अदानी ग्रुप उस समय चर्चा में आया जब अमेरिका की शॉर्ट-सेलिंग फार्म हिंडनबर्ग रिसर्च की एक निगेटिव रिपोर्ट सामने आई। इस रिपोर्ट के चलते दुनिया के सबसे बड़े रईसों में शुमार गौतम अडानी को 45 हजार करोड़ रुपए का झटका लगा। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडानी ग्रुप में सबकुछ ठीकठाक नहीं है। ग्रुप दशकों से खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और अकाउंट धोखाधड़ी में शामिल रहा है। वहीं 24 जनवरी 2023 के बाद से अडानी ग्रुप के शेयर हर दिन टूटे और ऐसा टूटे कि दुनिया के अमीरों की सूची से गौतम अडानी टॉप-20 से भी बाहर हो गए। शेयरों में आई गिरावट की वजह से अडानी ग्रुप के मार्केट कैपिटलाइजेशन में अब तक कुल 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की गिरावट आई है। जवाब में गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप ने आरोपों को निराधार और भ्रामक बताया था। उन्होंने दावा किया कि इस रिपोर्ट में जनता को गुमराह किया गया।
वहीं इसी बीच यूपी में भी अडानी समूह को एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल राज्य में स्मार्ट प्रीपेड मीटर सप्लाई से जुड़ा उनका टेंडर निरस्त कर दिया गया है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने कंपनी का स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का टेंडर निरस्त कर दिया है। इसकी लागत लगभग 5400 करोड़ है। इस टेंडर की दर अनुमानित लागत से करीब 48 से 65 प्रतिशत अधिक थी, जिसकी वजह से इसका शुरू से ही विरोध हो रहा था। अब पश्चिमांचल, पूर्वांचल, दक्षिणांचल और डिस्कॉम के टेंडर पर भी नजरें टिकी हुई हैं। दक्षिणांचल में भी अडानी समूह का टेंडर है।
प्रदेश में करीब 2.5 करोड़ प्रीपेट स्मार्ट मीटर लगने हैं। इनके लिए 25 हजार करोड़ के टेंडर हुए हैं। टेंडर के प्रस्ताव के मुताबिक, हर मीटर की कीमत करीब नौ से 10 हजार रुपया पड़ रही थी। जबकि अनुमानित लागत छह हजार रुपये प्रति मीटर है। इस मामले में यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने प्रति मीटर अधिक मूल्य होने के मामले में ऊर्जा मंत्रालय से सलाह ली, लेकिन वहां से फैसला कॉरपोरेशन पर ही छोड़ दिया गया। जबकि उपभोक्ता परिषद ने महंगा मीटर लगाकर उपभोक्ताओं पर भार डालने का आरोप लगाया और मामले में मुख्यमंत्री से शिकायत की। वहीं अब मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के अधीक्षण अभियंता अशोक कुमार ने अदाणी समूह का टेंडर निरस्त कर दिया है। जबकि राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा टेंडर निरस्त करने को जायज ठहराया है।
उधर अदाणी समूह से जुड़े मामले को लेकर कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने देशभर में प्रदर्शन किया। उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और जीवन बीमा निगम के दफ्तरों के सामने प्रदर्शन किया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर समेत देशभर में विरोध प्रदर्शन किया। और संसद भवन के परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष भी प्रदर्शन किया।
इस प्रदर्शन से पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे के कक्ष में बैठक कर विपक्षी नेताओं ने साझा रणनीति पर चर्चा की। विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति, आम आदमी पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), द्रमुक, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (उद्धव ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल जैसे 16 दल शामिल हुए। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य विपक्ष की बैठक में शामिल नहीं हुए थे, लेकिन संसद परिसर में हुए प्रदर्शन में वे शामिल हुए। इस दौरान विपक्षी दलों ने अडानी और हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर चर्चा करने की मांग करने पर आंदोलन जारी रहने की मांग की। विपक्षी दलों ने कहा कि अडानी पर चर्चा को मंजूरी मिलने तक संसद की कार्यवाही चलने नहीं दी जाएगी। विपक्षी दलों की मांग है कि अडानी के मुद्दे पर संसद की ओर से संयुक्त संसदीय समिति गठित होनी चाहिए। और यदि ऐसा नहीं हो सकता तो फिर सुप्रीम कोर्ट के किसी जज की निगरानी में जांच कराई जानी चाहिए
इस विवाद से जुड़ा मुंबई का धारावी क्षेत्र, जिसे हर कोई जानता है, यह एशिया के सबसे बड़े स्लम एरिया में शामिल है। धारावी स्लम का क्षेत्र 2.5 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह पूरा इलाका मुंबई के बिलकुल बीचो-बीच स्थित है। जिसके एक तरफ बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स है तो दूसरी तरफ दादर है। वहीं तमाम कंपनियों को पछाड़ते हुए अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी रियल्टी ने धारावी स्लम के कायाकल्प के लिए रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट की बोली जीत ली थी। अडानी की बोली 5,069 करोड़ रुपये की थी। बोली लगाने में दूसरे नंबर पर डीएलएफ ग्रुप रहा जिसने 2,025 करोड़ रुपए की बोली लगाई, जबकि नमन ग्रुप की बोली रद्द कर दी गई। इस टेंडर में 8 ग्लोबल कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन असल में सिर्फ तीन कंपनियों ने टेंडर जमा किए। वहीं इससे पहले धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट लगभग दो दशकों से अटका हुआ है।
बता दें कि धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट 20 हजार करोड़ का है। सरकार का लक्ष्य अगले 17 साल में प्रोजेक्ट पूरा करना और सात साल में पूर्ण पुनर्वास करना है। प्रोजेक्ट के तहत, जो लोग 1 जनवरी 2000 से पहले से धारावी में रह रहे हैं उन्हें फ्री में पक्का मकान दिया जाएगा। जबकि, जो लोग 2000 से 2011 के बीच आकर यहां बसे हैं, उन्हें इसके लिए कीमत चुकानी होगी।
धारावी को लेकर बात करें तो साल 2008 में ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ फिल्म के रिलीज़ होने के बाद इस क्षेत्र को लोकप्रियता मिली। वहीं इसके बाद फिल्म गली बॉय में ये देखने को मिली थी। कई टूरिस्ट यहां भारत की बस्ती में रहने वालों के जीवन की झलक देखने आते हैं।
इस इलाके का इतिहास बेहद दिलचस्प है, दरअसल इस इलाके को 1882 में अंग्रेजों ने बसाया था। मजदूरों को किफायती ठिकाना देने के मकसद से इसे बसाया गया था। धीरे-धीरे यहां लोग बढ़ने लगे और झुग्गी-बस्तियां बन गईं। यहां की जमीन सरकारी है, लेकिन लोगों ने झुग्गी-बस्ती बना ली है। 2.8 वर्ग किमी में फैली झुग्गी बस्ती में चमड़े की चीजें और मिट्टी के सजावटी बर्तन तैयार किए जाते हैं। यहां तैयार सामानों को देश-विदेशों में बेचा जाता है। वर्तमान में धारावी में 60 हजार परिवार और करीब 12 हजार कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स हैं। कुल मिलाकर यहाँ करीब 10 लाख लोग रहते हैं। अडानी ग्रुप की तरह से पुनर्विकास परियोजना की सहायता से इसे शानदार इमारतों, चौड़ी सड़कों, आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों, स्कूलों, अस्पतालों, उद्यानों, खेल के मैदानो के साथ बदलने की योजना बनाई गई।
जहां एक तरफ कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सचिन सावंत ने ट्वीट कर कहा कि अडानी समूह के शेयरों में गिरावट को देखते हुए लग रहा है कि सब ठीक नहीं है और इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। तो वहीं दूसरी ओर शिवसेना प्रवक्ता किशोर तिवारी ने आरोप लगाया कि महाविकास अघाड़ी सरकार को इसलिए गिराया गया था, ताकि अडानी ग्रुप को राज्य के बड़े प्रोजेक्ट दिलाए जा सकें। किशोर तिवारी ने अडानी ग्रुप को दिए गए नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट समेत तमाम बड़े प्रोजेक्ट के भविष्य पर भी सवाल उठाया।
मुंबई धारावी को रिडेवलप करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने प्लान तैयार किया था। इसके तहत अडानी की कंपनी के साथ करार कर स्लम एरिया को संवारा जाना था। धारावी पुनर्विकास परियोजना से इस एरिया में झुग्गी झोपड़ियों में रहने वालों को फायदा और उनके जीवन में बदलाव देखने को मिलेगा। प्रोजेक्ट के तहत धारावी के झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले योग्य लोगों को मुफ्त में घर मिलने की बात कहीं गई। जो जरूरी सुविधाओं से लैस होगा। लेकिन तमाम विवादों के बाद अब विपक्ष ने सरकार से अडानी को दिए गए कॉन्ट्रैक्ट पर विचार करने की मांग की है।
राज्य सरकार की शर्तों के आधार पर धारावी के पुनर्विकास का काम किया जाना है। लेकिन अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट को देखते हुए जहां विपक्षी दलों ने धारावी के रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर चिंता जताई है। तो वहीं स्थानीय निवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाली धारावी पुनर्वास समिति (डीआरसी) तेजी से हो रहे घटनाक्रमों से घबरा रही है, जो प्रतिदिन डराने वाली सुर्खियां बटोर रही हैं। डीआरसी के अध्यक्ष राजू कोर्डे ने कहा कि अडानी समूह की विश्वसनीयता अब गंभीर संदेह में है। हमें लगता है कि वह इस परियोजना को समय पर पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। इसलिए, हम महाराष्ट्र सरकार से इसे फिर से टेंडर करने और इसे किसी अन्य पार्टी को देने के लिए कह रहे हैं। अडानी पर संकट के जो बदल मंडरा रहे है उनसे छुटकारा कब मिलेगा देखना होगा वहीं धारावी को लेकर पुनर्विकास परियोजना यह आगे कार्य करेगा या यही थम जाएगा। लाखों की तादाद में आस बैठाए हुए लोगों को क्या मिलेगा देखना महत्वपूर्ण होगा।
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गौतम अडानी के समर्थन में उतरे पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग।