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Friday, October 18, 2024
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क्या दोबारा गलती दोहराने की राह पर है कांग्रेस ?

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गुजरात आम आदमी पार्टी ने आगामी लोकसभा का चुनाव कांग्रेस के साथ लड़ने का ऐलान किया है। सोमवार को पार्टी के अध्यक्ष इसुदान गढ़वी इस बात की जानकारी देते हुए यह भी कहा कि यह गठबंधन केंद्र में ही नहीं, बल्कि गुजरात में भी जारी रहेगा। हालांकि, कांग्रेस ने कहा कि यह फैसला दिल्ली का शीर्ष नेतृत्व करेगा। सवाल यह कि इस गठबंधन से कांग्रेस को क्या हासिल होगा। क्या वह देश की सबसे पुरानी पार्टी का तगमा हासिल कर इतिहास के पन्नो का शोभा बढ़ाना चाहती है।

आज कांग्रेस की जो हालत है, क्या उस पर पार्टी के शीर्ष नेता विचार किये हैं। ऐसा नहीं लगता है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर कभी गंभीरता से विचार किया है। यही वजह है कि आज कांग्रेस को यूपीए गठबंधन को “इंडिया” नाम देना पड़ा। सोचिए इन नेताओं ने कांग्रेस समर्थित गठबंधन को नई बोतल में पुरानी शराब भर दी। लेकिन, कांग्रेस ने अपने कार्य शैली में बदलाव नहीं किया। क्यों यह बड़ा सवाल है।

दरअसल, आम आदमी पार्टी के गुजरात इकाई के अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने यह ऐलान किया कि उनकी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। गढ़वी ने कहा कि इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस और पार्टी का यह गठबंधन गुजरात में भी लागू होगा। उन्होंने कहा कि आप और कांग्रेस लोकसभा चुनाव में सीटें शेयर करेगी। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अगर हमारा सही से सीट बंटवारा हो गया तो इस बार गुजरात में बीजेपी बीजेपी 26 में से 26 सीट नहीं जीत पाएगी। जिसको कांग्रेस ने नकार दिया है।

इस संबंध में गुजरात इकाई के प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा कि इसका फैसला दिल्ली का नेतृत्व ही ले सकता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस संबंध में क्या करेगा। यह वही जानते हैं। अभी तक देखा गया है कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का भला नहीं किया है सिवाय बुराई के। दिल्ली सेवा बिल पर सोमवार को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आप पार्टी का जन्म कांग्रेस को गली देकर ही हुआ है। यह बात सही है कि 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कांग्रेस के खिलाफ आंदोलन किया था।  अन्ना हजारे ने लोकपाल बनाने के लिए दिल्ली में आंदोलन किया था। उस समय पूरा देश अन्ना हजारे के साथ खड़ा था। उस समय अरविंद केजरीवाल और अन्य अन्ना हजारे के सहयोगी थे। जो बाद में अन्ना हजारे से अलग होकर आम आदमी पार्टी बना ली।

भ्रष्टाचार और परिवारवाद को कोसने वाले आम आदमी पार्टी के नेता अब उसी कांग्रेस की गोद में बैठकर लोकतंत्र और संविधान की बात करते  हैं। अपनी एक पिछली वीडियो में मैंने कहा भी हूं कि कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को दिल्ली में सरकार बनाने के लिए समर्थन देकर   ऐतिहासिक भूल की थी, जिसे वह कभी भी सुधार नहीं सकती। वैसे ही अगर एक बार फिर कांग्रेस आप के साथ जाती है तो वह अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम करेगी। बीजेपी को  साम्प्रादायिक पार्टी कहकर उससे किनारा करने वाली कांग्रेस हर राज्य में अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है।

अगर कांग्रेस केजरीवाल के साथ लोकसभा चुनाव में उतरी है तो उसे ही नुकसान होगा। गुजरात में इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में एक सौ बयासी सीट वाले विधान सभा में बीजेपी ने एक सौ छप्पन सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि, कांग्रेस को मात्र 17 सीटें ही मिली हैं। वही आप ने पांच सीटें जीती है। जबकि, एक माह पहले यानी जुलाई माह में टाइम्स नाउ नवभारत द्वारा किये गए एक सर्वे में दावा किया गया है कि पीएम मोदी के गृह राज्य में गुजरात में बीजेपी एक बार फिर क्लीन स्वीप करेगी। यानी सभी 26 को जीतने का अनुमान लगाया गया है।

बता दें कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां सभी 26 सीटों पर जीत दर्ज किया था। इस सर्वे में यश भी बताया गया है कि बीजेपी का वोट शेयर 60 प्रतिशत से ज्यादा रहेगा। जबकि, कांग्रेस का 27 प्रतिशत वोट शेयरिंग है,वहीं आप का आठ प्रतिशत शेयर की बात कही गई है। इससे समझा जा सकता है कि गुजरात में बीजेपी का कितना मजबूत किला है।

याद होना चाहिए कि बीते विधानसभा चुनाव में जिस तरह से आप को पीएम मोदी ने घेरा वह उससे आज तक याद होगा। वैसे भी कांग्रेस के कई राज्यों के नेताओं ने आप का समर्थन करने के खिलाफ है। चाहे वह दिल्ली हो या पंजाब, कांग्रेस नेताओं ने लोकसभा चुनाव में आप के साथ चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं। भले शीर्ष क्रम आप के साथ जाना चाहता है, लेकिन राज्य इकाइयां इसका विरोध कर रही हैं। ऐसे में गुजरात में आप और कांग्रेस का गठबंधन कांग्रेस के हित नहीं होगा। इसका नुकसान कांग्रेस को ही उठाना होगा।

कांग्रेस आज अपने हालात के लिए खुद जिम्मेदार है। कांग्रेस बार बार कहती है बीजेपी के नेता अहंकारी हो गए है, लेकिन सच कहा जाय तो अहंकार तो कांग्रेस में है। जिसकी वजह से आज वह गर्त में मिल गई है। तो क्या कांग्रेस का आप पार्टी के साथ जाना सही है, क्या कांग्रेस को इस मिलाप से फायदा होगा ? इन तमाम सवालों का जवाब आने वाले समय मिल जाएगा।

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