सुप्रीम कोर्ट उद्धव ठाकरे द्वारा एकनाथ शिंदे और उनके साथ 16 विधायकों की अयोग्यता को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है| ठाकरे के पक्ष में कपिल सिब्बल लड़ रहे हैं। इस बहस में कपिल सिब्बल ने सुबह-सुबह शपथ ग्रहण का मुद्दा उठाया| साथ ही पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सुबह के शपथ ग्रहण समारोह की सहमति कैसे दी?
ऐसा सवाल कपिल सिब्बल ने भी पूछा है। इतना ही नहीं, कपिल सिब्बल ने यह भी कहा है कि बंटवारे के बाद ठाकरे गुट द्वारा बुलाई गई बैठक में एकनाथ शिंदे के नहीं आने का मतलब है कि घोड़ों का बाजार लग गया है|भगत सिंह कोश्यारी जब महाराष्ट्र के राज्यपाल थे, तब उनके पास बहुमत था या नहीं? इसे देखे बिना उन्होंने देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को सरकार बनाने का न्योता कैसे दे दिया? कपिल सिब्बल ने ऐसा सवाल पूछकर राज्यपाल की भूमिका पर सवाल खड़ा कर दिया है|
सुबह शपथ ग्रहण समारोह इस समय चर्चा में है। इसी मुद्दे को कपिल सिब्बल ने कोर्ट में उठाया था। इतना ही नहीं कपिल सिब्बल ने यह भी कहा है कि उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री का पद इसलिए छोड़ा क्योंकि उन्हें राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की मंशा पता थी|
उधर, कोर्ट में अपनी भूमिका को लेकर सवाल उठने से पहले ही पूर्व राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी इस सवाल का जवाब दे चुके हैं| इस सवाल का जवाब भगत सिंह कोश्यारी ने विभिन्न मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में दिया है। अजित पवार विधायकों के समर्थन का पत्र लेकर मेरे पास आए। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि हमारे पास बहुमत है, इसलिए मैंने देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार को शपथ लेने के लिए सहमति दी।
मेरे पास यह कहने का अधिकार नहीं है कि जब आप राज्यपाल हैं, तो आपके पास जो विधायक हैं, उनकी परेड कराओ, इसलिए उन्होंने जो पत्र मुझे दिखाया, उसे देखकर मैंने उन्हें शपथ दिलाई। इसके बाद वे बहुमत तक नहीं पहुंच सके। कोश्यारी ने कहा है कि वह सरकार 72 घंटे में गिर गई। कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में ठाकरे गुट के पक्ष में जोरदार दलील दी. उन्होंने शिंदे गुट पर कड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने राज्यपाल की भूमिका पर भी संदेह जताया।
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