पारले-जी आज ये नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। देश में यदि लोगों से बिस्किट के बारे में पूछें तो उनकी जुबान पर सबसे पहले पारले- जी बिस्कुट का नाम आता हैं। वहीं समय के साथ पारले-जी बिस्किट में कई बदलाव हुए, बावजूद इसके इसका स्वाद नहीं बदला। गौरतलब है कि पारले-जी की शुरुआत साल 1929 में विले पार्ले के चौहान परिवार ने की थी। वहीं कंपनी ने पहली बार 1938 में पारले-ग्लूको नाम से बिस्किट का उत्पादन शुरू किया था। आजादी से पहले पारले-जी का नाम ग्लूको बिस्किट ही हुआ करता था। लेकिन, 1980 के बाद इसे नया नाम दिया गया।
हालांकि देश का यह सबसे बड़ा बिस्किट ब्रांड अब अपने कारोबार को और विस्तार देने का प्लान बना रहा है। इसके तहत पारले-जी पोलैंड की डॉ जेरार्ड कंपनी को खरीद सकती है। पोलैंड की कंपनी डॉ जेरार्ड करीब 200 से ज्यादा प्रोडक्ट बनाती है। इसमें अलग-अलग तरह के बिस्किट और नमकीन स्नैक्स शामिल हैं। इन प्रोडक्ट्स को कंपनी 30 से अधिक देशों में निर्यात करती है।
फिलहाल इसे लेकर पारले कंपनी ब्रिजप्वाइंट फर्म से बातचीत कर रही है। बता दें कि पोलैंड की इस बिस्कुल बनाने वाली कंपनी की कुल कीमत तकरीबन 1000-1200 करोड़ रुपए है। 1993 में स्थापित डॉ जेरार्ड कंपनी को ब्रिजप्वाइंट ने साल 2013 में फ्रांस के ग्रुप पॉल्ट से खरीदा था। हालांकि उस वक्त यह साफ नहीं हो सका था कि कंपनी को कितनी कीमत पर खरीदा गया है। गौरतलब है कि ब्रिजपॉइंट ने इस साल की शुरुआत में डॉ जेरार्ड से बाहर निकलने के लिए इन्वेस्टमेंट बैंक हुलिहान लोकी को नियुक्त किया था, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यह प्रक्रिया रफ्तार नहीं पकड़ पाई।
हालांकि इस डील के बारे में पारले, ब्रिजप्वाइंट या फिर डॉ जेरार्ड की ओर से अब तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है। जबकि पोलैंड की इस बिस्किट निर्माता कंपनी की अनुमानित वैल्यू 10 से 12 अरब रुपये है। वहीं इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति के हवाले से कहा गया है कि यह बिस्किट निर्माता कंपनी की वैल्यू बढ़कर 24 अरब डॉलर तक जा सकती है।
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