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Sunday, November 24, 2024
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इंडिया गठबंधन में पीएम उम्मीदवारी के लिए खींचतान!  

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आजकल विपक्ष के इंडिया गठबंधन का चर्चा सनातन धर्म को ख़त्म करने के बजाय पीएम उम्मीदवारी को लेकर भी हो रही है। जी हां! फिलहाल गठबंधन में ऐसे कई नेता है जो पीएम उम्मीदवार के लाइन में है। भले ये नेता ना ना कह रहे हो पर इनके मन में पीएम उम्मीदवारी को लेकर फुलझड़ियां फुट रही है। इन नेताओं के समर्थक खुलेआम उन्हें पीएम उम्मीदवार बनाये जाने की मांग कर रहे हैं। आज हम इसी मुद्दे को लेकर राघव चड्डा, जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और ममता बनर्जी के बयानों पर चर्चा करेंगे। इन तीनों  नेताओं ने पीएम उम्मीदवारी पर अलग अलग विचार रखें है।

दोस्तों आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं कि ये नेता बोले क्या है ? दरअसल, सोमवार को जेडीयू  के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने एक वीडियो शेयर किया जिसमें वे कहते नजर आ रहे हैं कि  आप सभी देश और बिहार को ऐसा नेता दिया है जो राज्य का भी नेतृत्व भी कर रहा है और पूरे देश का नेतृत्व करने के लिए खड़ा है। ललन सिंह यही नहीं रुके, उन्होंने नीतीश कुमार की जमकर तारीफ़ तो की ही। उन्होंने यह भी बताया कि वे भारत सरकार में रेल मंत्री, कृषि मंत्री और परिवहन मंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं। इसके अलावा पांच बार सांसद भी रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री का पद संभालने के बावजूद उनके कपडे पर किसी तरह का कोई दाग नहीं है।

साफ़ है कि इंडिया गठबंधन में पीएम उम्मीदवारी  को लेकर खींचातान जारी है। और इंडिया गठबंधन में शामिल सभी दल अपने नेता को पीएम उम्मीदवार बनाना चाहते है। लेकिन सवाल यह है कि अभी जो खींचातान है क्या वह बाद में जारी नहीं रहेगी। क्योंकि, इंडिया गठबंधन में 28 दल  हैं। नीतीश कुमार को उनकी पार्टी शुरू से ही उन्हें विपक्ष के गठबंधन का पीएम उम्मीदवार बनाये जाने की मांग कर रही है। लेकिन, सवाल यही है कि क्या नीतीश कुमार विपक्ष की ओर से   पीएम उम्मीदवार बनेंगे। वैसे नीतीश कुमार खुद को पीएम उम्मीदवारी से अलग कर लिया है। अब उनके आगे पीएम उम्मीदवारी संभावना बहुत ही कम है। क्योंकि उनके मुकाबले, राहुल गांधी और अरविंद केरीवाल खड़े हैं। इन दोनों नेताओं की हिंदी बेल्ट वाले राज्यों में अच्छी पकड़ है। कहने का मतलब यह है कि नीतीश कुमार, केजरीवाल और राहुल गांधी हिंदी में अच्छी बोल लेते हैं। लेकिन नीतीश कुमार बिहार से आगे नहीं बढ़ पाए हैं। अगर केजरीवाल की बात करें तो  वे  राहुल गांधी के सामने खड़े है। लेकिन राहुल गांधी की लोकप्रियता गांधी सरनेम की वजह से है। इसलिए पीएम उम्मीदवारी की रेस में नीतीश कुमार पीछे छूटते नजर आ रहे हैं। उसके कई कारण है जिसमें सबसे बड़ा एक कारण बिहार से बाहर उनकी या उनकी पार्टी का अन्य राज्यों में कहीं दिखाई नहीं देना है।

इसलिए कहा जा सकता है कि नीतीश कुमार इस रेस से बाहर हैं। और अब राहुल- केजरीवाल की बात करें तो, अभी तक राहुल गांधी का पलड़ा भारी है। क्योंकि कांग्रेस देश के सभी राज्यों में है। भले वह निर्जीव अवस्था में हो ,लेकिन कांग्रेस कभी भी केजरीवाल को पीएम उम्मीदवारी के लिए आगे नहीं करेगी। इसके एक नहीं हजार कारण है। एक बार कांग्रेस केजरीवाल को समर्थन देकर देख चुकी है। इसलिए दूसरी बार अब वह गलती नहीं करेगी। भले वह दूसरे नेता को आगे कर सकती है। लेकिन, केजरीवाल को किसी भी सूरत में समर्थन नहीं देगी। कांग्रेस दूसरे नेता को तभी आगे करुगी जब गांधी परिवार का सदस्य पीएम उम्मीदवारी से इंकार करे।

अब बात राघव चड्डा की, तो उन्होंने मंगलवार को कहा कि 1977 में इंदिरा गांधी के खिलाफ जो गठबंधन बना था। उनके पास कोई चेहरा नहीं था। फिर भी वे जीते थे। मै 2024 में ऐसा ही रिपीट होते देखना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि आप पार्टी पीएम की रेस में नहीं है। बहरहाल, कुछ दिन पहले ही आप पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने केजरीवाल को पीएम उम्मीदवार बनाये की मांग कर चुकी हैं। यह उस नेता का बयान है जिसका मुख्य नेता यानी केजरीवाल पीएम बनने के लिए पापड़ बेल चुके हैं। लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली।

फिलहाल, केजरीवाल दिल्ली ,पंजाब के बाद अन्य राज्यों में अपनी ताकत बड़ा रहे हैं। लेकिन राघव चड्डा जैसे होनहार नेता यह भूल गए कि 1977 के चुनाव में विपक्ष जीता था, लेकिन वह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई थी। क्या ऐसी ही सरकार चाहते हैं राघव चड्डा। उसके बाद 1980 में मध्यावधि चुनाव कराया गया था। राघव चड्डा को चाहिए कि जब वह इतिहास दोहराने की बात करें तो यह भी बताएं कि उसका परिणाम क्या हुआ था। हम उस मुद्दे में नहीं जाते कि उस समय क्या सही था क्या गलत था।

इसी तरह से, अब बात ममता बनर्जी की। वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बहुत पहले से ही पीएम बनाने का सपना देख रही है। वे दो बार रेल मंत्री भी रह चुकी है। ममता बनर्जी, राहुल गांधी, केजरीवाल और नीतीश कुमार से वरिष्ठ है। अब उन्होंने अपनी ख्वाइस को श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से साझा की है।

दरअसल, फिलहाल ममता बनर्जी दुबई के दौरे पर हैं। जहां उनकी मुलाकात श्रीलंका के राष्ट्रपति से हुई तो उन्होंने लगे हाथ पूछ लिया कि क्या वह  विपक्ष के गठबंधन इंडिया का नेतृत्व करेंगी।  जिसका जवाब देते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि अगर जनता का सहयोग मिला तो जरूर करेंगी। देखा जाए तो विपक्ष में पीएम उम्मीदवारी के लिए दो नेताओं में ही जंग हो सकती है। एक राहुल गांधी और दूसरी ममता बनर्जी। लेकिन वाम दल कभी भी ममता बनर्जी का समर्थन नहीं कर सकते है। कांग्रेस को 2008 का समय याद रखना चाहिए। तो कहा जा सकता है कि इंडिया  गठबंधन में पीएम उम्मीदवारी के साथ पीएम के लिए भी मारामारी होनी तय है। अभी जो हाल है वह बाद में भी देखने को मिल सकता है। वैसे विपक्ष के लिए अभी दिल्ली बहुत दूर है।

 

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