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Wednesday, November 27, 2024
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कानून के फंदे में ‘लव जिहाद’!

महाराष्ट्र एंटी-लव जिहाद कानून लागू करने के लिए तैयार?

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श्रद्धा वालकर हत्याकांड के बाद से राज्य में गुस्से की लहर है। वहीं इस घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार उत्तर प्रदेश के कानून की तर्ज पर लव जिहाद विरोधी कानून बनाने की कोशिश कर रही है। इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या सरकार महाराष्ट्र में एंटी-लव जिहाद कानून लागू करने के लिए तैयार है। महाराष्ट्र में श्रद्धा वाकर हत्याकांड के बाद लव जिहाद विरोधी कानून की मांग जोर पकड़ने लगी। महाराष्ट्र में कई जगहों पर हिंदुत्व संगठनों ने लव जिहाद विरोधी कानून लाने की मांग को लेकर मोर्चा निकाला। इस मोर्चे का नेतृत्व नितेश राणे और नवनीत राणा ने किया।

बता दें कि लव जिहाद को लेकर जो चर्चा हो रही है, इस शब्द की उत्पत्ति महाराष्ट्र या उत्तर प्रदेश से नहीं हुई थी, बल्कि लव जिहाद शब्द सबसे पहले 2009 में केरल में आया था। इसी के आधार पर कुछ मामले उच्च न्यायालय और यहां तक कि उच्चतम न्यायालय श्रद्धा वालकर हत्याकांड के बाद से राज्य में गुस्से की लहर है। वहीं इस घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार उत्तर प्रदेश के कानून की तर्ज पर लव जिहाद विरोधी कानून बनाने की कोशिश कर रही है। इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या सरकार महाराष्ट्र में एंटी-लव जिहाद कानून लागू करने के लिए तैयार है। महाराष्ट्र में श्रद्धा वाकर हत्याकांड के बाद लव जिहाद विरोधी कानून की मांग जोर पकड़ने लगी। महाराष्ट्र में कई जगहों पर हिंदुत्व संगठनों ने लव जिहाद विरोधी कानून लाने की मांग को लेकर बड़े मार्च निकाले। इस मोर्चे का नेतृत्व नितेश राणा, नवनीत राणा ने किया।

हालाँकि आज लव जिहाद को लेकर जो चर्चा हो रही है, इस शब्द की उत्पत्ति महाराष्ट्र या उत्तर प्रदेश से नहीं हुई थी, बल्कि लव जिहाद शब्द सबसे पहले 2009 में केरल में आया था। इसी के आधार पर कुछ मामले उच्च न्यायालय और यहां तक कि उच्चतम न्यायालय में भी गए जब यह आरोप लगाया गया कि केरल और कर्नाटक में कैथोलिक ईसाइयों की लगभग 4000 लड़कियों को मुसलमान बनने के लिए मजबूर किया गया। फिर आज देश में लगातार लव जिहाद के मामले सामने आ रहे हैं। बाद में यह कानून विभिन्न राज्यों में बनाया गया। यह कानून आज उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश राज्यों में लागू हो गया है। अब महाराष्ट्र में जल्द ही इस कानून को लागू किया जा सकता है, इसको लेकर चर्चाएं भी हो रही हैं और मांगें भी सामने आ रही हैं। इसी के साथ यह आशा की जाती है कि यदि कानून बनाया जाता है, तो उन लड़कियों पर अंकुश लगेगा, जिन्हें प्यार में फंसाया जाता है, परिवर्तित किया जाता है, फिर छोड़ दिया जाता है या फिर मार दिया जाता है।

लव जिहाद के मुद्दे पर विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में बीजेपी विधायक अतुल भातखलकर ने श्रद्धा वालकर हत्याकांड का जिक्र किया। श्रद्धा वालकर केस जैसी कई घटनाएं महाराष्ट्र के कुछ जिलों में भी हुई हैं। तो क्या राज्य सरकार लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की योजना बना रही है? यह सवाल अतुल भातखलकर ने उठाया था। इसका जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा बयान दिया है। देवेंद्र फडणवीस ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार की लव जिहाद को लेकर कानून बनाने की मानसिकता है।

कैसे झूठे प्यार के जाल में फंसकर एक युवती श्रद्धा वालकर की जान चली गई। श्रद्धा वालकर एक तरह से लव जिहाद का शिकार हो गईं। श्रद्धा ने नवंबर 2020 में पालघर जिले के तुलिंज थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी। उसने इसमें साफ तौर पर कहा था कि उसका बॉयफ्रेंड जो इस समय उसकी हत्या के आरोप में जेल में है, आफताब मुझे पीटता है। आज उसने गला दबा कर जान लेने की भी कोशिश की। आफताब ने श्रद्धा को धमकी भी दी कि वह उसे मार डालेगा और उसके टुकड़े-टुकड़े कर देगा। लेकिन अचानक श्रद्धा ने अपनी शिकायत वापस ले ली और आफताब छूट गया।

बाद में आखिरकार श्रद्धा का डर सच निकला। श्रद्धा की हत्या विक्षिप्त युवक आफताब पूनावाला ने की थी। आफताब ने श्रद्धा की हत्या कर दी और उसके शरीर के 35 से 40 टुकड़े कर दिए। उसने टुकड़ों को अपने घर में ही फ्रिज में रख दिया और बाद में डिस्पोज कर दिया। आफताब, जिसे गलतफहमी थी कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के बाद आफताब ने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया। लेकिन उसके चेहरे पर इस हत्या को लेकर कोई अफसोस नहीं दिखा। आफताब ने कहा कि मुझे फाँसी भी हो जाए तो कोई ग़म नहीं। उसने कहा मुझे स्वर्ग में अप्सराएं मिलेंगी। इससे सिद्ध होता है कि ऐसी प्रवृत्ति के लोग कितने क्रूर और दुराचारी होते हैं। वहीं ऐसा माना जाता है कि ऐसा कानून ऐसी विकृतियों को रोकने में उपयोगी हो सकता है।

वहीं मीडिया से बात करते हुए श्रद्धा के पिता विकास वालकर ने कहा कि अगर पुलिस ने समय पर मामले की ठीक से जांच की होती तो श्रद्धा की जान बचाई जा सकती थी। इस मौके पर पुलिस पर राजनीतिक या बाहरी दबाव का मुद्दा भी उठाया जा रहा है। बेशक, उनका पैसा महाविकास अघाड़ी के प्रशासन के पास है। क्योंकि 2020 में महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार थी। श्रद्धा ने 23 नवंबर को शिकायत दर्ज कराई और अगले महीने 19 दिसंबर को शिकायत वापस ले ली। यह अवधि करीब एक महीने की होती है। अगर पुलिस इस दौरान कार्रवाई करती तो शायद श्रद्धा की जान बच सकती थी। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा है कि इस मामले को लेकर जांच के आदेश दे दिए गए थे, लेकिन आख़िरकार देरी क्यों हुई और किसका दबाव था।

हाल ही में महाराष्ट्र के हिंगोली में कथित रूप से एक लव जिहाद का मामला सामने आया था। पुलिस को मिली शिकायत के मुताबिक, आरोपी साजिद ने अपनी हिंदू प्रेमिका से कहा है कि अगर निकाह करना है तो धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम धर्म अपनाना होगा। पीड़िता के लगातार दबाव के बाद साजिद ने फरीदाबाद में एक वकील के पास लिव इन रिलेशनशिप का बॉन्ड बनवाया, जिस पर दोनों ने सिग्नेचर किए। पीड़िता का आरोप है कि महाराष्ट्र लौटने के बाद जब मैंने दोबारा शादी की जिद की तब साजिद ने कहा कि अगर धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम धर्म अपना लोगी तो वह निकाह कर लेगा। लेकिन पीड़िता इसके लिए तैयार नहीं थी। पीड़िता के इनकार करने पर आरोपी साजिद ने जान से मारने की धमकी भी दी। इसके बाद पीड़िता अपने परिवार के साथ पुलिस स्टेशन पहुंची और उसने साजिद के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। इस आधार पर पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लिया।

वहीं दूसरी घटना हाल ही में महाराष्ट्र के मालेगांव में कथित ‘लव जिहाद’ का मामला सामने आया था। एक आदिवासी समुदाय की एक 14 वर्षीय नाबालिग लड़की का 24 अक्टूबर को अपहरण कर लिया गया था। अगले दिन लड़की की मां ने पुलिस में अपनी बेटी के अपहरण की शिकायत दर्ज कराई। नाबालिग लड़की को मालेगांव से अगवा कर उससे जबरन शादी कराने के आरोप में पुलिस ने सूरत से इमरान शेख को गिरफ्तार किया था। वहीं विरोध प्रदर्शन के दौरान यह मांग उठाई गई कि महाराष्ट्र सहित देश के हर राज्य में धर्म परिवर्तन रोकने का कानून कड़ाई से लागू किया जाए।

ये तो कुछ ही उदाहरण है, वहीं महाराष्ट्र के कई जिलों में लव जिहाद के ऐसे कई मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लोगों ने इस पर गौर किया है। लोग इसका विरोध कर रहे हैं। जबरन धर्मांतरण की घटनाएं हो रही हैं। इसलिए विधायक अतुल भातखलकर ने यह भी कहा है कि क्या राज्य सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने का फैसला करेगी। इसके लिए भविष्य में समाधान के तौर पर डीजी के माध्यम से सभी थानों को अवगत करा दिया गया है कि ऐसी शादी, घटनाएं होने पर जैसे ही कोई महिला शिकायत करे, तत्काल कार्रवाई की जाए। कम से कम उसे बुलाओ और उसकी बात सुनो। वह किसी दबाव में नहीं है। इस संबंध में जानकारी ली जाए। ऐसा निर्देश दिया गया है। इन घटनाओं के मद्देनजर 40 अलग-अलग बड़े मोर्चा निकाले गए और उन  मोर्चों में मांग की गई कि लव जिहाद को लेकर इलाके में सख्त कानून बनाया जाए।

फडणवीस ने सत्र के दौरान कहा कि कुछ राज्यों ने ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाए हैं। लव जिहाद की थीम सबसे पहले केरल में हुई थी और इसे केरल पुलिस ने यह नाम दिया था। उस समय मुख्यमंत्री कम्युनिस्ट थे। इस वजह से यह नहीं कहा जा सकता कि यह कानून किस धर्म के विरुद्ध बनाया जाए या किन व्यक्तियों के विरुद्ध बनाया जाए। हालांकि बढ़ते मामले के मद्देनजर राज्य सरकार ने यह कानून बनाने का फैसला किया है। राज्य की मानसिकता अन्य राज्यों द्वारा बनाए गए कानूनों का अध्ययन करने की है ताकि यदि कोई कानून बनाने की आवश्यकता हो तो वह कानून बनाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी परिस्थिति में किसी भी महिला को साजिश के तहत धोखा न दिया जाए।

महाराष्ट्र सरकार ने एक अंतर-धार्मिक समन्वय समिति का गठन करके दिखाया है कि सरकार ऐसे मामलों में कितनी गंभीर है। लव जिहाद एक्ट के मौके पर इस कमेटी का गठन एक अहम कदम हो सकता है। इन बढ़ती घटनाओं और श्रद्धा वालकर मामले को देखते हुए महाराष्ट्र में भी लव जिहाद अधिनियम होना चाहिए। भाजपा महिला अघाड़ी की प्रदेश अध्यक्ष चित्रा वाघ ने उम्मीद जताई है कि इस कानून के अस्तित्व में आने के बाद समाज में कोई दरार नहीं आएगी।

लव जिहाद समाज की एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभी भी कई स्तरों पर चुप्पी है। लव जिहाद के खिलाफ कई राज्यों ने सख्त कानून पारित किए हैं, कई मामलों में कार्रवाई भी हुई है, लेकिन फिर भी लव जिहाद के मामले कम होते नहीं दिख रहे हैं। इसी वजह से महाराष्ट्र सरकार इस कानून को जल्द से जल्द लाएगी। यदि उत्तर प्रदेश, गुजरात और अन्य राज्यों की तरह राज्य सरकार लव जिहाद अधिनियम लाती है, तो यह स्वागत योग्य है।

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