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Sunday, November 24, 2024
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इधर कुआं, उधर खाई, टाटा बाय-बाय भाई!

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कारोबार से लेकर राजनीति तक में अजीब कड़वाहट और गला काट प्रतिस्पर्धा है। कोई किसी से आगे निकल जाए यह सोच आज सभी में घर बनाये हुए है। इसका एक छोटा सा उदाहरण राजस्थान के कांग्रेस नेता सचिन पायलट है। मंगलवार को सचिन पायलट शाम चार बजे तक अनशन पर बैठे रहेगें।कांग्रेस ने यह अनशन रोकने की भरकस कोशिश की लेकिन आलाकमान की चेतावनी को दरकिनार कर पायलट अनशन पर बैठे गए।

यह साफ़ दिखाता है कि आलाकमान की पकड़ राज्य के नेताओं पर नहीं हैं। वे राहुल गांधी सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के नहीं सुनते है। सचिन ने यह सोच समझकर की अनशन किया होगा आगे मेरे साथ पार्टी   क्या करेगी, अपना भविष्य देखकर ही पार्टी ने से जुड़े हैं। सचिन पायलट के इस कदम को कांग्रेस विरोध के तौर पर देख रही है। यानी सचिन अपना भविष्य देखकर ही यह कदम उठाया होगा।

कहने का मतलब यह है कि राज्य में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने है। अगर पार्टी  सचिन पायलट को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाती है तो गहलोत के समर्थक नाराज होंगे ? जिसका चुनाव में असर देखने को मिल सकता है। वहीं, अगर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री चेहरा नहीं बनाया जाता है तो उनके समर्थक पार्टी से अलग होने का धौंस दिखाएंगे, जो कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी मुश्किल होगी। अब सवाल यह कि सचिन पायलट का अगला कदम क्या होगा ? क्या सचिन पायलट इधर कुआँ उधर खाई को देखते हुए क्या बीच का रास्ता निकालते हुए कांग्रेस को टाटा बाय-बाय कहेंगे। क्या वे अपनी नई पार्टी बनाएंगे ? तमाम सवाल है जो सभी के सामने अनुत्तर है।

तो पहले हम यह जान लेते हैं कि सचिन पायलट के अनशन मंच का क्या हाल है। तो बताया जा रहा है  यहाँ पर महात्मा गांधी और महत्मा ज्योतिराव फुले को छोड़कर किसी की तस्वीर नहीं है न कांग्रेस का लोगो। इससे बड़ी बात यह है कि पर्यटन मंत्री के बेटे अनिरुद्ध सिंह को छोड़कर कोई भी कांग्रेसी नेता या विधायक सचिन पायलट मंच के आसपास दिखी नहीं दिया। उनके समर्थक और परिवार के कुछ लोग मौजूद थे। लगभग 2000 के आसपास यहां भीड़ थी। ऐसे में इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।

यह भी साफ है कि कांग्रेस भी वाच एंड वेट कि रणनीति पर काम कर रही है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस यह देखना चाहती है कि उनके साथ कितने समर्थक आते हैं। इसी के आधार पर पार्टी सचिन पायलट पर कार्रवाई  करेगी। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस सचिन पायलट के खिलाफ कोई बड़ा कदम नहीं उठा सकती है। क्योंकि, सचिन पायलट का युवाओं में क्रेज है। जिसको देखते हुए भविष्य में कांग्रेस को बड़ा संकट का सामना करना पड़ सकता है। दूसरा यह कि बीते साल जब शीर्ष नेताओं की बैठक होनी थी, लेकिन उससे पहले ही गहलोत समर्थकों ने अनुशासनहीनता दिखाई थी,लेकिन उन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिसको लेकर सचिन बार बार कांग्रेस पर दबाव बनाया ,मगर कोई नतीजा नहीं निकला।

तो साफ है कि सचिन पर कांग्रेस कडा कदम उठाने से पहले सौ बार सोचेगी। लेकिन, क्या   सचिन पायलट सही मायने में भ्रष्टाचार के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। यह लाख टके का सवाल है।  सवाल यह भी है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में केवल सात माह ही बचे हैं, तो अब सचिन को भ्रष्टाचार की याद आई है, इससे पहले वे क्या कर रहे थे। यानी वे कांग्रेस के आलाकमान पर दबाव बनकर खुद को राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीएम फेस घोषित कराना चाहते हैं। तो क्या सीएम गहलोत इतनी आसानी से अपनी गद्दी छोड़ देंगे। यह मुश्किल लगता है। चाहे सचिन पायलट पार्टी में रहे या जाएं, गहलोत सीएम की कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं होंगे।

गहलोत इसके लिए सचिन पायलट के अनशन वाली जुटी भीड़ को दिखाकर कह सकते हैं कि  सचिन पायलट का कोई जनाधार नहीं है। कुछ सौ या हजार समर्थक सचिन को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं करा सकते हैं। इसके बाद सचिन के पास पार्टी छोड़ने का विकल्प होगा। इसमें भी दो विकल्प होंगे या तो वे अपनी पार्टी बनाये या बीजेपी, आप, बसपा जैसी पार्टियों में शामिल होकर राजनीति कर सकते हैं। वहीं बीजेपी उन्हें सीएम फेस घोषित नहीं कर सकती है ,लेकिन आप और बसपा में  उन्हें सीएम फेस बनाया जा सकता है। कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी ने उन्हें  सीएम फेस घोषित करने का ऑफर दिया है।

सचिन को अपनी पार्टी बनाने का फ़ायदा मिल सकता है क्योंकि अभी तक राज्य में कोई गुर्जर सीएम नहीं बना है। ब ताया जा रहा है कि  राजस्थान के कई गुर्जर  वाले जिलों में  पायलट की पकड़ है। जहां गुर्जर समुदाय के साथ मिलकर नहीं पारी की शुरुआत कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि सचिन पायलट को आम आदमी पार्टी ने राजस्थान में सीएम फेस घोषित करने का ऑफर दिया है। याद रहे ऐसा ही पंजाब में हुआ था।

जब नवजोत सिंह सिद्धू के आप में जाने की खबर तेज थी। लेकिन उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा था। बाद में कांग्रेस के लिए सिद्धू  दमघोंटू नेता साबित हुए थे और पार्टी पंजाब चुनाव नहीं जीत पाई थी।  कहा  जा रहा है कि पायलट ने सोच समझकर ही भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है ,एक तीर से वे कई निशाने साध रहे हैं। भ्रष्टाचार  को लेकर बीजेपी और वसुंधरा राजे को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।  कांग्रेस आलाकमान पर भी प्रेसर बना रहे हैं।

बीजेपी में जाएंगे तो सीएम फेस बनना मुश्किल है, क्योंकि वहां चेहरों की भरमार है। दूसरा कांग्रेस के कई नेता जैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद आरपीएन सिंह  बीजेपी में शामिल होकर सियासी पारी को नई ऊंचाई दे रहे हैं। जबकि अभी भी सचिन पायलट अब तब और अगर मगर में फंसे हुए हैं। अब सवाल खड़ा होता है कि क्या सचिन पायलट दबे कुचलों के मसीहा ज्योतिराव फुले के जरिये बसपा से नई पारी की शुरुआत करेंगे। क्योंकि उनके मंच पर महात्मा गांधी के साथ महात्मा ज्योतिराव फुले की तस्वीर लगी हुई थी। इससे पहले जब वे अनशन मंच की ओर निकले तो महात्मा ज्योतिराव फुले की प्रतिमा पर फूल माला अर्पण किये थे। दूसरी ओर हनुमान बेनीवाल भी कह चुके हैं कि सचिन पायलट अपनी पार्टी बनाएं। हम साथ आएंगे।

बहरहाल,  सचिन ने अनशन खत्म होने के बाद सीएम गहलोत पर हमला बोला। लेकिन उनके अगले कदम का सभी को इंतज़ार है ,साथ कांग्रेस क्या सचिन पायलट की मांग मानेगी। यह अभी देखना होगा। लेकिन यह साफ़ दिख रहा है कि राजस्थान में कांग्रेस का भविष्य अँधेरे में क्योंकि  कांग्रेस गहलोत और सचिन तीनों के लिए इधर कुंआं उधर खाई दिखाई दे रही है। अब कांग्रेस इस जख्म पर कैसे मरहम लगती है यह देखना अभी बाकी है।

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