क्या यह मान लिया जाए कि विपक्ष का गठबंधन “इंडिया” सनातन धर्म को मिटाने के लिए बना है ? क्योंकि इस बात की पुष्टि खुद डीएमके नेता और शिक्षा मंत्री पोनमुडी ने की है। उनका कहना है कि “इंडिया” का गठबंधन सनातन धर्म को खत्म करने के लिए बनाया गया है। इसी तरह का बयान उद्धव ठाकरे ने भी रविवार को दिया था। उनका कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद गोधरा जैसा दंगा हो सकता है।
कुछ दिनों से “इंडिया” गठबंधन में शामिल राजनीति दल लगातार सनातन धर्म को निशाने पर लिए हुए है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या सही में “इंडिया” गठबंधन हिन्दुओं के प्रति नफ़रत के भाव से देख रहा है। एक ओर जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी कहते हैं कि पार्टी मोहब्बत की दूकान खोल रहे है। लेकिन, अभी तक देखा गया है कि विपक्ष सनातन धर्म के खिलाफ जहर ही उगल रहा है।
दरअसल, बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे को घेरा है। उन्होंने कहा है कि घमंडिया गठबंधन का एक मात्र उद्देश्य सनातनत धर्म का विरोध करना है। उन्होंने सवाल पूछा कि सनातन धर्म पर हमले किये जा रहे हैं,लेकिन कांग्रेस के नेता इसकी आलोचना करने के बजाय चुप हैं। क्या इस गठबंधन का यह गुप्त अजेंडा है ? इसका क्या मतलब है ? क्या इंडिया गठबंधन सनातन धर्म का विरोध करने के लिए ही बनाया गया है ? जैसा कि डीएमके नेता कह रहे हैं कि यह गठबन्धन सनातन धर्म को समाप्त करने के लिए ही हुआ है। इसमें कोई मतभेद नहीं है।
गौरतलब है कि सनातन धर्म के खिलाफ विवादित टिप्पणी उदयनिधि ने ही पहले दी। इसके बाद डीएमके के ही नेता और सांसद ए राजा भी इसकी तुलना एचआईवी से की। इसके बाद अन्य नेताओं जैसे लालू प्रसाद यादव की पार्टी के नेता शिवानंद तिवारी ने सनातन धर्म को लेकर विवादित टिप्पणी की। विपक्ष के नेताओं द्वारा इस तरह से सनातन धर्म को टारगेट किये जाने से बड़ा सवाल उठने लगा है कि क्या एक के बाद एक नेताओं द्वारा विवादित टिप्पणी करना क्या कोई प्लान का हिस्सा है ? क्योंकि, राहुल गांधी, सोनिया गांधी भी हिन्दू धर्म को लेकर आक्रामक रहते हैं। राहुल गांधी लगातार हिन्दू और हिंदुत्व को निशाना बनाते रहते हैं। लेकिन इन बयानों पर चुप हैं। इन नेताओं की क्या इसमें सहमति है। यह बड़ा सवाल है।
अभी एक दिन पहले ही राहुल गांधी ने पेरिस में कहा कि बीजेपी जो करती है उसका हिन्दू धर्म से कोई लेना देना नहीं है। सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी डीएमके के नेताओं के बयानों को सही ठहरा रहे है। जो सनातन धर्म को खत्म करने की बात कर रहे है। यहां राहुल गांधी यह कहते है कि “मैंने गीता पढ़ी है,उपनिषद पढ़ी और अन्य हिन्दू पुस्तक पढ़ा हूं। लेकिन, क्या गीता में लिखा है कि वह हिन्दू धर्म की पुस्तक है। क्या जो उन्होंने उपनिषद पढ़ी उन में यह लिखा है कि यह पुस्तक हिन्दू धर्म की है। इन पुस्तकों में धर्म के बारे में बताया गया है कि धर्म क्या है? यह नहीं कहा गया है कि यह हिन्दू धर्म है।
राहुल गांधी पचास साल से ऊपर के गए हैं, लेकिन उन्हें अभी तक समझ की कमी है। सही कहा जाए तो राहुल गांधी ही हिन्दू धर्म पर राजनीति करते हैं, सही कहा जाए तो कांग्रेस ही हिन्दू मुस्लिम की बात करती है। क्या कांग्रेस मनमोहन सिंह का वह बयान भूल गई, जिसमें वे कहते हैं कि भारत के संसाधनों पर पहला हक़ मुस्लिमों का है। जिस संविधान की बात कांग्रेस के नेता करते हैं ,उसमें क्या यह लिखा है कि भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार मुस्लिमों का है ?
वैसे कांग्रेस के मुस्लिम और धर्म तुष्टिकरण के एक नहीं, हजारों उदाहरण है। शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बीजेपी ने अध्यादेश लाई थी, क्या इस पर राहुल गांधी जवाब देंगे।सही कहा जाए तो कांग्रेस और राहुल गांधी के पास हिंदुत्व पर राजनीति करने अलावा और कोई चारा ही नहीं है जिससे वह ज़िंदा हो सके। राहुल गांधी को हिन्दू धरम का शुक्रिया करना चाहिए कि हिन्दू धर्म का नाम लेकर, कर्नाटक में सत्ता में पहुंची। वरना यहां भी वह हार जाती है। कांग्रेस को बजरंग बली का धन्यवाद करना चाहिए कि उनके आशीर्वाद से कर्नाटक में सरकार बनी। नहीं तो राहुल गांधी और कांग्रेस को मुंह छिपाने की जगह नहीं मिलती।
अब उनके साथ आये राजनीति दल सनातन को मिटाने की बात कर रहे हैं। साथ ही यह भी कह रहे हैं कि यह गठबंधन सनातन धर्म को खत्म करने के लिए बना। अगर देखा जाए तो इंडिया गठबंधन की नियत में ही खोट है। यह “इंडिया” गठबंधन के लिए शुभ संकेत नहीं है। क्योंकि, ऐसे बयानों से इंडिया गठबंधन में दरार पद सकती है। अगर सीधी बातों में कहा जाए तो डीएमके, इंडिया गठबंधन के उम्मीदों पर पानी फेर सकती है। अगर सनातन धर्म के खिलाफ विपक्ष आक्रामक होगा तो उसके लिए नतीजे अच्छे नहीं होंगे।
ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि विदेश में राहुल गांधी हिंदुत्व पर हमला बोल रहे हैं, यहां इंडिया गठबंधन के नेता सनातन धर्म को खत्म करने की बात कर रहे हैं। क्या यह सब सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। क्या विपक्ष हिंदुत्व और सनातन धर्म का विरोध कर सत्ता के शिखर पर पहुंचेगा? क्या एक बार फिर हिंदुओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाएगा ? क्योंकि जिस तरह से कांग्रेस के राज में हिन्दुओं के लिये भगवा आतंक की परिभाषा गढ़ी गई क्या एक बार फिर वही सब दोहराया जाएगा ?
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