देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था। वाजपेयी को एक बहुत अच्छे पत्रकार, राजनेता व कवि के रूप में जाना जाता है। बात यदि उन के राजनीतिक करियर की करें तो अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में पहला कदम अगस्त 1942 में तब रखा जब उन्हें और बड़े भाई प्रेम को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 23 दिनों के लिए गिरफ्तार किया गया। अपने कॉलेज के दिनों में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और कानपुर में ही 1951 में जन संघ की स्थापना के दौरान संस्थापक सदस्य बन गए।
लखनऊ अटल की जन्मभूमि नहीं थी, लेकिन यहाँ पर लोगों का समर्थन और सहयोग उन्हें मिला वहीं भाजपा से नाराज दिखने वाले मुसलमानों के दिल में भी अटल बिहार वाजपेयी को लेकर स्नेह और सम्मान था। इसी के बदौलत लखनऊ से अटल बिहारी वाजपेयी वर्ष 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में सांसद रहे। अटल बिहारी वाजपेयी इतने चर्चित और लोकप्रिय थे कि उन्होंने एक अलग कीर्तिमान स्थापित किया। वह पहले ऐसे सांसद बने जिन्हें चार राज्यों यूपी, एमपी, गुजरात और दिल्ली से चुना गया। भाजपा की मजबूत नींव अटल जी ने ही रखी।
अटल बिहारी वाजपेयी के कीर्तिमान के तौर पर कई सम्मान मिले जिसमें 1992 में पद्म विभूषण, 1994 में लोकमान्य तिलक अवार्ड, 1994 में बेस्ट सांसद अवार्ड, 1994 में पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त अवार्ड शामिल है। वहीं 27 मार्च 2015 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनके आवास पर जाकर उन्हें देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान प्रदान किया, देश में यह प्रथम बार हुआ जब राष्ट्रपति ने स्वयं अटल बिहारी वाजपेयी के आवास पर जाकर उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 98वीं जयंती है। जिसे बीजेपी गुड गवर्नेंस डे के रूप में पूरे देश में मना रही है। अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार सुबह ही उनके समाधि स्थल सदैव अटल पहुंचे। यहां पीएम ने भाजपा की नींव रखने वाले अटलजी को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उनके साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे। अटल जी की समाधि स्थल पर सबसे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उन्हें फूल चढ़ाए। इसके बाद केंद्रीय मंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, हरदीप पुरी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
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