ओडिशा के बालासोर इलाके में शुक्रवार दो जून को एक बहुत ही बड़ी रेल दुर्घटना हुई। इस दुर्घटना में करीब 288 लोगों की मौत हो गई और 900 यात्री घायल हो गए। केन्द्र सरकार और राज्य सरकार आपस में मिलकर बेहतर तरीके से राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। मृतकों और घायलों के लिए मुआवजें की राशि तय की गई है। पीएम मोदी उड़ीसा के लिए रवाना हो गए है। जहां वह दुर्घटनाग्रस्त इलाके का दौरा करेंगे साथ ही अस्पतालों में घायलों से भी मुलाकात करेंगे।
बता दें कि शुक्रवार को पश्चिम बंगाल से हावड़ा से चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन करीब साढ़े तीन बजे रवाना हुई थी। लेकिन कुछ घंटों की यात्रा के बाद ही कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे की शिकार हो गई। बालासोर के बहनागा बाजार स्टेशन पर तीन ट्रेनों के बीच आपस में टक्कर हो गई। इस ट्रेन हादसे ने एक बार फिर से रेलवे की तकनीक और रेल मंत्रालय के उन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वहीं अभी कुछ महीने पहले ही देश के रेल मंत्रालय ने कहा था कि वह एक ऐसा सिस्टम लाने जा रहा है जिससे रेल हादसे रुक जाएंगे। इस सिस्टम को कवच सिस्टम कहा जाता है, जिसका पूरा नाम है ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम बालासोर हादसे के बाद सोशल मीडिया पर लोग तमाम पोस्ट कर रहे हैं और कह रहे हैं कि अगर इन ट्रेनों में कवच सिस्टम लगा होता तो ये एक्सीडेंट होता ही नहीं।
कवच भारतीय रेलवे का स्वचालित सुरक्षा प्रणाली सिस्टम है, जिसके जरिए रेलवे ट्रेन हादसों को रोकने का प्लान बना रही है। दरअसल, कवच लोकोमोटिव में स्थापित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन की एक ऐसी प्रणाली है जो रेलवे के सिग्नल सिस्टम के साथ साथ पटरियों पर दौड़ रही ट्रेनों की स्पीड को भी नियंत्रित करती है।
इस आधार पर रेल हादसों पर लगाम लगाने की बात कही जा रही है। कोरोमंडल ट्रेन हादसे को लेकर रेलवे अधिकारियों की ओर से कहा जा रहा है कि इस ट्रेन में कवच सिस्टम इंस्टॉल नहीं था। यानी अगर इस ट्रेन में ये सिस्टम इंस्टॉल होता तो शायद यह एक्सीडेंट नहीं होता।
कवच यह एक ऐसा सिस्टम है जिसे हर स्टेशन पर एक किलोमीटर की दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है, इसके साथ ही इसे ट्रेन, ट्रैक और रेलवे सिग्नल सिस्टम में भी इंस्टॉल किया जाता है। यह पूरा सिस्टम एक दूसरे कंपोनेंट्स से अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रिक्वेंसी के जरिए कम्युनिकेट करता है।
भारतीय रेल के दक्षिण मध्य रेलवे के मुताबिक अप्रैल 2022 तक कुल 1445 रूट किलोमीटर की रेल लाइन, मुख्यतः दक्षिण भारत में कवच सिस्टम को इंस्टॉल किया गया है। लेकिन ओडिशा में जहां ये रेल हादसा हुआ, वहां कवच सिस्टम इंस्टॉल नहीं हुआ है। यहां गौर करने वाली एक बात ये भी है कि कवच सिस्टम रेल के इंजन में इंस्टॉल किए जाते हैं, जिससे आमने-सामने से आ रही ट्रेनों की टक्कर को रोका जा सकता है।
बालासोर में जिस तरह का हादसा हुआ, वहां यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस ने मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मारी थी जबकि उसका इंजन आगे था। अगर इस ट्रेन में कवच सिस्टम होता, तब भी ये टक्कर नहीं रुकती। क्योंकि कवच सिर्फ उन परिस्थितियों में ही काम करता है जब आमने-सामने से आ रही दो ट्रेनों के इंजन में ये सिस्टम इंस्टॉल हो और काम कर रहा हो।
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