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Friday, September 20, 2024
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अमेठी वाया वायनाड: अनिल एंटोनी होंगे ट्रंप कार्ड? 

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Anil Antony Join to BJP: कांग्रेस की दुश्वारियां पीछा नहीं छोड़ रही हैं। पार्टी एक झटके से उबरी नहीं होती है कि दूसरा झटका कांग्रेस का इन्तजार कर रहा होता है। और इस झटके से कांग्रेस की नींव हिल जाती है। शुक्रवार को जहां आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण रेड्डी बीजेपी में शामिल हो गए। वहीं एक दिन पहले गुरुवार को कांग्रेस नेता अनिल एंटोनी ने बीजेपी का दामन थाम लिया। अनिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटोनी के बेटा है। उन्होंने गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर अपना विरोध जताया था।

जिसका कांग्रेस के नेताओं को बुरा लगा और उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाने लगा था। जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। अब कहा जा रहा है कि राहुल गांधी को अमेठी के बाद वायनाड से कड़ी टक्कर मिलने वाली है। बताया जा रहा है कि आने वाले समय में अनिल एंटोनी को वायनाड के लोकसभा सीट से उतारा जा सकता है। तो दोस्तों आज हम इसी मुद्दे पर बात करेंगे। जानने की कोशिश करेंगे कि राहुल गांधी एक बार और कैसे मुश्किल में  फंस गए हैं।

तो दोस्तों, वर्तमान में कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा “आजाद एन ऑटोबायोग्राफी” चर्चा में है। इस पुस्तक में पार्टी के बारे कई बड़े खुलासे किये गए है। इससे  हिमंत बिस्वा सरमा के पार्टी छोड़ जाने पर उनके और सोनिया गांधी के रुख पर सवाल खड़ा किया गया है। अब उसी तरह से आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री किरण रेड्डी ने भी सवाल उठाया है। जो  चार बार आंध्रा प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के बाद बीजेपी में शामिल हुए हैं। बहरहाल इस पर हम बाद में चर्चा करते हैं, पहले हम मुख्य मुद्दे की ओर रुख करते है।

हमारा मुद्दा अनिल एंटोनी है। उन्हें पढ़े लिखे नेता कहने के बजाय हम अनिल एंटोनी को हाई एजुकेटेट राजनीतिज्ञ कह सकते हैं। उनके पास कई उपलब्धियां है जो उन्हें राहुल गांधी के करीब लाती है। लेकिन विडंबना देखिये, आज माना जा रहा है कि अनिल एंटोनी राहुल गांधी के प्रतिद्वंदी हो सकते हैं। लोग यहां तक कह रहे हैं कि क्या राहुल गांधी का अमेठी जैसा हश्र होगा। हालांकि, इन बातों को करना अभी बेईमानी होगी, क्योंकि, वर्तमान में राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई है। जिसको बहाल कराने के लिए राहुल गांधी कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं।

दरअसल “सभी मोदी सरनेम वाले चोर क्यों होते है” का बयान देने पर सूरत की कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया था और दो साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद तत्काल प्रभाव से उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई। अब अगर सूरत कोर्ट अपना फैसला बदलती है या ऊपरी अदालतों द्वारा इस मामले पर स्टे लगाता है तो राहुल गांधी की सदस्यता बहाल हो सकती है। अन्यथा नहीं। अगर ऊपरी अदालतें निचली अदालत का फैसला बरक़रार रखती है तो राहुल गांधी आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते है। जिसका कांग्रेस को ही नहीं, बल्कि राहुल गांधी को भी बड़ा नुकसान हो सकता है। क्योंकि अभी राहुल गांधी 52 साल के हैं ,और आठ साल में  वे 60 साल के हो जाएंगे। ऐसे में लोग एक तरह से उन्हें भूल जाएंगे।

हालांकि, ऐसा होता नहीं दिखाई दे रहा है, कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि अगर ऊपरी अदालतें निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखती है तो राहुल गांधी कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, लेकिन राजनीति में सक्रिय रह सकते हैं। बहरहाल, यह बात कितनी सही है। यह कहना मुश्किल है। मगर यह साफ़ है राहुल गांधी परदे की पीछे से राजनीति करते रहेंगे, जो उनकी हमेशा से मंशा रही है। तो वायनाड से अनिल एंटोनी का मुकाबला होना समय के गर्भ में है। पर जिस तरह से कांग्रेस ने राहुल कांड को लेकर दस दिन बाद कोर्ट गई है उससे नहीं लगाता है कि वह इतनी जल्दी हार मान जायेगी। हालांकि यह भी एक राजनीति स्टंट माना जा रहा है। बहरहाल, 10 अप्रैल और 3 मई को इसी केस में अलग अलग मुद्दे पर सुनवाई होनी है। तो देखना होगा कि कोर्ट क्या निर्णय लेती है।

वहीं, अगर राहुल की सदस्यता नहीं जाती है तो वे वायनाड से चुनाव लड़ेंगे, और अगर ऐसा होता है तो बीजेपी अनिल एंटोनी को राहुल के मुकाबले उतार सकती है। क्योंकि,  अनिल एंटोनी ने राहुल गांधी को वायनाड से जिताने में बहुत मदद की थी। बताया जाता है कि सोशल मीडिया से जुड़े हर काम अनिल ही देखते थे। उन्हें कांग्रेस और राहुल गांधी की कमियां और खुबियों की पूरी जानकारी है। यही, वजह है कि अनिल के बीजेपी में शामिल होने पर कहा जा रहा कि अमेठी की तरह यहां भी उन्हें घेरने की तैयारी की जा रही है।

गौरतलब है कि राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा सीट से पहली बार 2004 में लोकसभा चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। लेकिन 2014 में उनके सामने बीजेपी ने स्मृति ईरानी को उतारा था। मगर वे हार गई थीं। जबकि 2019 में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हरा दिया। 2019 में राहुल गांधी ने दो लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा था। जिसमें एक सीट वायनाड थी, जिस पर उन्होंने जीत दर्ज की थी। हाल ही में राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद बीजेपी के एक नेता ने कहा था कि राहुल गांधी को वायनाड से भी भगाएंगे। बीजेपी की ओर से यह संकेत मिल रहा है कि अनिल एंटोनी को वायनाड से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो राहुल गांधी एक और मुश्किल में फंस सकते हैं।

अब बात करते हैं, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण रेड्डी की जो शुक्रवार को बीजेपी में शामिल हो गए। उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद कहा कि मेरा राजा बहुत बुद्धिमान है.वह अपने आप नहीं सोचता, न ही किसी की सुनता है। ऐसे में माना जा रहा है कि रेड्डी का इशारा कांग्रेस के हाई कमान की ओर है। इसी तरह का आरोप गुलाम नबी आजाद ने भी अपनी आत्मकथा में लगाया है। उन्होंने लिखा है कि हिमंत बिस्वा सरमा के पार्टी छोड़ने के बारे सोनिया गांधी और राहुल को बताया था, लेकिन उन्होंने कोई बड़ा कदम उठाने के बजाय कहा कि जाने दो।

दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि बीजेपी केरल में ईसाई समुदाय में अपनी पैठ बनाने के लिए बीजेपी को तेज तर्राक और नौजवान चेहरा की जरूरत थी। जिसकी भरपाई अनिल कर सकते हैं। क्योंकि उन्होंने जिस तरह से राष्ट्रवाद, देश के प्रति अपनी मंशा जाहिर की थी.उससे उनकी छवि एक जुझारू नेता की बन रही है। हालांकि, एके एंटोनी ने अनिल एंटोनी के बीजेपी में शामिल होने पर निराशा जाहिर की। जबकि उनके भाई ने कहा है की बीजेपी उन्हें मक्खी की तरह फेंक देगी। तो देखना होगा कि राहुल का अनिल एंटोनी के सामने क्या भविष्य होता है ? क्या अनिल बीजेपी की रणनीति पर खरे उतरेंगे यह तो आने वाला समय बताएगा।

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