सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका को खारिज की। पीड़िता बिलकिस बानो ने समय से पहले 11 दोषियों को रिहा किये जाने पर चुनौती दी थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया। इससे पहले 2002 के गुजरात दंगे की पीड़िता के वकील ने इस मामले की सुनवाई जल्द करने की मांग की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप बार बार एक ही शब्द दोहराकर परेशान मत करिये।
गौरतलब है कि बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को सजा पूरा होने से पहले रिहा कर दिया गया था। इन दोषियों को जेल में अच्छे आचरण करने के आधार पर छोड़ा गया था। गुजरात सरकार ने 1992 के जेल नियमों के अनुसार इन्हे रिहा किया था। जिस पर कई तरह के सवाल उठाये गए थे। इसके बाद बिलकिस बानो ने 11 दोषियों को समय रहते रिहा किये जाने पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
बता दें कि जस्टिस अजय रस्तोगी ने 2022 में एक दोषी की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि गुजरात सरकार 1992 के जेल नियम के अनुसार बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई पर विचार कर सकती है। दरअसल, इस मामले की पूरी सुनवाई महाराष्ट्र में हुई है। जिस पर बिलकिस बानो ने अपनी याचिका में कहा था कि इस मामले का पूरा ट्रायल महाराष्ट्र में हुआ है। इसलिए महाराष्ट्र के जेल नियमों के अनुसार इन दोषियों को 28 साल से पहले रिहा नहीं किया जा सकता है।
वहीं, दोषियों ने अपनी सजा कराने के लिए गुजरात सरकार से अपील की थी। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को रिहा किया। इन 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया गया था। ये सभी दोषी बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। जिसे गुजरात सरकार ने माफ़ी देते हुए रिहा कर दिया था।
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