सुप्रीम कोर्ट में पिछले तीन दिनों से राज्य में सत्ता संघर्ष पर सुनवाई चल रही है|इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने करीब ढाई दिन तक ठाकरे गुट का बचाव किया। उसके बाद अभिषेक मनु सिंघवी वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में ठाकरे समूह का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। शिंदे की बगावत, बहुमत के दावे से लेकर एकनाथ शिंदे के शपथ ग्रहण तक के घटनाक्रम पर कपिल सिब्बल ने विस्तार से बयान किया| इसके बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने बहुमत परीक्षण और विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर अपना पक्ष रखा|
Singhvi: It is true that on 29th, nobody would know what would happen on 30th. And it is true that the technical word used is trust vote but what was allowed to go on was a test on the floor which is inevitable if 39 vote against.#ShivSenaCrisis #SupremeCourt
— Live Law (@LiveLawIndia) February 23, 2023
क्या यह सच है कि 29 जून को कोई नहीं जानता था कि 30 तारीख को क्या होगा? इस संबंध में तकनीकी शब्द विश्वास मत है, लेकिन सदन में केवल बहुमत परीक्षण की अनुमति थी। सिंघवी ने कहा की अगर 39 विधायकों ने इसके खिलाफ मतदान किया होता, तो यह अवश्यंभावी होता। इसलिए इससे एक निष्कर्ष निकाला गया है कि एक चुनावी परीक्षा का अपमान सहने के बजाय एक तरफ हटना है। अब 30 जून को जो हुआ, उसे बदलना नामुमकिन है|
Singhvi: The one conclusion, instead of suffering the humiliation of a vote, is to give up in advance! We're in a real world. There is no arithmetic, no science or physics, which can change the result on 30th.#ShivSenaCrisis #UddhavThackeray #EknathShinde #SupremeCourt
— Live Law (@LiveLawIndia) February 23, 2023