राजधानी दिल्ली महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। सवाल यह है कि दिल्ली में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध को रोकने के लिए राज्य सरकार की तरफ से क्या कदम उठायें जा रहे है? दिल्ली में महिलाओं पर होनेवाले अपराधों में कहीं से भी कोई कमी नजर नहीं आती। देश में दिल्ली प्रथम स्थान पर है जहां महिलाओं को लेकर सबसे ज्यादा अत्याचार या अपराध की खबरें सामने आती है। वहीं बात यदि बीते साल 2022 की करें तो राष्ट्रीय महिला आयोग को महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों की लगभग 31,000 शिकायतें मिलीं, जो 2014 के बाद सबसे अधिक हैं।
महिलाओं के खिलाफ दिल्ली में हुए अपराध के कई मामले 2022 में सुर्खियों में रहे हैं। इन मामलों की बात करें तो दिल्ली में 17 साल की एक लड़की पर बाइक सवार युवकों ने एसिड फेंका था। फिर दिल्ली का श्रद्धा मर्डर केस काफी सुर्खियों में रहा। वहीं 1 जनवरी को दिल्ली के कंझावला में रहनेवाली अंजली सिंह को कार सवारों ने कई किमी तक उनके शरीर को घसीटा था। जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी। देश की राजधानी में अंजलि के मौत की गूंज अभी थमी भी नहीं की, एक के बाद एक कई वारदात होते जा रहे हैं। एक तरफ जहां आदर्श नगर में महिला पर उसके दोस्त ने चाकू से हमला कर कर दिया तो वहीं दूसरी और पांडव नगर में नए साल का जश्न मनाने से इनकार करने पर महिला पर तेजाब फेंकने की धमकी दी गई। हालांकि इन घटनाओं से पहले दिल्ली में घटनेवाली उन पुराने घटनाओं को जानते है जिसने महिला अपराधों के मामले में दिल्ली को शीर्ष स्थान पर ला दिया।
22 फरवरी 2005 की दर्दनाक कहानी जिससे दिल्ली दहल उठा था। जहां लक्ष्मी अग्रवाल नाम की महज 15 साल की लड़की पर एसिड से अटैक हुआ था। 32 वर्षीय नईम खान ने लक्ष्मी पर एसिड से अटैक किया था। बता दें कि नईम खान लक्ष्मी को काफी पसंद करता था और लक्ष्मी से शादी भी करना चाहता था लेकिन लक्ष्मी ने उसे ना कह दिया। लक्ष्मी के मना करने के बावजूद भी नईम खान उसका पीछा करता था जब लक्ष्मी स्कूल जाती तब नईम उसका इंतज़ार करता इतना ही नही नईम ने लक्ष्मी का 10 महीनों तक लगातार पीछा किया। हालांकि लक्ष्मी के लगातार मना करने के बाद आक्रोश में आकर नईम ने इस वारदात को अंजाम दिया था। एसिड अटैक की घटना के बाद सबसे पहले लक्ष्मी ने एक अभियान चलाया जिसका नाम था स्टॉप एसिड अटैक।
वहीं 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में घटने वाली उस वारदात से पूरा देश दहल उठा था। जानना बहुत जरूरी है कि क्या हुआ था 16 दिसंबर की उस खौफनाक रात को? 23 साल की फिजियोथिरेपिस्ट निर्भया अपने एक दोस्त के साथ मूवी देख कर लौटी रही थी। दोनों को द्वारका जाना था, जहां उनका घर था। तभी वहां एक ऑफ-ड्यूटी चार्टर बस आती है। जिसमें दोनों चढ़ जाते है। हालांकि कुछ दूर जाने के बाद दोनों को शक हुआ क्यूंकी बस दूसरी दिशा में जाने लगती है। हालांकि निर्भया के दोस्त ने विरोध किया जिसके बाद उन लोगों ने लोहे की रॉड से वार कर उसे बेहोश कर दिया गया। उसके बेहोश होते ही, वो दरिंदे निर्भया को चलती बस के पिछले हिस्से में ले गए और बारी-बारी से उसका रेप किया। निर्भया की हालत बदतर हो गई ये घटना इतनी वीभत्स थी कि देशभर का गुस्सा फूट पड़ा। दिल्ली की सड़कों पर हजारों की भीड़ उतर आई। निर्भया की हालत बिगड़ती चली गई। उसे सिंगापुर के एक अस्पताल में शिफ्ट किया गया जहां वह 29 दिसंबर की रात जिंदगी की जंग हार गई।
14 दिसंबर 2022, दिल्ली तेजाब कांड द्वारका में 17 साल की लड़की के ऊपर एक लड़के ने एसिड फेंक दिया था। जिसमें पीड़िता का चेहरा सात-आठ फीसदी झुलस गया है और आंखों पर असर हुआ था। इस घटना के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ट्विटर पर एक पोस्ट के जरिए स्कूल में पढ़ने वाली पीड़ित लड़की के लिए न्याय की मांग की और देश में तेजाब की खुलेआम बिक्री पर प्रतिबंध लगाने में नाकाम रहने के लिए सरकार की आलोचना की। दिल्ली महिला आयोग सालों से देश में तेज़ाब बैन करने की लड़ाई लड़ रहा है. कब जागेगी सरकार ?”
वहीं श्रद्धा मर्डर केस जिसने एक बार फिर दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षितता पर सवाल खड़ा कर दिया। कहानी की शुरुवात लीव इन रीलैशनशिप से शुरू होती है आफताब श्रद्धा का प्रेमी था। दोनों मुंबई के रहने वाले थे और कुछ दिन पहले ही दिल्ली में शिफ्ट हुए थे। 18 मई 2022 को आफताब ने लड़ाई के चलते श्रद्धा की गला दबाकर हत्या कर दी थी। आफताब ने इसके बाद श्रद्धा के शव के 35 टुकड़े किए थे। आफताब ने इस टुकड़ों को एक फ्रिज में रखा था। वह रोज रात में श्रद्धा के शव के एक टुकड़े को महरौली के जंगल में फेंकने के लिए जाता था। सोचनेवाली बात है कि देश की राजधानी दिल्ली में इस तरह के अपराधों में कोई कमी क्यों नहीं आती। यूपी में भी अपराध है पर वहाँ पर अपराधों को सबक सीखाना राज्य सरकार ओ अच्छी तरह से आता है। यूपी में अपराधियों के घर बुलडोजर चलाना जो काफी सुर्खियों में रहा है, महिलाओं के अपराध के मामले में अपराधियों का एनकाउंटर कर मारा गिराना। यानी अपराधियों पर तुरंत एक्सन लेना। सवाल यह है कि दिल्ली में हर दिन अपराध बढ़ रहे हैं किसी भी स्तर पर कोई कमी नजर नहीं आ रही है घरेलू हिंसा से लेकर जधन्य अपराध में महिलाओं को टारगेट किया जा रहा है। राजधानी में आखिर क्या वजह है जो इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।
साल 2022 को अलविदा कह 2023 का आगमन हो गया है हर किसी कि इच्छा कि यह वर्ष सुखमय हो लेकिन इस दिन राजधानी दिल्ली में पुनः एक बार महिला अपराध की शिकार बनी। दिल्ली के कंझावला में सामने आई डरावनी घटना से हर कोई हैरान हो गया। 12 किमी तक कार से घिसटती 20 वर्षीय अंजली सिंह की दर्दनाक मौत हो गई। कार से शव को घसीटने से शरीर के कई हिस्से अलग-अलग हो गए थे। युवती के दोनों हाथ-पैर, सिर व शरीर के अन्य हिस्से बुरी तरह से कटकर अलग हो गए। छाती और अन्य अंगों के चिथड़े उड़ गए। इस घटना के बाद लोग सड़क पर उतर गए और घटना पर आक्रोश व्यक्त किया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल समेत सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर इस घटना की निंदा और आलोचना की है।
वहीं दिल्ली के अपराधों का जिक्र करते हुए बटन चाहूँगी की आदर्श नगर में महिला पर उसके दोस्त ने चाकू से हमला कर दिया तो पांडव नगर में नए साल का जश्न मनाने से इनकार करने पर महिला पर तेजाब फेंकने की धमकी दी गई। शुरुआत आदर्श नगर के वारदात से करते हैं। दरअसल दोस्ती तोड़ने पर नाराज़ एक युवक ने अपनी महिला दोस्त पर चाकू से हमला कर दिया। सनकी युवक ने चाकू से आधा दर्जन वार किया। जिसके बाद घायल युवती को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जबकि दूसरी वारदात पांडव नगर में हुई। लड़की ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दी है कि एक लड़के ने उसे कार में खींचने की कोशिश की, नए साल की पार्टी साथ में ना मनाने की वजह वो लड़का गुस्से में था, उसने तेजाब फेंकने की धमकी भी दी। इस तरह की घटना दिल्ली में आखिर कब तक?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इतना भी लाचार नहीं होना चाहिए, जो हमेशा महिला सुरक्षा को उम्मीद के भरोसे छोड़कर बच निकले। हालांकि दिल्ली में बस महिलाओं को नहीं बल्कि पुरुषों से लेकर बुजुर्गों सभी को टारगेट किया जाता है। सोचनेवाली बात है कि सरकार ने महिला सुरक्षा के जिन मुद्दों और बिंदुओं को लेकर मंत्रिमंडल समूह का गठन किया था उस पर कार्य क्यों नहीं किया गया। दिल्ली सरकार पर हमेशा ही दिल्ली की जनता की समस्याओं पर कारगर रणनीति बनाने और उनका हल निकालने के बजाय यहाँ वहाँ की बातों पर उलझाएं रखने का आरोप लगता रहा हैं। गौरतलब है कि जनता अगर सरकार चुनती है तो राज्य के शासन-प्रशासन के प्रति जवाबदेही और जिम्मेदारी प्राथमिक तौर पर सरकार की ही बनती है। लेकिन अरविंद केजरीवाल सियासती मामलों में ज्यादा रुचि रखते है उन्हें दिल्ली की महिलाओं या जनता की कोई परवाह नहीं है तभी दिल्ली अपराधों की नगरी बन गई है। ना जाने महिलाओं पर होनेवाले अत्याचार दिल्ली में कब थमेंगे?
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