27 C
Mumbai
Saturday, November 23, 2024
होमब्लॉगविपक्ष में 'अडानी' के मुद्दे पर फूट?

विपक्ष में ‘अडानी’ के मुद्दे पर फूट?

राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक और शरद पवार के पोते रोहित पवार ने उद्योगपति गौतम अडानी का समर्थन किया।

Google News Follow

Related

राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक और शरद पवार के पोते रोहित पवार ने खुले तौर पर उद्योगपति गौतम अडानी का समर्थन किया है, जबकि कांग्रेस सहित देश में विपक्षी दल उन्हें घेरने की कोशिश कर रहे हैं। हिंडनबर्ग रिपोर्ट की आलोचना की जा रही है। रोहित पवार की यह हरकत अडानी ग्रुप को लेकर देश में बवाल खड़ा करने की कोशिश कर रहे विरोधियों को करारा तमाचा है। अडानी पर आरोप लगाने वाले राहुल गांधी और संजय राउत जैसे नेताओं को बेनकाब करने की यह एक कोशिश है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा खत्म की। इससे पहले वे लोकसभा में भी बोले थे। प्रधानमंत्री के सामने लोकसभा में बोलने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अडानी समूह को लेकर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की। यह धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस को भटकाने की कोशिश थी। तो मोदी ने राहुल के आरोपों को खारिज कर दिया। इसलिए राज्यसभा में प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान कांग्रेस सदस्यों ने जमकर हंगामा किया।

बता दें कि 7 फरवरी को लोकसभा में बोलते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गौतम अडानी के साथ जहाज में बैठे नरेंद्र मोदी की तस्वीर शेयर कर हमला बोला था। राहुल गांधी ने प्लेन में बैठे पीएम नरेंद्र मोदी और गौतम अडानी की एक पुरानी फोटो दिखाते हुए सवाल किया,”पीएम मोदी के साथ अडानी का कैसा रिश्ता है?

तब इसका जवाब केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में ही तस्वीर दिखाते हुए दिया था। उन्होंने अडानी के साथ खड़े राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तस्वीर दिखाई और सवाल किया कि क्या हमें कभी इसपर आपत्ति जताई। इतना ही नहीं, किरेन रिजिजू ने रॉबर्ट वाड्रा और अडानी की भी तस्वीर दिखाई और कहा कि दामाद के साथ भी है फोटो। हमने कभी कोई आपत्ति नहीं की।

वहीं एक संयुक्त संसदीय समिति ने इस मामले की जांच की मांग की। उस घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में रोहित पवार के बयान को महत्व मिला है। क्योंकि रोहित पवार एनसीपी के सांसद ही नहीं, बल्कि शरद पवार के पोते भी हैं। शरद पवार इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं जबकि कांग्रेस अडानी मुद्दे को भड़काने की कोशिश कर रही है। बीजेपी, केंद्र सरकार और शिंदे फडणवीस सरकार पर किसी भी मुद्दे पर हमला बोलने की स्थिति में रहने वाली सांसद सुप्रिया सुले भी खामोश हैं।

विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार बीजेपी के खिलाफ कम ही बोलते हैं। इसलिए वे इस मुद्दे पर भी नहीं बोले।
अडानी ग्रुप के सीईओ गौतम अडानी हाल ही में पवार परिवार के निमंत्रण पर बारामती गए थे। उस वक्त रोहित पवार खुद गाड़ी चलाकर उन्हें सभास्थल तक ले गए। अडानी और पवार परिवार का रिश्ता पुराना है। शरद पवार ने कभी भी इस रिश्ते को नकारा नहीं है। वैसे अडानी का देश की हर राजनीतिक पार्टी से गहरा नाता है। लेकिन अब जब वह मुश्किल में हैं तो केवल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने ही उनके पक्ष में खुलकर बात की है। तो ऐसा लगता है कि अडानी के मुद्दे पर विरोधियों में फूट पड़ गई है। इस बीच, बीजेपी ने अडानी पर रोहित पवार के रुख का स्वागत किया है और कारोबारियों को राजनीति के लिए निशाना नहीं बनाने की सलाह दी है।

रोहित पवार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट का उद्देश्य शॉर्ट सेलिंग द्वारा भारी मुनाफा कमाना था। बड़े औद्योगिक समूहों से ही देश के युवाओं के लिए बड़ी संख्या में नौकरियां उपलब्ध कराई हैं। इसमें रिलायंस, टाटा के साथ अडानी ग्रुप का भी नाम है। वहीं अब रोहित पवार ने उम्मीद जताई है कि अडानी इस गंभीर स्थिति में किसी को नौकरी से न निकालें।

एक तरफ राहुल गांधी का दावा है कि देश में बेरोजगारी बढ़ी है। तो वहीं दूसरी तरफ वह देश के बड़े-बड़े कारोबारियों के खिलाफ खड़े रहते हैं। वहीं संजय राउत, जो अभी हाल ही में राहुल गाँधी के चरण में गए है, उनकी ही भाषा बोल रहे है। मानो जैसे इन दोनों ने अडानी को डुबोने का प्रण ले लिया हो। ऐसे में रोहित पवार का खुलकर अडानी का पक्ष लेने का मतलब है कि उन्होंने राहुल गांधी और संजय राउत की बातों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है और उनको कोई महत्त्व नहीं दिया है।

देश के उद्योगपति देश की शान होते हैं, यह समूह देश में संपत्ति बनाने का काम करते है। रोजगार सृजित करते है। लेकिन पिछले कुछ दिनों की तस्वीर देखें तो उद्योगपतियों को बदनाम करने की साजिशें रची जा रही है। रत्नागिरी रिफाइनरी जैसी बड़ी परियोजनाओं का इस आधार पर विरोध किया जा रहा है कि जैसे स्थानीय निवासियों का विरोध है। उद्योगपतियों के घरों के नीचे विस्फोटक रखे जाते हैं। जमातियां ही देश के औद्योगिक जगत के खिलाफ ये साजिशें कर रही हैं और बेरोजगारी के नाम पर तोड़-फोड़ कर रही हैं।

जब अडानी संकट में थे, तब भी पवार परिवार उनके साथ अपने रिश्ते को नहीं भूला था। यह सराहनीय है कि रोहित पवार ने खुलकर अपना पक्ष रखा। कोई भी कारोबारी, चाहे भारत में हो या विदेश में, कानून के दायरे में रहकर काम नहीं करता है। गला काट प्रतियोगिता के दौरान चार चरणों को आगे बढ़ाने के लिए सभी प्रकार के युद्धाभ्यासों का उपयोग किया जाता है। इसका एक माननीय अपवाद हो सकता है। भले ही अदानी पूरी तरह सही न हों। लेकिन इस बात से कोई असहमत नहीं होगा कि इस देश को अडानी की जरूरत है। देश को समृद्ध बनाने के लिए देश को अडानी जैसों की जरूरत है। रोहित पवार में इन पंख कतरनों के खिलाफ बोलने का साहस है, इसलिए उन्हें बधाई दी जानी चाहिए।

ये भी देखें 

2024 चुनाव में चलेगा अडानी दांव?

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,295फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
194,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें