शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में उद्धव ठाकरे की तस्वीर के साथ एक संपादकीय रिपोर्ट की। अगर भाजपा चंद्रयान का इस्तेमाल कर प्रचार भी करती है तो भी ये कम पड़ जाएगा, आने वाले लोकसभा चुनाव में ये काम नहीं आएगा, भाजपा की हार तय है| भाजपा ने हेलीकॉप्टर और ईवीएम बुक कर समय से पहले चुनाव की तैयारी कर ली है| गैस सिलेंडर की कीमत में कटौती को लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के केंद्र पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इन नेताओं ने कहा है कि विपक्षी मोर्चे के दबाव के कारण केंद्र ने गैस की कीमतों में कटौती की है, अब जैसे ही हमारी बैठकें होंगी, देखते हैं और कौन सी वस्तुओं की कीमतें कम होंगी।
गौरतलब है कि लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव मुंबई पहुंच गये हैं| यह बात भी प्रमुखता से कही जा रही है कि बैठक की तैयारी में शरद पवार शामिल हैं| एक अन्य खबर में यह अनुमान लगाया गया है कि क्या मुंबई की बैठक में प्रधानमंत्री का चेहरा विपक्ष होगा| लालू प्रसाद ने कहा है कि इस बार मोदी दोबारा नहीं आएंगे| हम उन्हें सत्ता से उखाड़ फेंकने जा रहे हैं| लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि विपक्ष का चेहरा बनने की नीतीश कुमार की राह आसान नहीं है|नीतीश कुमार खुद ‘इंडिया’ के संयोजक बनने को तैयार नहीं हैं बल्कि ये जिम्मेदारी किसी और को सौंपना चाहते हैं, ऐसा उनका बयान है|
‘द हिंदू’ में एक लेख का शीर्षक है ‘इंडिया गठबंधन और मतदाताओं को समझाने में बाधाएं’। हालांकि इस गठबंधन का गणित कागज़ पर सुलझ गया लगता है, लेकिन इसने इस सवाल को उजागर कर दिया है कि विभिन्न दलों की ‘केमिस्ट्री’ कैसे हासिल की जाए।
जब विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशें चल रही थीं, तब ममता बनर्जी द्वारा आयोजित सर्वदलीय बैठक से अखिल भारतीय गठबंधन में शामिल प्रमुख दलों सीपीआई, सीपीएम और कांग्रेस के नेता ही अनुपस्थित थे। इसे लेकर ममता सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुकी हैं| इससे पता चलता है कि ‘इंडिया’ फ्रंट की केमिस्ट्री से मेल खाना कितना कठिन और चुनौतीपूर्ण है। रास्ते में… आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम नेता एन.चंद्रबाबू नायडू ने भाजपा के साथ गठबंधन करने की तैयारी दिखाते हुए भारत के मोर्चे पर खुशी जताई है| इस मोर्चे के पास कोई नेता नहीं है, इसलिए इसका कोई भविष्य नहीं है| ‘द हिंदू’ में छपी खबर के मुताबिक उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक और तेलंगाना को छोड़कर दक्षिण भारत में कांग्रेस का कोई अस्तित्व नहीं है|