नए संसद को लेकर सियासत शुरू हो गई है। लगभग 19 राजनीति दलों ने नए संसद भवन का पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किये जाने का विरोध कर रहे हैं। विपक्ष के नेताओं की मांग है कि इस नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करें। वहीं बीजेपी का कहना है कि विपक्ष के नेताओं ने बेवजह का विवाद पैदा किये है। इससे पहले भी कांग्रेसी नेताओं ने संसद भवन के पुस्तकालय और संसद की एनेक्सी का उद्घाटन किया है ,फिर किस बात को लेकर विवाद किया जा रहा है।
गौरतलब है कि 28 मई को वीर सावरकर के 140 वें जन्मदिन पर नए संसद का पीएम मोदी उद्घाटन करेंगे। जिसको लेकर कर सत्ता पक्ष और विपक्ष में सियासत शुरू हो गई है। रविवार को राहुल गांधी ने ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि ” नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति जी को करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं। अब लगभग छह राजनीति दलों ने नए संसद के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होने का ऐलान किया है। इसमें ममता बनर्जी की टीएमसी , जेडीयू ,आरजेडी, डीएमके और उद्धव गुट की शिवसेना ने नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार किया है। हालांकि अभी तक कांग्रेस ने इस संबंध में कोई ऐलान नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस भी विपक्ष की एकता को भुनाने के लिए वह भीइस विरोध में शामिल हो सकती है।
जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा है कि उनकी पार्टी विपक्ष के साथ है। जहाँ तक नए संसद के उद्घाटन की बात है तो हम विपक्ष के साथ है। हम विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं। वहीं उद्धव गुट की शिवसेना ने साफ़ किया है कि उनकी पार्टी भी उद्घाटन समारोह में शरीक नहीं होगी। इस संबंध में संजय राउत ने कहा है कि 28 मई को विपक्ष नए संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने करने का ऐलान किया है। हम भी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। वहीं , कांग्रेस सहित सभी दलों ने उद्घाटन की तारीख को लेकर सवाल उठाया है। नए संसद का उद्घाटन 28 मई को किया जाना है। इस दिन वीर सावरकर का 140वां जन्मदिन है। वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को हुआ था। कांग्रेस वीर सावरकर को हिंदूवादी बताती रही है। पिछले दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी सांसदी गंवाने के बाद कहा था कि वे सावरकर नहीं है वे गांधी माफ़ी नहीं मांगेगे।
वहीं, बीजेपी ने विपक्ष द्वारा किये जा रहे विरोध को गलत बताया है। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यह आदत है, जहां विवाद नहीं होता वह वहां भी खड़ा कर देती है। राष्ट्रपति देश के प्रमुख होते है तो प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख होते हैं। सरकार की ओर से संसद का नेतृत्व करते हैं। जिनकी नीतियां कानून के रूप में लागू होती है। राष्ट्रपति किसी सदन के सदस्य नहीं हैं बल्कि प्रधानमंत्री हैं। कुछ लोगों को राजनीति रोटियां सेंकने की आदत पड़ गई है।
उन्होंने कहा कि 1975 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने संसद एनेक्सी का उद्घाटन किया था। जबकि 1987 में राजीव गांधी ने संसद पुस्तकालय का उद्घाटन किया था। कांग्रेस सरकार के मुखिया संसद का उद्घाटन कर सकते हैं तो हमारी सरकार के मुखिया क्यों नहीं। गौरतलब है कि पीएम मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। इस कार्य के लिए दोनों सदनों ने 5 अगस्त 2019 को लोकसभा और राज्यसभा से आग्रह किया था। नई संसद को बनाने का टेंडर टाटा प्रोजेक्ट को दिया गया था। इसकी लागत 861 करोड़ मानी गई है। वहीं कुछ अतिरिक्त कार्य को लेकर इसकी लागत 12, 00 करोड़ पहुँच गई है।
इस चार मंजिला भवन में सदस्यों के लिए लाउंज, पुस्तकालय, समिति कक्ष और पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह हैं। फिलहाल लोकसभा में 550 सदस्यों और राज्यसभा में 250 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। भविष्य के हिसाब से लोकसभा में 888 और राज्य सभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की जा सकती है।
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