अडानी समूह के कथित कदाचारों पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने इस संबंध में अपनी जांच रिपोर्ट 8 मई को सुप्रीम कोर्ट को एक सीलबंद लिफाफे में सौंपी। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इस पूरे मामले पर 12 मई को इसे चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के सामने पेश किया जाएगा।
गौरतलब है कि अडानी मामले में जांच कर रही सेबी ने अतिरिक्त समय की मांग की है। 29 अप्रैल को सेबी ने अडानी ग्रुप के खिलाफ हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए आरोपों की जांच पूरी करने के लिए छह महीने का अतिरिक्त समय मांगा है। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी बात रखते हुए जांच को पूरा करने के लिए 6 महीने और वक्त लेने की मांग की है।
यह ज्ञात नहीं है कि समिति ने सर्वोच्च न्यायालय के 2 मार्च के आदेश में उल्लिखित सभी मुद्दों पर अपनी जाँच पूरी कर ली है या उसने निष्कर्ष निकालने के लिए और समय मांगा है। अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर धोखाधड़ी और ‘स्टॉक मैनिपुलेशन’ के आरोप लगाए हैं। 29 अप्रैल को, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आरोपों की जांच पूरी करने के लिए छह महीने का विस्तार मांगा। कोर्ट ने कमेटी और सेबी दोनों को इस संबंध में दो महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा था।
समिति का गठन यह जांचने के लिए किया गया था कि क्या नियामक अडानी समूह या अन्य संबंधित प्रतिभूति बाजारों से संबंधित कानूनों के कथित उल्लंघन से निपटने में विफल रहा है। साथ ही निवेशकों की सुरक्षा के लिए नियामक ढांचे को मजबूत करने के उपाय सुझाने को कहा था।
पैनल की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए. एम. स्प्रे हैं। साथ ही पूर्व बैंकर के. वी कामत और ओ. पी. भट्ट, इन्फोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि, वकील सोमशेखर सुंदरसन और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जे. पी. देवधर भी समिति में शामिल हैं। सेबी ने 2 और 26 अप्रैल को समिति के समक्ष एक विस्तृत प्रस्तुति दी। पैनल ने उनसे विस्तृत जानकारी मांगी थी। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी समूह पर 12 संदिग्ध लेन-देन का आरोप लगाया गया है। तदनुसार, सेबी ने जांच समिति को विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की है।
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