एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने 2 मई को अचानक पार्टी अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्ति की घोषणा कर दी। पवार के इस फैसले से कई लोगों को झटका लगा है| शरद पवार के इस फैसले की राजनीतिक हलकों में क्रिया व प्रतिक्रिया भी होने लगी है और तर्क-वितर्क भी होने लगे हैं| कुछ को लगता है कि उन्होंने दबाव में आकर यह फैसला लिया है तो कुछ का कहना है कि यह फैसला मास्टर स्ट्रोक है।
शरद पवार के बाद एनसीपी का नेतृत्व कौन करेगा, इस पर चर्चा शुरू हो गई है कि सांसद सुप्रिया सुले को यह पद दिया जा सकता है। कुछ के मुताबिक, सुप्रिया सुले एनसीपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगी और अजित पवार को राज्य में पार्टी का प्रशासन सौंपा जा सकता है| एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल से जब इस बारे में पूछा गया तो भुजबल ने कहा कि आम तौर पर अजित दादा राज्य में पार्टी के मामलों को देखते हैं और सुप्रिया ताई दिल्ली में पार्टी के कामकाज को ठीक से संभालती हैं| सुप्रिया ताई सवाल जानती हैं। उन्हें कई बार संस्कार रत्न पुरस्कार मिल चुका है।
भुजबल ने कहा, ‘शरद पवार का इस्तीफा सभी के लिए एक बड़ा झटका है| हम सभी शरद पवार को चाहने वाले लोग हैं। ओबीसी और पिछड़े वर्ग के मुद्दों से वाकिफ होते हुए हमने शरद पवार का हाथ थाम लिया| शिवसेना से आए और उसके बाद राजनीति में हाथ बंटाया और आगे बढ़ने लगे। उसके बाद मराठवाड़ा विश्वविद्यालय को बाबासाहेब का नाम मिला। वह शायद एकमात्र ऐसे नेता हैं,जो देश के मुद्दों को जानते हैं। इसलिए हैरानी की बात है कि उन्होंने अचानक ऐसा फैसला ले लिया।
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