डेढ़ साल पहले एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के 40 विधायकों ने बगावत कर दी थी| शिंदे गुट के विद्रोह के कारण राज्य की तत्कालीन महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई और राज्य में शिंदे-फडणवीस सरकार अस्तित्व में आई। अजित पवार सहित राकांपा के कुछ विधायक तीन महीने पहले सत्ता में आये थे जब सत्तारूढ़ दल के पास बहुमत था, जब शिंदे गुट के कारण सरकार के पास बहुमत था तो भाजपा ने अजित पवार को गठबंधन में क्यों लिया? ये सवाल बहुत से लोगों के मन में था| इसका जवाब अब उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने दिया है।
अगर सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी से गठबंधन किया जाए तो ये बात हर कोई समझ सकता है| भाजपा ने सबसे पहले शिंदे गुट के साथ गठबंधन किया| इसके बाद जब बहुमत था तो अजित पवार को गठबंधन में क्यों शामिल किया गया? ये सवाल पूछे जाने पर देवेंद्र फड़णवीस ने जवाब दिया| अगर कोई राजनीतिक दल आपके साथ आना चाहता है तो उसे गठबंधन में न लाना कोई राजनीतिक हकीकत नहीं हो सकती| देवेन्द्र फड़णवीस ने जवाब दिया कि ये सही फैसला नहीं हो सकता|
अजित पवार को गठबंधन में लेने के सवाल पर देवेंद्र फड़णवीस ने कहा, ”राजनीति में हमेशा आपको अपनी ताकत को संगठित करना पड़ता है| साथ ही हमें अपनी ताकत भी बढ़ानी है| आज ‘इंडिया’ गठबंधन देशभर में विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है| हम मोदी को नहीं चाहते, विपक्षी दल केवल एक ही लक्ष्य लेकर एक साथ आ रहे हैं।’ ऐसे में अगर कोई राजनीतिक दल हमारे साथ आना चाहता है तो उसे गठबंधन में न लेना राजनीतिक हकीकत नहीं हो सकती| यह सही निर्णय नहीं हो सकता।”
“अगर अजित पवार हमारे साथ आना चाहते हैं और उनके पास राजनीतिक ताकत है। तो हमने उन्हें सही समझा। ये सच है कि हमारी सरकार इसलिए बनी क्योंकि एकनाथ शिंदे हमारे साथ आए| सरकार भी अच्छे से काम कर रही थी| हमें कोई दिक्कत नहीं थी,लेकिन अगर आपकी ताकत और बढ़ने वाली है, तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता है”, देवेंद्र फड़नवीस ने जवाब दिया।
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