिंह) की सिफारिश से अर्जन को कसौली में सब इंस्पेक्टर की नौकरी मिल जाती है। इसी दौरान स्कूल बच्चियों को कोई किडनैप कर टॉर्चर करने और मारने में लगा हुआ है। और ऐसे में अर्जन सेठी अपने अंदर के जासूसी को जगाता है और अपनी सीनियर एसएचओ (सरगुन मेहता) से कहता है कि ये किसी सीरियल किलर का काम लगता है। जैसे-जैसे और लड़कियों की लाशें मिलती हैं, तो अर्जन खुद किलर की तलाश में जुट जाता है। आखिर सीरियल किलर कौन है? क्यों वह बच्चियों की दर्दनाक हत्या कर रहा है? जैसे सवालों के जवाब अक्षय कुमार फिल्म में खोजते हैं।
अक्षय कुमार पहले भी कई बार वर्दी में नजर आ चुके हैं। वह वर्दी में हमेशा जमते हैं और इस तरह के रोल को बढ़िया तरीके से निभाते हैं। पिछली कई फिल्मों से वह थोड़ा अलग भी इसमें दिख रहे हैं। फिल्म में कुछ कुछ जगह हल्के फुल्के पंच भी हैं जिनके लिए सिर्फ अक्षय ही फिट लगते हैं। रकुल प्रीत ने स्कूल टीचर के रोल में ठीक काम किया। चंद्रचूड़ सिंह ने बढ़िया अभिनय किया है। एसएचओ के रोल में सरगुन मेहता कुछ-कुछ जगहों पर चौंकाती हैं। उनमें अच्छी अदाकारा बनने की संभावना है। बाक़ी सभी कलाकारों ने भी अपने हिस्से का काम ठीक ढंग से किया है।
फिल्म की शुरुआत हो या कई दृष्य निर्देशक ने हूबहू ही लेना पसंद किया है। बस शहर, लोग और कॉस्टूयम बदले गए हैं। हैरानी तब होती है जब विलेन तक को हूबहू दिखाया गया है। लेखन में भी बहुत चीजें घुमाई गई हैं। रतसासन की तुलना में कठपुतली का लेखन और डायरेक्शन काफी कमजोर लगता है। अक्षय कुमार ने एक बार फिर कमजोर फिल्म पकड़ी है क्योंकि ऐसी ढेरों सस्पेंस और साइकोथ्रिलर फिल्में यूट्यूब पर और कई ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मुफ़्त उपलब्ध है।
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