अगले चार दिनों तक पूरी दुनिया की नजरें अमेरिका के न्यूयार्क और वाशिंगटन डीसी पर रहेगी। क्योंकि दुनिया के दो सबसे बड़े नेता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाईडन के बीच अहम मुलाकात होगी। और कई अहम मुद्दों पर बैठके भी होंगी। इसके साथ ही भारत और अमेरिका दोस्ती के एक नए युग में प्रवेश कर जाएंगे। इसलिए आज हम आपको बताएंगे की वो अमेरिका जिसने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भारत को जीपीएस डेटा देने से इंकार कर दिया था। वही देश आज भारत को 24 साल बाद जेट इंजन बेच रहा है, और वो ड्रोन भी दे रहा जो नाटो देश के अलावा अमेरिका किसी और देश को नहीं देता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल सुबह करीब 7 बजे अमेरिका की अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए रवाना हुए। और भारतीय समयानुसार कल रात को 10 बजकर 25 मिनट पर अमेरिका के न्यूयार्क शहर में लैंड किया। पीएम मोदी की पहली राजकीय यात्रा योगा से शुरू होगी। आज 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग
दिवस के अवसर पर न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में एक विशेष कार्यक्रम हुआ जिसमें पीएम मोदी ना सिर्फ शामिल बल्कि योग को भारत के सॉफ्ट पावर के रूप में दुनिया के सामने पेश किया। पीएम मोदी इस पूरे कार्यक्रम को लीड किया। वहीं इससे पहले अमेरिका में पीएम मोदी ने अलग-अलग कंपनियों के मालिकों से मुलाकात की जिसमें टेसला के सीईओ और ट्विटर के मालिक एलन मस्क के साथ पीएम मोदी की मुलाकात हुई। इस दौरान एलन मस्क ने पीएम मोदी की काफी तारीफ की। एलन मस्क ने पीएम मोदी को ऐसा व्यक्ति बताया है जो वास्तव में भारत की परवाह करते हैं। उन्होंने खुद को पीएम मोदी का फैन बताया।
वहीं अमेरिका रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने अमेरिका के एक अखबार में इंटरव्यू दिया था। जिसमें उन्होंने कहा कि भारत का समय आएगा नहीं बल्कि भारत का समय आ चुका है। और भारत आज दुनिया में बड़ी भूमिका निभाने की योग्यता रखता है। उन्होंने इंटरव्यू के दौरान कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच एक दूसरे के प्रति अभूतपूर्व विश्वास पैदा हुआ है। इसी इंटरव्यू के आधार पर उन्होंने चीन को भी संदेश देने की कोशिश की और कहा कि भारत किसी भी विवाद का शांतिपूर्व समाधान का पक्षधर है। लेकिन अपनी संप्रभुता और सम्मान की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार भी है। और समर्पित भी है।
साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे। और प्रधानमंत्री बनने के बाद सितंबर 2014 में वो अमेरिका के दौरे पर गए थे। यह प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी का पहला अमेरिकी दौरा था। वहीं आज भी वह अमेरिका गए है इस बीच पीएम मोदी कई बार अमेरिका दौरे पर गए। लेकिन तब में और अब में बहुत बड़ा फर्क देखने को मिलता है। उस 2014 के बाद आज 2023 के इस यात्रा को देखे तो। कहा जा सकता है कि साल 2014 या उससे पहले भारत को अमेरिका की थोड़ी ज्यादा जरूरत थी। लेकिन आज 2023 में स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है।
आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि मोदी और बाइडेन में से किसे किसकी ज्यादा जरूरत है। लेकिन उससे पहले आपको भारत और अमेरिका के बारे में कुछ तथ्य या रोचक बातें पता होनी चाहिए। अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है और भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है। और अमेरिका के पास दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है और अमेरिका दुनिया में हथियाओं का सबसे बड़ा विक्रेता है। भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। और अमेरिका के पास दुनिया की सबसे बड़ी करेंसी जिसे यूएस डॉलर कहते है। भारत के पास दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है। जबकि अमेरिका के पास राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडेन है। जो दुनिया के सबसे बड़े उम्रदराज नेताओं में से एक है। वहीं अब उनकी पॉपुलैरिटी रेटिंग है वो घटती जा रही है।
अब जानते है आखिरकार राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए पीएम मोदी इतने जरूरी क्यों है और वो मोदी के लिए इतने बेताब क्यों है। इसका पहला कारण है अमेरिका और दुनिया में जो बाईडन की घटती लोकप्रियता और इस घटती लोकप्रियता के पीछे जो बाईडन की 5 सबसे बड़ी नाकामिया है। उनकी पहली नाकामी वो राष्ट्रपति बनने के ढाई वर्ष बाद भी अमरीका इज बैक का अपना वादा पूरा नहीं कर पाए। लेकिन आज भी अमेरिका वहीं है जहां था। और वाहन के लोग जो बाइडेन से काफी नाखुश है, उनका मानना है कि जो बाइडेन ने वादे तो बड़े बड़े किया लेकिन वो कर कुछ नहीं पाए।
दूसरी नाकामी अफगानिस्तान से उन्होंने अपने सैनिको को वापस बुलाया या कह लीजिए की बुलाना पड़ा। उनका यह निर्णय गलत साबित हुआ। क्योंकि वहाँ से अमेरिकी सैनिकों के बुलाने के बाद ही अफगानिस्तान की हालत काफी खराब हो गई। और कैसे तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान में कब्जा कर लिया। ये जो बाइडेन की एक बहुत गलत नीति थी और उनका यह फैसला गलत साबित हुआ।
तीसरा वो ईरान के साथ नूक्लीअर डील को भी अंतिम रूप नही दे पाए। चौथी नाकामी यूक्रेन में रसिया के युद्ध को वो रोक नहीं पाए। और रसिया को भी नहीं रोक पाए कि वो यूक्रेन की सीमाओं में ना घुसे। इस वजह से अमेरिका की सुपर पावर की छवि को काफी नुकसान पहुंचा। और पाँचवी नाकामी ये कि जो बाइडेन के कार्यकाल में चीन के साथ भी अमेवरिका के रिश्ते और खराब हुए है। और जो बाइडेन की अलग अलग नीतियों की वजह से अमेरिका में महंगाई रिकार्ड स्तर पर पहुँच गई। लोगों की नौकरियां चली गई जिस वजह से लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता काफी कम हो गई।
इससे स्पष्ट है कि अमेरीका में जो बाइडेन अच्छी स्थिति में नहीं है, मजबूत स्थिति में नहीं है। मई 2023 में बतौर राष्ट्रपति जो बाइडेन की अप्रूवर रेटिंग घटकर सिर्फ 36% रह गई। लेकिन इस घटती लोकप्रियता के बीच जो बाइडेन को प्रधानमंत्री मोदी का साथ मिल जाता है। तो ये जो बाइडेन के लिए एक बहुत बड़ी सफलता होगी। क्यूंकी प्रधानमंत्री मोदी इस समय दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता है। और वो भारत की राजनीति के साथ ही साथ दुनिया की राजनीति में भी एक बहुत मजबूत नेता है। दुनिया में प्रधानमंत्री मोदी की रेटिंग सबसे ज्यादा 76% है। जबकि राष्ट्रपति जो बाइडेन की रेटिंग सिर्फ 41% है। लोकप्रियता के मामले में भारत के पीएम नरेंद्र मोदी इस समय पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता है और जो बाईडन उनसे बहुत पीछे है। प्रधानमंत्री मोदी नंबर 1 पर है और जो बाईडन नंबर 7 पर है।
वर्ष 2019 में जब अमेरिका के ह्यूस्टन में हाउड़ी मोदी कार्यक्रम हुआ था। और इस कार्यक्रम में 50 हजार लोग प्रधानमंत्री मोदी को देखने और सुनने के लिए आयें थे। तब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिका के दूसरे नेता भी इस विशाल भीड़ को देख कर हैरान रह गए थे। क्यूंकी ऐसी भीड़ को अमेरिका के नेताओं ने कभी देखी नहीं थी। ये भीड़ भारतीयों की भीड़ थी। हो सकता है कि जो बाइडेन भी पीएम मोदी से मिलकर इस तरह की भीड़ को अपने पक्ष में करना चाहते हो। पीएम मोदी से दोस्ती करके जो बाइडेन अमेरिका में रहनेवाले भारतीय मूल के लोगों का वोटिंग अगले साल 2024 में होनेवाले राष्ट्रपति चुनाव में हासिल करना चाहते है।
दरअसल पीएम मोदी अमेरिका में रहनेवाले भारतीय मूल के लोगों के बीच बहुत ही लोकप्रिय है। और इन भारतीयों को अमेरिका में राजनीति और आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। अमरीका की 34 करोड़ की आबादी में से कुल 49 लाख लोग भारतीय मूल के है। और इससे भी बड़ी बात हर क्षेत्र में अमेरिका के लगभग सभी बड़ी कंपनियों के बड़े-बड़े पदों पर या कई बड़ी कंपनियों के सीईओ भी भारतीय मूल के है। अमेरिका की राजनीति में भी भारतीय मूल के लोगों का काफी दबदबा है। जो बाईडन की अपनी सरकार में कुल 17 लोग भारतीय मूल के है। और अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी भारतीय मूल की ही है।
इन भारतीय मूल के लोगों के बीच प्रधानमंत्री मोदी कितने लोकप्रिय है या बात आप यूं समझ सकते है कि पीएम मोदी की स्वागत में एकता रैली का आयोजन किया गया था। जो अमेरिका के 20 अलग अलग शहरों में पीएम मोदी के लिए निकाली गई। और ये सारे लोग पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा को बहुत खास बनाना चाहते थे। दिलचस्प बात है कि अमेरिका में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए इतने भीड़ इकट्ठा हो जाती है लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को देखने के लिए भी शायद अमेरिका में इतनी भीड़ इकट्ठा नहीं होगी। इसलिए अगर प्रधानमंत्री मोदी का साथ जो बाइडेन को मिल जाता है तो इसका असर अमेरिका में अगले साल होनेवाले राष्ट्रपति पद के चुनावों और जो बाइडेन की अपनी लोकप्रियता पर भी दिखेगा। और शायद इसलिए जो बाइडेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए बेताब है। हालांकि यहाँ जज़्बात सिर्फ लोकप्रियता की नहीं है।
बल्कि बेताबी के पीछे अन्य वजह है भारत का बाजार, आज भारत के पास सबसे बड़ा ग्राहक है। भारत देश में 142 करोड़ लोग रहते है। और राष्ट्रपति बाइडेन की नजर भारत के इसी सबसे बड़े बाजार पर है। उनका सबसे ज्यादा जोर इस बार रक्षा के क्षेत्र पर है। और प्रधानमंत्री मोदी इस अमेरिका दौरे में भी भारत और अमेरिका के बीच कई महत्वपूर्ण रक्षा सौदों पर सहमती होगी। जिनमें सबसे बड़ी डील टेक्नॉलजी ट्रांसफर के हो सकती है। यानी अब भारत अमेरिका से सिर्फ टेक्नॉलजी खरीदेगा नहीं बल्कि भारत टेक्नॉलजी ट्रांसफर भी करेगा। और भी कई अन्य कारण है कि अमेरिका के राष्ट्रपति भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के बहुत बड़े मुरीद बन गए है।
ये भी देखें
PM मोदी, अमित शाह और बिहार के CM नीतीश को मिली जान से मारने की धमकी
प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद बोले एलन मस्क- मैं उनका फैन