केंद्रीय चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की बालासाहेब की शिवसेना पार्टी को शिवसेना पार्टी नाम और चुनाव चिन्ह धनुष बाण पार्टी देने का फैसला लिया है। उसके बाद बालासाहेब की शिवसेना पार्टी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि मीडिया अब हमें शिंदे गुट नहीं बल्कि ‘शिवसेना’ कह कर संबोधित करे। यह पत्र शिवसेना केंद्रीय कार्यालय से जारी किया गया है.
शिवसेना में बगावत के बाद पार्टी में ठाकरे और शिंदे नाम के दो गुट हो गए थे. ऐसे में पार्टी पर दावा करने के लिए दोनों गुटों द्वारा चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. ठाकरे गुट ने दावा किया था कि हम मूल शिवसेना पार्टी हैं. तो वहीं शिंदे गुट ने भी शिवसेना पार्टी पर दावा करते हुए कहा था कि हम बाबासाहेब के विचारों के वारिस हैं. लिहाजा मामला चुनाव आयोग तक गया. यह मामला अगस्त से चुनाव आयोग के पास लंबित था.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगा दी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला नहीं था. लेकीन, इसी बीच इस रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा लिया था. इसी के चलते चुनाव आयोग ने भी सुनवाई शुरू कर दी थी. दोनों गुटों का पक्ष सुनने के बाद चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसलिए चुनाव आयोग के नतीजों का इंतजार करते हुए 17 फरवरी को शाम को नतीजों की घोषणा कर दी. शिंदे गुट को चुनाव आयोग ने शिवसेना पार्टी का नाम और धनुष बाण पार्टी का चुनाव चिन्ह दिया था.
इसके अनुसार चुनाव आयोग ने घोषित किया कि शिंदे गुट ही असली शिवसेना है. चुनाव आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि असली शिवसेना शिंदे गुट है क्योंकि शिंदे गुट में सबसे अधिक विधायक और सांसद हैं. वहीं अब पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह मिलने के बाद 21 फरवरी को आनंद आश्रम के केंद्रीय कार्यालय से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई है. इस पत्र के जरिए सचिव संजय भाऊराव मोरे ने मीडिया से गुजारिश की है कि हमें शिंदे गुट की जगह शिवसेना कहा जाए.
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