उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की वजह से 678 घरों में दरारें आई है। वहीं केंद्र की एक टीम हालात का जायजा लेने यहां पहुंची। राज्य सरकार ने जोशीमठ को 3 जोन में बांटने का फैसला किया है। इनके नाम- डेंजर, बफर और सेफ जोन होंगे। जोन के आधार पर मकानों की मार्किंग की जाएगी। डेंजर जोन वाले मकानों पर लाल निशान लगाए जा रहे हैं। इसी बीच आज से जिन मकानों और होटल्स को डेंजर जोन में रखा गया है उन्हें गिराने का काम शुरू करेगा। ये काम सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की की मॉनिटरिंग में किया जाएगा। सेफ जोन में वैसे घर होंगे जिनमें हल्की दरारें हैं और जिसके टूटने की आशंका बेहद कम है। वहीं बफर जोन में वो मकान होंगे, जिनमें हल्की दरारें हैं, लेकिन दरारों के बढ़ने का खतरा है।
बता दें कि जोशीमठ मामले को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है। जोशीमठ के सिंधी गांधीनगर और मनोहर बाग एरिया डेंजर जोन में हैं। यहां के मकानों पर रेड क्रॉस लगाए गए हैं। प्रशासन ने इन मकानों को रहने लायक नहीं बताया है। यहां 603 घरों में दरारें आई हैं। अभी तक 70 परिवारों को वहां से हटाया गया है। बाकियों को हटाने का काम चल रहा है।
आज दो होटल मलारी इन और होटल माउंट व्यू गिराए जाएंगे। सबसे पहले ऊपरी हिस्सा गिराया जाएगा। दोनों होटल एक-दूसरे के काफी करीब आ चुके हैं। इनके आसपास मकान हैं इसलिए इन्हें गिराना जरूरी है। वहीं जोशीमठ और आसपास के इलाकों में कंस्ट्रक्शन बैन कर दिया गया है। मीटिंग के दौरान एक्सपर्ट ने जोशीमठ में बड़े रिस्क की आशंका जाहिर की गई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्लास्टिंग और शहर के नीचे सुरंग बनाने की वजह से पहाड़ धंस रहे हैं।अगर इसे तुरंत नहीं रोका गया, तो शहर मलबे में बदल सकता है। वैज्ञानिक यह पता लगाने में लगे हैं कि लैंडस्लाइड को कैसे रोका जा सकता है। हालांकि अभी के हालात को देखते हुए लोगों को डेंजर जोन से निकालना ज्यादा जरूरी है।
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