भारत में रामचरितमानस को लेकर जहां महाभारत हो रहा है। तो वहीं दूसरी और उधर, भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका श्री राम के आदर्श और विरासत को पर्यटन के रूप में विकसित कर श्रीलंका को एक बार फिर विकास के पथ पर ले जाने को आतुर है। रावण के देश के नाम से मशहूर श्रीलंका अब भगवान श्री राम पर्यटन को विकसित कर बिगड़ती आर्थिक स्थिति से उबरने की कोशिश कर रहा है। हम चर्चा करने जा रहे हैं कि यह पर्यटन क्या होगा।
पिछले साल श्रीलंका ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया था। श्रीलंका की यह आर्थिक स्थिति आज खराब नहीं हुई है। बल्कि श्रीलंका पिछले कुछ सालों से आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। श्रीलंका की स्थिति के पीछे सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण कारण विदेशी निवेश में कमी है। श्रीलंका की मुद्रास्फीति दर एशियाई देशों में सबसे अधिक 15 प्रतिशत है। इसलिए देश में महंगाई बढ़ रही है। देश की नजर वित्तीय संकट से उबारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मदद पर टिकी हुई है। लेकिन वहां से भी कोई राहत नहीं मिली। अंतत: श्रीलंका की आर्थिक कमर टूट गई। लेकिन अगर ऐसी स्थिति में भारत श्रीलंका के पीछे खड़ा हो जाता है तो यह अचंभित करनेवाला होगा क्यूंकी भारत हमेशा से ही पड़ोसियों से दूर भागता रहा है।
श्रीलंका को उबारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए 4 अरब डॉलर का कर्ज मुहैया कराया गया। दवाओं और खाद्यान्न के रूप में सहायता प्रदान की गई। वहीं श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि भारत की मदद से देश की रिकवरी में कुछ हद तक मदद मिली है। लेकिन अभी भी श्रीलंका की स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है। कृषि और पर्यटन व्यवसाय श्रीलंका की जीवनदायिनी है। वर्ल्ड डेटा एटलस के अनुसार, श्रीलंका की कुल सकल आय का लगभग 12% पर्यटन उद्योग से आता है।
यहां आने वाले सैलानियों में तीस फीसदी रूस, यूक्रेन, बेलारूस और पोलैंड से होते हैं। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के कारण यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या अचानक कम हो गई। पिछले दो साल में कोरोना की वजह से पर्यटन कारोबार भी ठप हो गया था। जिसे श्रीलंका को बड़ी मार झेलनी पड़ी। कर्ज में डूबा श्रीलंका अब आय के नए स्रोत तलाश रहा है। उसके लिए अब संकटमोचक के रूप में भगवान श्री राम की सहायता लेने का विचार किया गया। श्रीलंका में रामायण से जुड़े कई स्थान हैं। यह स्थान अब देश में कृषि को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल होने जा रहा है। श्रीलंका में रामायण स्थल के दर्शन के लिए भारत से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान श्रीलंका ने रामायण पर्यटन के लिए भारत में कई प्रचार किए।
पिछले साल श्रीलंका में करीब 75 लाख पर्यटक आए थे, जिनमें से करीब 15 लाख भारत से थे। यह संख्या सर्वाधिक है। दरअसल श्रीलंका ने सोचा है कि रामायण से जुड़ी जगहें भारत से और लोगों को आकर्षित कर सकती हैं। श्रीलंका के पर्यटन विभाग ने रामायण से जुड़े 50 स्थानों की खोज की है। श्रीलंका पर्यटन संवर्धन विभाग के निदेशक जीवन फर्नांडो ने बताया कि भारत के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका के लोगों को रामायण से जुड़े 50 स्थानों की जानकारी दी जाएगी। खासकर इस देश में पर्यटकों में भारतीय मूल के या रामायण में रुचि रखने वाले बहुत से लोग हैं।
इसके अलावा श्रीलंका सरकार बौद्ध धर्म से जुड़े स्थलों की भी पहचान कर रही है। उन जगहों से पर्यटकों को आकर्षित करने का प्रयास किया जाएगा, खासकर जापान और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से। इन देशों के पर्यटक पहले बड़ी संख्या में श्रीलंका जाया करते थे। लेकिन 2019 के बाद से इनकी संख्या में काफी कमी आई है। श्रीलंका पर्यटन विभाग फिलहाल पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है। पर्यटन विभाग ने पिछले साल भारत में रामायण पर्यटन के लिए एक बड़ा प्रचार अभियान शुरू किया था। ‘ज्यादातर भारतीय पर्यटक यहां छुट्टियां मनाने आते हैं।
उस समय वे किसी न किसी रामायण स्थल पर जाते हैं। श्रीलंका के पर्यटन विभाग का मानना है कि भविष्य में रामायण स्थलों पर आने वाले पर्यटकों की संख्या बौद्ध स्थलों की यात्रा करने वालों से अधिक होगी। कुल मिलाक श्रीराम का दायरा हाल के दिनों में बढ़ा हुआ नजर आ रहा है। कोरोना काल में भी मशहूर रामायण सीरियल को दोबारा दिखाया गया। हाल ही में रिलीज हुई फिल्म आरआरआर में राम नायक थे। गणतंत्र दिवस कार्यक्रम के दौरान रामायण चित्ररथ के दर्शन हुए। अयोध्या में श्रीराम के मंदिर निर्माण का काम इस समय जोर पकड़ रहा है।
गंडकी नदी में शालिग्राम अयोध्या पहुंच रहे हैं। इस शालिग्राम से प्रभुराम की मूर्ति बनेगी। हर कोई इस बात को लेकर उत्सुक है कि यह मूर्ति कैसी दिखेगी। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि अयोध्या मंदिर का निर्माण अगले साल 1 जनवरी 2024 को पूरा हो जाएगा। श्रीलंका ने सोचा होगा कि देश में इस श्रीराम वलय से हमें भी लाभ होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि श्रीलंका की यह रामायण पर्यटन पहल निश्चित रूप से पर्यटकों के लिए अभिनव होगी।
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