भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के सचिव जय शाह ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि भारतीय टीम अगले साल एशिया कप के लिए पाकिस्तान का दौरा नहीं करेगी और टूर्नामेंट को तटस्थ स्थल पर कराये जाने की मांग करेगी। एशिया कप के 2023 सत्र को 50 ओवर के रूप में खेला जायेगा। भारत में आयोजित होने वाले विश्व कप से पहले खेले जाने वाले इस टूर्नामेंट की मेजबानी पाकिस्तान को सौंपी गयी है।
सीआई की वार्षिक आम बैठक के बाद शाह ने कहा, ‘‘ हमने फैसला किया है कि हम पाकिस्तान नहीं जाएंगे। हम तटस्थ स्थान पर खेलेंगे।’’ शाह को इस एजीएम में दूसरे कार्यकाल के लिए सचिव के रूप में फिर से चुना गया। वह एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के भी अध्यक्ष हैं। एजीएम में बताया गया कि बीसीसीआई के खजाने में पिछले तीन वर्षों में लगभग 6000 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है।
बता दें कि भारत के इस फैसले पर पाकिस्तान के कई पूर्व क्रिकेटर्स ने नाराजगी जाहिर की है। पाकिस्तान के महान बल्लेबाज सईद अनवर ने ट्विटर पर भारतीय खिलाड़ियों को एशिया कप के लिए पाकिस्तान का दौरा नहीं करने देने के बीसीसीआई के फैसले की आलोचना की। अनवर के मुताबिक, अगर बीसीसीआई अगले साल एशिया तटस्थ स्थल पर खेलना चाहता है तो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) को भी भारत में आयोजित 2023 एकदिवसीय विश्व कप की मेजबानी के लिए आईसीसी से संपर्क करना चाहिए।
इसके पहले मेजबान श्रीलंका ने आर्थिक संकट के बीच एशिया कप 2022 की मेजबानी करने में असमर्थता जताई थी जिसके बाद इसका आयोजन संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में किया गया था। भारत और पाकिस्तान की टीमें दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव के कारण केवल एशिया कप और वैश्विक आयोजनों में एक-दूसरे से खेलती हैं। दोनों टीमों ने पिछले महीने एशिया कप में दो बार एक-दूसरे का सामना किया था।
वहीं निवर्तमान कोषाध्यक्ष और आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) के नये अध्यक्ष अरुण धूमल ने राज्य इकाइयों को सूचित किया कि पिछले तीन वर्षों में बीसीसीआई का खजाना 3648 करोड़ रुपये से बढ़कर 9629 करोड़ रुपये हो गया है धूमल ने अपने संबोधन में कहा कि मौजूदा टीम ने 2019 में जब बीसीसीआई की बागडोर संभाली, तब उसके खजाने में 3648 करोड़ रुपये थे। आज इसके खजाने में 9629 करोड़ रुपये का कोष है। उन्होंने बताया कि राज्य संघों को दी जाने वाली रकम में पांच गुना इजाफा हुआ है। सीओए के कार्यकाल के समय राज्य संघों को 680 करोड़ रुपये दिये जाते थे जो अब बढ़कर 3295 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
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