बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय में 15 सितंबर को लोकतंत्र का महापर्व वैशाली कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के द्वारा किया हां रहा है। इस कार्यक्रम में लोकतांत्रिक परम्पराओं का प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा इस मौके पर लोकतंत्र की संस्कृति और लोकतंत्र के कार्यान्वयन पर दो सेमिनार भी आयोजित किया जाएगा। वहीं, प्रसिद्ध लेखक प्रियदर्शी दत्ता की पुस्तक “इंडिया: द मेनस्प्रिंग ऑफ़ डेमोक्रेटिक ट्रेडिशन्स” का विमोचन किया जाएगा।
15 सितंबर को आयोजित होने वाले वैशाली महोत्सव का नाम दिए जाने बड़ा कारण है। वैशाली उत्सव का नाम दिए जाने की वजह वैशाली का इतिहास है। वैशाली छठवीं शताब्दी का प्राचीन शहर था और यहां लोकतंत्र विकसित हुआ था। इसलिए उत्सव का नाम “वैशाली उत्सव” रखा गया है। बिहार में लोकतंत्र के जन्म का इतिहास रहा है। इस लिए वैशाली महोत्सव का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। वैशाली नगरी से लोकतंत्र का जन्म हुआ है इसलिए उसके महत्व के समझाने और याद दिलाने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
गौरतलब है कि हाल ही में नई दिल्ली में जी 20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान भारत: लोकतंत्र की जननी नामक शीर्षक से प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था। इस प्रदर्शनी का आयोजन केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा भारत मंडपम में किया गया था। जहां पर भारत में लोकतांत्रिक सिद्धांतों की जानकारियों को प्रस्तुत किया गया। अब उसी पृष्ठभूमि में “वैशाली महोत्सव” का आयोजन किया जा रहा है। यहां भी भारत के गौरवशाली लोकतांत्रिक सिद्धांतों की जानकारी दी जाएगी।
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