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Sunday, November 24, 2024
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उद्धव गुट- कांग्रेस का प्लान!  MVA का क्या होगा?

एनसीपी में भी बगावत के बाद एमवीए पर सवाल खड़ा हो गया है। कांग्रेस और उद्धव गुट द्वारा अपने अपने  रास्ते अख्तियार करने का दावा किया जा रहा है। तो एमवीए  का क्या होगा ?  

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पहले भी कहा जा  चुका हैं कि, महाविकास अघाड़ी का वजूद अब खतरे में है। ऐसा अब साफ तौर पर दिखने लगा है। शिवसेना के दो गुट बनाने के बाद महाविकास अघाड़ी पर अपना अस्तित्व बचाये रखने का संकट था। लेकिन, अब एनसीपी के दो फाड़ होने से यह साफ़ हो गया है कि माविआ का वजूद अब अपने अंतिम दौर में है। दूसरी बात यह है कि, अब उद्धव गुट और कांग्रेस यह जानना चाहते हैं कि शरद पवार और अजित पवार में कौन सी खिचड़ी पक रही है। पिछले दिनों जब अजित पवार शरद पवार से मिले थे, इस मुलाक़ात पर महाराष्ट्र की राजनीति में घमासान मचा हुआ है।

दरअसल, माविआ सरकार गिरने के बाद ही उसके अस्तित्व पर सवाल खड़ा होने लगा था। शिवसेना से एकनाथ गुट की बगावत ने महाराष्ट्र की राजनीति ने भूचाल ला दिया था। इतना ही नहीं, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व और उनके कार्यप्रणाली भी कटघरे में थी। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठे। सवाल यही था कि किसी स्वयंभू  के नाक के नीचे से कोई बड़ा काण्ड कर दे तो सवाल तो उठेगा। उसी तरह से अब शरद पवार पर भी सवाल खड़ा होने लगा है। पूछा जा रहा है कि क्या शरद पवार का ही सब कुछ किया धरा है जो अजित पवार बार बार उनसे मिलने चले जाते हैं। एक बात तो साफ़ है कि शरद पवार अजित पवार के बगावत को अच्छी तरह से जानते थे। इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। भले शरद पवार कहे कि वे इस बारे में कुछ नहीं जानते थे, लेकिन उन्हें इस सवाल का जवाब देना होगा।

एक वीडियो में शरद पवार को यह कहते सुना जा सकता है कि वे जिसकी आलोचना कर चुके हैं उसके लिए वे वोट कैसे मांगा सकते हैं। बहरहाल, शरद पवार यह कहना सही नहीं लगता है. क्योंकि शरद पवार पहले भी शिवसेना की आलोचना कर चुके है। लेकिन उन्होंने 2019 में शिवसेना के साथ जाकर महाविकास अघाड़ी सरकार बनाई थी। बात वही हुई कि सौ चूहा खाकर बिल्ली हज को चली। अब शरद पवार अपने ही बने जाल में फंसे गए हैं। देखना होगा कि शरद पवार माविआ को बचा पाते हैं कि नहीं।

खबरें यहां तक आ रही है कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने शरद पवार और सुप्रिया सुले को मंत्री पद ऑफर किया गया है। हालांकि, सुप्रिया सुले ने साफ़ तौर पर कहा है कि उन्हें बीजेपी की ओर से कोई ऑफर नहीं आया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं को यह बताना चाहिए की वे लोग ऐसा क्यों बयान दे रहें है। वहीं दूसरी ओर यह कहा जा रहा है कि उद्धव गुट और कांग्रेस शरद पवार को किनारे लगाने की योजना बना रहा है। कहने का मतलब दोनों दल अब शायद साथ आ सकते हैं।

मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि उद्धव गुट आगामी लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की सभी सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगा। इसके लिए समीक्षा की जा रही है। बताया जा रहा है कि उद्धव गुट शरद पवार के गढ़ बारामती सीट पर भी निगाहें लगाए हुए है। अब सवाल यही है कि बीजेपी के साथ रहने पर भी शिवसेना ने कभी भी विधानसभा चुनाव में सौ के आकड़े को  पार नहीं किया। अब टूटने के बाद क्या लोकसभा चुनाव में उद्धव गुट क्या करेगा? यह बड़ा सवाल है। रविवार को उद्धव ठाकरे से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने मुलाकात की।  इसके बाद से यह अटकलें तेज हो गई कि उद्धव ठाकरे और कांग्रेस एक साथ मिलकर आगामी लोकसभा चुनाव में उतर सकते हैं।

कांग्रेस भी राज्य की सभी लोकसभा सीटों की समीक्षा शुरू करने की बात कही है। वहीं, बुधवार को शरद पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि कुछ दिनों में वे राज्य का दौरा करेंगे। यानी एक बार फिर उन्होंने महाराष्ट्र के लोगों में भ्रम फैलाने का काम किया है। इसके बाद उन्होंने  बीजेपी की आलोचना की। इस दौरान उन्होंने विपक्ष के “इंडिया “की बैठक के बारे में भी जानकारी दी, जो 31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में होने वाली है। उन्होंने कहा कि अजित पवार मुलाक़ात के दौरान कोई राजनीति चर्चा नहीं हुई। वैसे, शरद पवार के बातों पर विश्वास करना मुश्किल है। क्योंकि शरद पवार जिस चीज को ना कहते हैं, वही करते हैं।

अब सवाल यह है कि जिस तरह से माविआ के गठबंधन में फूट पड़ी है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि मतदाताओं में भ्रम पैदा होने लगा है। उद्धव गुट, कांग्रेस और शरद गुट की एनसीपी का भविष्य क्या है ? क्या आने वाले समय में यूपीए की तरह माविआ का भी नाम बदलेगा ?

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