पिछले साल एकनाथ शिंदे ने विधायकों के साथ शिवसेना में बगावत कर दी थी| इसके बाद एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर जातीय सरकार बनाई| इसी तरह 2 जुलाई को अजित पवार समेत 9 विधायकों ने एनसीपी से बगावत कर दी और शिंदे सरकार में शामिल हो गए| अजित पवार की बगावत के बाद शिवसेना (ठाकरे गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे को एक साथ आना चाहिए| इस पर मनसे नेता अमित ठाकरे ने टिप्पणी की है|
इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमित ठाकरे ने कहा, ”दो भाइयों के एक साथ आने की बजाय एक भाई का सत्ता में बैठना जरूरी है|” महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने दहिसर में ‘एक सही संतपची’ अभियान चलाया| तब अमित ठाकरे मीडिया से बात कर रहे थे|
वर्तमान राजनीति को देखते हुए क्या युवाओं को राजनीति में आना चाहिए? ऐसा सवाल पूछे जाने पर अमित ठाकरे ने सीधा जवाब दिया कि, अगर मैं बाहर होता तो मैं भी राजनीति में नहीं आता। अमित ठाकरे ने कहा कि यह दौरा केवल मनसे के पुनर्निर्माण और छात्रों और युवाओं से बातचीत करने के लिए है। इस दौरे के दौरान यह देखा गया है कि राज ठाकरे के मार्गदर्शन में कई युवा काम करने के लिए उत्सुक हैं।
क्या इस संकट में उद्धव ठाकरे की मदद करेंगे राज ठाकरे? हालांकि, अमित ठाकरे ने इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया। अमित ठाकरे ने कहा कि फैसला राज ठाकरे ही लेंगे और मैं उनकी राय से सहमत हूं। अमित ठाकरे के दौरे से मनसे की ताकत बढ़ने की संभावना है। साथ ही मनसे और बीजेपी की बढ़ती नजदीकियां आगामी मुंबई नगर निगम चुनाव में भी देखी जा सकती है।
अमित ठाकरे ने कहा, ”मुझे लगता है कि दो भाइयों के एक साथ आने की बजाय एक भाई को सत्ता में बैठना चाहिए| वो हैं राज ठाकरे… हम इस राजनीतिक दलदल में नहीं हैं|’ मुझे अपने पिता पर गर्व है| राज ठाकरे हमें यहां लाए हैं|’ राज ठाकरे ने अगला फैसला भी ले लिया|”
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