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Friday, September 20, 2024
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दादर का शिवसेना भवन पर भी रार! 

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उद्धव ठाकरे की शिवसेना से धनुष बाण छीन जाने के बाद अब आगे क्या होगा। यह सवाल सभी के जेहन में तैर रहे हैं। शुक्रवार को उद्धव ठाकरे ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम एकनाथ शिंदे को धनुष बाण चोर कहा। इतना ही नहीं, उन्होंने इस मामले में पीएम मोदी को भी लपेट लिया और कहा कि उन्हें लाल किले से यह घोषणा करनी चाहिए कि अब देश में लोकतंत्र खत्म हो चुका है। चुनाव आयोग के इस फैसले से उद्धव ठाकरे खासे नाराज देखे गए। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि अगर असली शिवसेना शिंदे गुट है तो क्या दादर का शिवसेना भवन भी उद्धव ठाकरे के हाथ से जाएगा ? लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या अब शिंदे गुट शिवसेना भवन पर भी दावा ठोंकेगा या इसे लेकर सत्ता का संघर्ष बढ़ने वाला है।

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने शुक्रवार को कहा कि शिवसेना का चुनाव चिन्ह धनुष बाण शिंदे गुट के पास ही रहेगा। जिससे उद्धव गुट को बड़ा झटका माना जा रहा है। आयोग के फैसले के बाद अब उद्धव ठाकरे पुरानी शिवसेना या धनुष बाण पर दावा नहीं कर सकते। हां ऐसा हो सकता है कि इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। लेकिन अभी इस संबंध में उन्होंने कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। इसके साथ ही उद्धव ठाकरे से पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह छीन जाने के बाद चर्चा है कि दादर का शिवसेना भवन भी छीन जाएगा? यह बड़ा सवाल मुंबईकरों और देशवासियों के जेहन में भी उठ रहे हैं।

बता दें कि, शिवसेना भवन मुंबई में शिवसेना का मुख्यालय है। यह मुंबई के मध्य में दादर में स्थित है। इस भवन का ऐतिहासिक महत्व है। इस भवन का उद्घाटन बाला साहेब ठाकरे ने किया था। शिवसेना भवन के बारे में कहा जाता है कि इस भवन को क्षति पहुंचाने की कई बार कोशिश की गई। लेकिन हर प्रयास असफल रहे। बताया जाता है कि मुंबई में जब 1993 में आतंकी हमला हुआ था तब भी शिवसेना भवन को उड़ाने की कोशिश की गई थी। पर इस भवन कांच तक नहीं टूटा था। भवन के पास ही स्थित पेट्रोल पंप पर बम विस्फोट किया गया था। हालांकि, इस बम धमाके से शिवसेना भवन को कोई नुकसान नहीं हुआ था।

हालांकि, जब बालासाहेब ठाकरे ज़िंदा थे तो वे शिवसेना भवन आया जाया करते थे, लेकिन उनके निधन के बाद उद्धव ठाकरे कभी भी शिवसेना भवन नहीं गए। लेकिन जब शिवसेना में फूट पड़ी तो उन्होंने दस दिनों में चार बार शिवसेना भवन का दौरा किया था। अब उसी शिवसेना भवन को लेकर कई तरह की अटकलें मीडिया में छाई हुई हैं। शिवसेना भवन का शिवसेना कार्यकर्ताओं के लिए काफी महत्व है। उनका इससे भवन से भावनात्मक लगाव है।

हालांकि, शिंदे गुट ने अभी तक शिवसेना भवन पर अपना दावा नहीं किया है। लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि शिवसेना के कई फैसलों का यह भवन गवाह रहा है, क्या अब शिवसेना भवन भी  पार्टी और चुनाव चिन्ह की तरह क्या उद्धव ठाकरे के हाथ से फिसल जाएगा। वैसे यह देखना होगा कि शिवसेना भवन पार्टी के नाम पर है या ठाकरे परिवार के नाम पर, अगर ठाकरे परिवार के नाम पर शिवसेना भवन होगा तो शिंदे गुट इस पर दावा नहीं कर सकता है। अगर पार्टी के नाम पर होगा तो यह निश्चित है कि इस पर भी सत्ता का संघर्ष आने वाले समय में देखने को मिलेगा।

वैसे भी पिछले दिनों शिंदे गुट ने यह ऐलान किया था कि दादर स्थित शिवसेना भवन के कुछ दूरी पर ही शिवसेना भवन का निर्माण किया जाएगा। जो उद्धव गुट के शिवसेना भवन से पांच सौ किमी की दूरी पर होगा। बताया जाता है कि उस समय शिंदे गुट ने जो जगह चिन्हित की थी।
वह जगह दादर में रूबी मिल के पास विस्टा सेन्ट्रल नाम की बिल्डिंग थी। जिसके बारे में कहा गया था कि शिंदे गुट इसी बिल्डिंग में अपना मुख्यालय बनाएगा। लेकिन अभी तक शिंदे गुट घोषणा के अलावा आगे नहीं बढ़ पाया है।

हालांकि, सवाल यह भी उठते रहे हैं कि शिंदे गुट दादर में ही शिवसेना भवन क्यों बनाना चाहता है। तो इस बारे में कहा जाता है कि दादर इलाका शिवसेना का गढ़ माना जाता है। इतना ही नहीं दादर मुंबई के मध्य में स्थित है। यहीं वीर सावरकर का भी स्मारक स्थित है। इसके अलावा  मुंबई से बाहर भी दादर की पहचान है। उस समय खबर यह भी थी शिवसेना मुख्यालय के बारे में सीएम शिंदे निर्णय लेंगे। वैसे, यह भी कहा जा रहा है कि सीएम शिंदे ठाणे से आते हैं तो दादर के बजाय ठाणे के आसपास भी शिंदे गुट का मुख्यालय बनाया जा सकता है।

पिछले दिनों बीएमसी में शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे आपस में भिड़ गए थे। इसके बाद यहां के सभी पार्टी के ऑफिस को बंद कर दिया गया था। माना जा रहा है कि आने वाले समय शिवसेना शाखों को लेकर अब  दोनों गुट आपस में संघर्ष करते नजर आएंगे। इस बीच,उद्धव गुट के नेता अनिल देसाई ने कहा है कि चुनाव आयोग चुनाव चिन्ह पर फैसला दिया है शिवसेना भवन या शिवसेना शाखा पर नहीं।

बहरहाल, कहा जाता है कि शिवसेना का मुख्य आधार शिवसेना शाखा थी। जो मुंबई ही नहीं पूरे महाराष्ट्र में स्थापित है। लेकिन आज ये भी शाखाएं उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ चुकी है।दूर दूर  उनके आगे पीछे कोई दिखाई नहीं दे रहा है। इसी साल बीएमसी चुनाव के अलावा कई और चुनाव होने हैं। ऐसे में देखना होगा कि इन चुनावों में उद्धव ठाकरे बिना तीर कमान के कैसे  उतरते हैं। क्या वे आगामी चुनावी रणों में  शिंदे गुट के सामने टिक पाएंगे या उनकी राजनीति  समाप्ति की ओर है।

शिवसेना का सूरज कभी क्षितिज पर हर समय चमकता था। लेकिन बाला साहेब ठाकरे के निधन के बाद पुरानी शिवसेना को उद्धव ठाकरे नहीं संभाल पाए.उसका नतीजा सभी के सामने है। सवाल यह है कि क्या उद्धव ठाकरे नई पार्टी को फलक पर ले जाएंगे ,क्या वे अपनी पार्टी को पुरानी शिवसेना जैसा गौरव लौटा पाएंगे ? यह तो आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल तो  उद्धव ठाकरे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। और एकनाथ शिंदे  उन पर भारी पड़े हैं।

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