तमाम यादों को समेटे 2022 विदा लेने वाला है….नई उम्मीद और नई आशाओं के साथ नया साल 2023 दहलीज पर खड़ा है…लेकिन नए साल के आगाज से पहले साल के २०२२ के पन्नों को पलटते हैं। साल 2022 राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम रहा। वर्ष 2022 में ऐसी कई घटनाएं घटी जिसने इतिहास रच दिया। इसमें से राजनीति स्तर की घटनाएं आम जनता के बीच सुर्खियों का विषय बन गया। इस साल सात राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए। इनमें मार्च 2022 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, मणिपुर, और नवंबर 2022 में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव हुए। इनमें से पांच राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने दोबारा सरकार बना ली, जबकि एक राज्य में आम आदमी पार्टी और एक में कांग्रेस को जीत मिली।
मार्च 2022 में यूपी, पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पता चला कि पीएम मोदी का मैजिक अब भी बरकरार है। दरअसल बीजेपी ने पंजाब को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में बेहतरीन प्रदर्शन किया था।यूपी, मणिपुर, उत्तराखंड में जहां बीजेपी बहुमत के साथ सरकार बनाई तो वहीं गोवा में पार्टी ने अन्य विधायकों का समर्थन हासिल करते हुए सरकार बनाया था। जबकि गुजरात में बीजेपी की शानदार जीत ने सभी को अचंभित कर दिया था।
बात यदि यूपी की करें तों यहाँ बीजेपी ने वापसी की थी, बीजेपी गठबंधन ने राज्य की कुल 403 सीटों में से 273 सीटों पर कब्जा किया था, जिसमें से बीजेपी ने 255 सीटें जीती थी। इसके अलावा, सपा गठबंधन को इस चुनाव में 125 सीटों पर जीत मिली। इसमें से समाजवादी पार्टी ने 111 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस को दो सीटों पर और बीएसपी को एक सीट पर जीत हासिल हुई थी। जबकि आम आदमी पार्टी की लगभग सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई। इसके साथ ही करीब तीन दशक के बाद किसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार राज्य की सत्ता में वापसी की। और योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बने। उन्होंने गोरखपुर शहर विधानसभा सीट पर करीब एक लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जीता था। इस जीत के साथ ही चर्चा तो 2024 के लोकसभा चुनाव में उनके प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर भी होने लगी।
दरअसल अपनी आक्रामक हिंदुत्व राजनीति के साथ जन कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी तरीके से कार्यान्वयन और कानून-व्यवस्था पर ‘कोई ढिलाई नहीं’ का सख्त संदेश देकर योगी पहले से ही भगवा दल में छाए हुए थे, इसी के आधार पर यूपी में उन्होंने पुनः कमल खिलाया। बता दें कि अपराधियों और माफिया के खिलाफ ‘बुलडोजर’ चलाने का नारा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में खूब उछला था। बहुमत से सत्ता में लौटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके समर्थकों ने ‘बुलडोजर बाबा’ का नया नाम भी दे दिया था।
अब बात करते है उत्तराखंड की, राज्य के गठन के बाद से हर पांच साल में उत्तराखंड में सरकार बदल जाती थी। हालांकि पहली बार हुआ था जब किसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई। उत्तराखंड में बीजेपी ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी, कांग्रेस को 19 सीटें मिलीं, जबकि अन्य के खाते में चार सीटें गईं थी। और आम आदमी पार्टी की लगभग सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई। हालांकि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपना चुनाव हार गए थे। उन्होंने खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, जहां से उन्हें हार मिली थी। लेकिन बीजेपी के लिए राहत की बात यह रही कि पार्टी एक बार फिर से राज्य में अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही और पुष्कर सिंह धामी को लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाया गया। दरअसल विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने में धामी की भूमिका महत्वपूर्ण रही। साथ ही उन्होंने पार्टी में नई ऊर्जा का संचार किया था। जिसके आधार पर उन्हें पुनः मुख्यमंत्री का पद दिया गया था।
वहीं यूपी और उत्तराखंड के बाद जिस राज्य की सबसे ज्यादा चर्चा रही, वह गोवा था। यहाँ कुल 40 सीटों में से भाजपा ने 20 सीटों पर कब्जा किया था। इसी के साथ 3 निर्दलीय और और 2 सीट जीतने वाली महाराष्ट्रवादी गोमांतक (एमजीपी) ने भाजपा को अपना समर्थन दिया था जिसके बाद राज्य में भाजपा की तीसरी बार सरकार बनी थी। दूसरी ओर कांग्रेस को केवल 11 सीटें मिली थी। वहीं टीएमसी का इस चुनाव में खाता भी नहीं खुला। जबकि जीत का दावा ठोक रही आम आदमी पार्टी को महज 2 सीट मिली थी।
बता दें कि मनोहर पर्रिकर उत्पल पर्रिकर पणजी सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। अपनी इच्छा से उन्होंने पार्टी को अवगत भी करा दिया था। लेकिन पार्टी की तरफ से उन्हें पणजी सीट से टिकट देने को लेकर कभी पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिला। जिसके बाद उत्पल ने पार्टी छोड़कर निर्दलीय लड़ने का ऐलान कर दियाथा। गोवा में बीजेपी का आधार मजबूत करने में मनोहर पर्रिकर की अहम भूमिका मानी जाती है। हालांकि पणजी से निर्दलीय उम्मीदवार और मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर भाजपा उम्मीदवार से 716 वोटों से हार गए थे। यानी जिस पिता को इस गोवा में मुख्यमंत्री का पद मिला उसी गोवा में उत्पल को वहों के लोगों ने पूरी तरह से नकार दिया। जबकि सीएम प्रमोद सावंत ने मात्र 666 वोटों से चुनाव जीतकर अपनी साख को बचा लिया था। इस जीत के साथ ही प्रमोद सावंत लगातार दूसरी बार यहां मुख्यमंत्री बने।
हालांकि इस विधानसभा चुनाव में पंजाब में बड़ा उलटफेर हुआ। कांग्रेस को हराकर आम आदमी पार्टी ने सत्ता हासिल कर ली। 117 विधानसभा सीटों वाले पंजाब में आप के 92 विधायक चुने गए थे। कांग्रेस 77 से सीधे 18 सीट पर अटक गई। शिरोमणि अकाली दल के केवल तीन प्रत्याशी चुनाव जीत पाए। दिल्ली के बाद ये दूसरा राज्य रहा, जहां अब आम आदमी पार्टी की सरकार है। इसके साथ ही पंजाब में भगवंत मान सिंह मुख्यमंत्री बनाए गए।
मणिपुर में भाजपा ने एनपीपी और एनपीएफ के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। चुनाव में भाजपा को 32 सीटों पर जीत मिली। एनपीपी के सात और जेडीयू के छह प्रत्याशी चुनाव जीते। जबकि कांग्रेस और एनपीएफ को पांच-पांच सीटों से ही संतोष करना पड़ा। चुनाव के बाद भाजपा ने अकेले दम पर सरकार बनाई और एन बीरेन सिंह लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाए गए।
वहीं हाल ही में 8 दिसंबर को गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 156 सीट पर जीत दर्ज करते हुए एक नया रिकार्ड बनाया। यहाँ बीजेपी विजेता घोषित होकर न सिर्फ ऐतिहासिक जीत दर्ज की, बल्कि बड़े अंतर से अच्छी-खासी संख्या में सीट हासिल कर कुछ अन्य रिकॉर्ड भी तोड़े थे। इस जीत के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने लगातार सातवीं बार गुजरात में चुनाव जीता और ये जीत मामूली नहीं थी। गुजरात में भारतीय जनता पार्टी के 1980 में चुनावी राजनीति में आने के बाद की ये सबसे बड़ी जीत थी। ऐसा बंपर जनादेश गुजरात की धरती पर आज तक किसी को नहीं मिला था और ये जनादेश तब मिला है जब 27 साल से गुजरात में बीजेपी की सरकार है। 150 के टारगेट पर चल रही बीजेपी को गुजरात की जनता ने 156 सीटें दिला दी थी। इस जीत के साथ ही भूपेंद्र पटेल ने लगातार दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
इससे स्पष्ट है कि बीजेपी को आम जनता ने सराहा और सम्मान दिया है, वहीं 2024 में लोकसभा का चुनाव होनेवाला है तो क्या विधानसभा चुनाव में होनेवाली जीत बीजेपी का भविष्य तय करने में सफल होंगे। देखना दिलचस्प होगा कि 2022 में इन विधानसभा सीटों की जीत से भाजपा को क्या फायदा मिलेगा। क्या लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी का मैजिक चलेगा। इन विधानसभा सीटों पर लगातार जीत दर्ज कर बीजेपी ने यह तो साबित कर दिया कि वह जनता की पहली पसंद है। ऐसे में 2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव पर सभी की निगाहें टिकी हुई है।
ये भी देखें