ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में महज 15 दिन के भीतर तीसरे हिन्दू मंदिर पर हमला हुआ है। साथ ही मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे गए। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया में 12 और 17 जनवरी को हमले के बाद भारत विरोधी नारे लिखे गए थे। इस बार यहां के इस्कॉन मंदिर की दीवारों पर खालिस्तान समर्थक और भारत विरोधी नारे लिखे गए। इस्कॉन मंदिर, जिसे हरे कृष्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मेलबर्न में भक्ति योग आंदोलन का एक प्रसिद्ध केंद्र है। खालिस्तान समर्थकों ने मंदिर की दिवारों पर ‘खालिस्तान जिंदाबाद’, ‘हिंदुस्तान मुर्दाबाद’, ‘संत भिंडरावाले शहीद है’ के नारे काले रंग से लिखे हैं।
हाल ही के दिनों में हिन्दुओं के मंदिरों पर तीसरा हमला है। यह भी देखने में आया है कि जैसे पिछले मंदिर पर किए गए हमले का वीडियो खालिस्तानी तत्व जम कर साझा कर रहे हैं और वीरता को प्रदर्शित कर रहे हैं, इस मंदिर पर हमले का भी वीडियो उसी प्रकार साझा कर रहे हैं।
वहीं इन घटनाओं को लेकर नाराज ऑस्ट्रेलिया के हिन्दू समुदाय ने स्थानीय सरकार से फौरन कार्रवाई की मांग की है। यह आरोप भी लगाया कि पिछ्ली घटनाओं पर कार्रवाई न होने के कारण यह सिलसिला बढ़ रहा है। इससे पहले मेलबर्न में ही श्री शिव विष्णु मंदिर और स्वामीनारायण मंदिर के बाहर भी ऐसी ही घटना हो चुकी है। 12 जनवरी को खालिस्तान समर्थकों ने स्वामीनारायण मंदिर पर हमला कर दिया था। खालिस्तान समर्थकों ने मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी पेंटिंग बना दी थी। और दीवारों पर “हिंदुस्तान मुर्दाबाद” के नारे लिख दिए गए थे।
वहीं 17 जनवरी को खालिस्तानी समर्थकों की तरफ से विक्टोरिया के कार्रुम डॉन्स में स्थित शिव विष्णु मंदिर पर हमला किया गया था। मंदिर में तोड़फोड़ की घटना तब सामने आई थी, जब तमिल हिंदू समुदाय के तीन दिन लंबे त्योहार थाई पोंगल पर दर्शन के लिए श्रद्धालु मंदिर पहुंचे थे।
हालांकि इस तीसरी घटना पर इस्कॉन मंदिर के संचार निदेशक भक्त दास ने कहा, ‘हम पूजा स्थल के सम्मान के लिए इस घोर उपेक्षा से हैरान और नाराज हैं। ’ वहीं पिछले दो हफ्तों में विक्टोरिया पुलिस उन लोगों के खिलाफ कोई निर्णायक कार्रवाई करने में विफल रही है, जो शांतिपूर्ण हिंदू समुदाय के खिलाफ अपना नफरत भरा एजेंडा चला रहे हैं।’ बता दें कि खालिस्तान समर्थकों ने 12 जनवरी को पहले मंदिर पर हमला किया था। इसके ठीक 5 दिन बाद दूसरे मंदिर को निशाना बनाया था।
इस्कॉन मंदिर पर यह हमला विक्टोरियन बहु-विश्वास नेताओं की विक्टोरियाई बहुसांस्कृतिक आयोग के साथ एक आपातकालीन बैठक के ठीक दो दिन बाद हुआ, जिसके बाद कथित तौर पर खालिस्तानी समर्थकों द्वारा हिंदुओं के प्रति नफरत फैलाने के विरोध में निंदा प्रस्ताव पारित किया गया था। विक्टोरियन लिबरल पार्टी के सांसद ब्रैड बैटिन ने द ऑस्ट्रेलिया टुडे को बताया कि, ‘ये घटिया है। हमें ऐसा नहीं होने देना चाहिए।’
वहीं, भारत सरकार ने पिछले हफ्ते ऑस्ट्रेलिया में हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की निंदा की और कहा कि इस मामले को कैनबरा में ऑस्ट्रेलियाई सरकार के साथ उठाया गया है और अपराधियों के खिलाफ तेजी से जांच करने के लिए कहा गया है। भारत में ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओ’फारेल ने भारतीय हस्तक्षेप के बाद एक बयान जारी किया। उन्होंने ट्वीट किया, ”हम मेलबर्न में दो हिंदू मंदिरों में हुई तोड़फोड़ से स्तब्ध हैं। इसे लेकर ऑस्ट्रेलियाई अधिकारी जांच कर रहे हैं।”
दरअसल, ऑस्ट्रेलिया में हिंदू तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। 2021 की जनगणना के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में 6 लाख 84 हजार हिंदू रहते हैं। यह वहां की आबादी का 2.7% है। वहीं सिखों की संख्या करीब 2 लाख 9 हजार है, जो कुल आबादी के 0.8% हैं। बड़ी बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले 34% हिंदू 14 साल और 66% हिंदू 34 साल की उम्र वाले हैं। यही नहीं, जुलाई 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में 96 हजार भारतीय छात्र पढ़ रहे थे।
वहीं 12 जनवरी से 23 जनवरी के बीच तीनों घटनाओं में मेलबर्न के मंदिरों की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे गए। हालांकि पुलिस अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। लाजमी है कि इस तरह के लोग हर धर्म में होते हैं। पुलिस पहचान करके उनके खिलाफ कार्रवाई करे। इसी महीने मेलबर्न के तीन अलग-अलग हिंदू मंदिरों की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे गए। 12 जनवरी को स्वामीनारायण मंदिर पर पेंटिंग को नुकसान पहुंचाया गया। 17 जनवरी को शिव विष्णु मंदिर में तोड़फोड़ की गई। वहीं 23 जनवरी को हरे कृष्णा मंदिर पर हमला किया गया।
पहली घटना के बाद ही हिंदू और सिख संगठनों ने साझा बयान जारी किया था। इन घटनाओं को 29 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया में होने वाले कथित खालिस्तान रेफरेंडम से जोड़कर देखा जा रहा है। इससे पहले ऐसे रेफरेंडम कुछ कनाडाई और अमेरिकी शहरों में हो चुके हैं। भारत में प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ यह कथित जनमत संग्रह करवा रहा है। ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में तीन हिंदू मंदिरों पर भारत विरोधी और खालिस्तान समर्थक नारे लिखे जाने के बाद वहां का हिंदू समुदाय सकते में है। हालांकि समुदाय ने संवेदनशील और परिपक्व प्रतिक्रिया दी है। हिंदू संगठनों ने आगे आकर सिख समुदाय के साथ एकता का संदेश दिया है। वहीं ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले आम भारतीयों ने भी शांति का आह्वान किया है। वहीं इस तरह की गतिविधियां करने वाले लोग असल में यहां रहने वाले और भविष्य में आने वाले भारतीयों के लिए ही समस्याएं पैदा करते हैं।’
हालांकि यह बात भी सच है कि शासन के स्तर पर यह आश्वासन दिया जा रहा है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, परन्तु तीसरे मंदिर पर हमले ने यह दिखाया है कि ऐसे क़दमों का विशेष लाभ नही हो रहा है। ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी समर्थक इन दिनों भारत सरकार का विरोध करने के लिए और अपने लिए अलग खालिस्तान की मांग करने के लिए हिन्दू मंदिरों और भारत से प्यार करने वाले लोगों पर निशाना साध रहे हैं। वह हर संभव प्रयास कर रहे हैं और हर तरह की घृणा का प्रदर्शन कर रहे हैं।
जबकि भारत में भी खालिस्तानी आन्दोलन को दोबारा जिंदा करने का कुछ आतंकी प्रयास कर रहे हैं और अभी हाल ही में एक संदिग्ध खालिस्तानी आतंकी ने नौशाद के साथ मिलकर एक हिन्दू युवक की हत्या कर दी थी। और यह हत्या केवल इसलिए की गयी थी जिससे पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं को वह लोग यह विश्वास दिला सकें कि वह हत्या कर सकते हैं। भारत के नागरिक आज भी उस हिंसा को स्मरण करके सिहर उठते हैं जो खालिस्तानी आतंक के दौर में हुई थी। हजारों हिन्दुओं को खालिस्तानी आतंकियों ने अपनी घृणा का शिकार बनाया था।
खालिस्तानी आतंकी सिखों के लिए खालिस्तान की मांग करते हैं, मगर यहीं पर उनका सारा एजेंडा विफल हो जाता है क्योंकि उन्हें केवल भारत वाले पंजाब के लिए ही आजादी चाहिए। पाकिस्तान वाले पंजाब की वह लोग बात नहीं करते हैं। यही कारण है कि ऑस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीय इस खालिस्तानी आतंक का जमकर सामना करते हैं और उनका हर सम्भव विरोध करते हैं, जैसा विभिन्न अवसरों पर देखा भी गया है।
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