वंदे भारत एक्सप्रेस ने भारत में यात्रा के एक नए युग की शुरुआत की है। आज देश को तीसरी स्वदेश निर्मित तेज गति वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन मिलने जा रही है। वहीं तीसरी वंदे भारत ट्रेन पहले की वंदे भारत ट्रेनों से अलग होगी। बात यदि पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की करें तो 15 फरवरी, 2019 को नई दिल्ली-वाराणसी मार्ग पर चली थी। वहीं, दूसरी ट्रेन नई दिल्ली से श्री वैष्णो देवी माता, कटरा रूट पर चलाई गई थी।
आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गांधीनगर से मुंबई सेंट्रल के बीच इस नए ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव और रेलवे राज्यमंत्री दर्शना जरदोष भी उपस्थित रहेंगे। वंदे भारत एक्सप्रेस में कुल 1,128 यात्रियों के बैठने की क्षमता है। इस ट्रेन में यात्री सुविधाओं को देखते हुए कई तरह के परिवर्तन किए गए हैं। इसमें कोविड को लेकर भी खास इंतजाम किए गए हैं। इस ट्रेन में यात्रियों की सुविधाओं के लिए स्लाइडिंग फुटस्टेप्स के साथ-साथ टच फ्री स्लाइडिंग डोर के साथ स्वचालित प्लग दरवाजे भी लगे हुए हैं। वहीं एसी की निगरानी के लिए कोच नियंत्रण प्रबंधन प्रणाली, नियंत्रण केंद्र व रखरखाव कर्मचारी के साथ कम्युनिकेशन एवं फीडबैक के लिए जीएसएम (ग्लोबल सिस्टम फॉर कम्यूनिकेशन) और जीपीआरएस (जनरल पैकेट रेडियो सर्विस) जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
गुजरात में चलने वाली इस वंदे भारत ट्रेन में पहली बार ‘कवच’ तकनीक को लॉन्च किया जा रहा है। इस तकनीक की सहायता से दो ट्रेनों की आमने-सामने से होने वाली टक्कर जैसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा। इस तकनीक को देश में ही विकसित किया गया है जिसके कारण इसकी लागत काफी कम है। दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष शौचालय, और सामान्य यात्रियों के लिए टच-फ्री एमिनिटीस वाले बायो वैक्यूम टॉयलेट्स की व्यवस्था की गई है। इसी प्रकार, दृष्टिबाधित यात्रियों की सुविधा के लिए सीटों में ब्रेल लिपि के साथ सीट संख्या उकेरी गई है ताकि ऐसे यात्री अपनी सीटों तक आसानी से पहुंच सकें। मात्र 100 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली यह ट्रेन समान सुविधा वाली आयातित ट्रेन से लगभग आधी लागत में बनकर तैयार हो जाती है। प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, ट्रेन की प्रमुख प्रणालियों को भारत में डिजाइन और निर्मित किया गया है।
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