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खाद्य सुरक्षा के लिए भारत ने दी कुछ देशों को चावल पर प्रतिबंध से छूट

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, भूटान को 79,000 टन गैर-बासमती चावल, सिंगापुर को 50,000 टन और मॉरीशस को 14,000 टन चावल बेचने पर सहमति बनी है।

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प्रशांत कारुलकर

भारत ने मॉरीशस, भूटान और सिंगापुर को अपने चावल निर्यात प्रतिबंधों से छूट दी है ताकि इन देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने में मदद मिल सके।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार, दुनिया के शीर्ष चावल निर्यातक ने भूटान को 79,000 टन गैर-बासमती चावल, सिंगापुर को 50,000 टन और मॉरीशस को 14,000 टन चावल बेचने पर सहमति व्यक्त की है।

इन देशों को छूट देने का निर्णय घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए भारत द्वारा जुलाई में अधिकांश चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद आया है। प्रतिबंध से वैश्विक खाद्य कमी की चिंता पैदा हो गई थी, क्योंकि भारत चावल का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।

मॉरीशस, भूटान और सिंगापुर के लिए छूट को भारत द्वारा इन देशों की मदद के लिए सद्भावना संकेत के रूप में देखा जाता है, जो चावल आयात पर बहुत अधिक निर्भर हैं। इसे भारत के लिए वैश्विक खाद्य सुरक्षा परिदृश्य में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका पर जोर देने के एक तरीके के रूप में भी देखा जाता है।

इन देशों को छूट देने का निर्णय भारत की अपनी खाद्य सुरक्षा चुनौतियों के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। देश भीषण गर्मी का सामना कर रहा है, जिससे फसलों को नुकसान हुआ है और गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई है। सरकार गेहूं की कमी को पूरा करने के लिए गेहूं का आयात कर रही है और चावल निर्यात पर छूट से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि घरेलू खपत के लिए पर्याप्त चावल उपलब्ध है।

मॉरीशस, भूटान और सिंगापुर को चावल निर्यात प्रतिबंधों से छूट देने का निर्णय वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए एक सकारात्मक विकास है। यह दर्शाता है कि भारत यह सुनिश्चित करने में एक जिम्मेदार भूमिका निभाने को तैयार है कि हर किसी को भोजन मिले। यह भारत की बढ़ती आर्थिक और राजनीतिक ताकत का भी संकेत है।

मॉरीशस, भूटान और सिंगापुर के लिए छूट के अलावा, भारत ने यह भी कहा है कि वह अन्य देशों को चावल के निर्यात की अनुमति देगा यदि वे आयात की स्पष्ट आवश्यकता प्रदर्शित कर सकें। इसमें अफ़्रीका और मध्य पूर्व के देश शामिल होने की संभावना है, जो यूक्रेन में युद्ध के कारण पहले से ही भोजन की कमी का सामना कर रहे हैं।

भारत द्वारा कुछ देशों को चावल निर्यात प्रतिबंधों से छूट देने का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है। यह दर्शाता है कि भारत अपनी चुनौतियों के बावजूद भी वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह विश्व में भारत की बढ़ती नेतृत्वकारी भूमिका का भी संकेत है।

 

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