हिन्दू देवी देवताओं के खिलाफ लगातार विवादित टिप्पणी की जाती रही है। पहले कांग्रेस के नेता भगवान राम के वजूद को नकारते रहे थे। अब वही कांग्रेस वोट के लिए उन्हीं के शरण में जा रहे हैं। कांग्रेस नेता राम का नाम लेकर हिन्दू वोटरों को लुभाने में लगे हैं। इधर, बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर लगातार रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी करते रहे हैं। अब उन्हीं के राह पर आरजेडी के नेता और विधायक फ़तेह बहादुर सिंह भी चल निकले हैं। उन्होंने मां दुर्गा के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की है। उन्होंने मां दुर्गा को काल्पनिक बताते हुए कहा कि जब अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाया तब कहां थी। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि हिन्दू देवी देवताओं को ही क्यों निशाना बनाया जाता है।
पिछले कुछ समय से देखा जा रहा है आरजेडी के नेता लगातार हिन्दू देवी देवताओं के खिलाफ विवादित टिप्पणी कर रहे है। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर बार बार रामचरित मानस पर सवाल खड़ा करते रहे हैं। उन्होंने रामचरित मानस को समाज को बांटने वाला बता चुके हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने सात सितंबर को नालंदा में कहा था कि पैगंबर मुहम्मद “मर्यादा पुरुषोत्तम” थे और भगवान ने उन्हें बुराई समाप्त करने के लिए धरती पर भेजा था। सवाल यह कि आखिर ऐसे बयान आरजेडी नेताओं द्वारा ही क्यों दिए जा रहे हैं।
इस संबंध में जानकारों का कहना है कि आरजेडी नेता हिन्दू देवी देवताओं पर विवादित टिप्पणी कर ध्रुवीकरण कर रहे हैं। ये नेता व्यक्तिगत लाभ उठाने की कोशिश कर रहे है। विवादित बयान देने वाले नेताओं पर आरजेडी ने कभी कोई कार्रवाई नहीं की। बल्कि उसका समर्थन ही किया है । आरजेडी के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने चंद्रशेखर के बयान का समर्थन किया था और कहा था कि माथे पर टीका लगाने वालों की वजह से देश गुलाम हुआ था। अब फ़तेह बहादुर सिंह उसी को दोहरा रहे हैं, उन्होंने कहा है कि माता दुर्गा काल्पनिक है उन्होंने सवाल उठाया है कि जब अंग्रेजों ने देश को गुलाम बनाया तो उनके दस हाथ कहां थे ? हालांकि, विधायक के बयान का बीजेपी ने विरोध भी किया है।
मगर, सवाल यहीं आकर रुक जाता है कि आखिर हिन्दू देवी देवताओं का अपमान कब तक हिन्दू समाज सहेगा? जब वह ऐसे बयानों का विरोध करता है तो उसे कट्टर करार दिया जाता है। तब ये हिन्दू विरोधी नेता मर्यादा की बात करते हैं, तब उपदेश देना शुरू कर देते हैं। ऐसे बयानों पर पार्टी को लगाम लगानी चाहिए। ऐसे बयान से समाज में विभाजन की स्थिति बन जाती है। हिन्दू समाज के लोग इसका विरोध करते हैं, और कभी कभी तो उग्र भी हो जाते हैं। सवाल यह है कि क्या ये नेता अन्य धर्म के देवी देवताओं के बारे में भी ऐसी ही टिप्पणी करेंगे। तो कहा जा सकता है कि नहीं, ऐसा वे कभी भी नहीं कर पाएंगे। अगर कोई सवाल उठाएगा भी तो उन्हें जान से मारने की धमकी मिलनी शुरू हो जाएगी। कुछ समय पहले जब एक बीजेपी नेता ने पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी। तब क्या हुआ था, यह सभी जानते है। हम बीजेपी नेता के उस बयान का समर्थन नहीं करते हैं। उस विवादित बयान के कारण देशभर में कई हत्याएं हुई थीं। जिसमें राजस्थान का मामला अब भी उठता रहा है। उस समय बीजेपी नेता को भूमिगत होना पड़ा।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आरजेडी के नेताओं ने भी बीजेपी नेता के विवादित बयान की निंदा की थी। लेकिन वे खुद हिन्दू देवी देवता के खिलाफ विवादित बयान क्यों दे रहे हैं यह सवाल बार बार उठता है। क्या दोगलापन नहीं है, मुंह में राम बगल में छुरी वाली बात नहीं हुई ? बीजेपी की पूर्व नेता नूपुर शर्मा के विवादित बयान के बाद जब राजस्थान में कन्हैया लाल की हत्या हुई थी तब तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर हमला बोला था और कहा था कि ऐसी घटनाओं में बीजेपी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप शामिल रहती है। अब तेजस्वी यादव अपने नेता चंद्रशेखर या फ़तेह बहादुर सिंह के बयान पर चुप्पी साध लेते हैं। इन नेताओं पर कार्रवाई करने के बजाय मौन साध लेते हैं।
कुछ माह पहले जब डीएमके के नेता उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने और उसकी तुलना डेंगू मलेरिया से की थी। तब आरजेडी के नेता शिवानंद तिवारी ने सवाल खड़ा किया था। और पूछा था कि सनातन धरम में दलितों और महिलाओं का क्या स्थान है। सवाल बुरा नहीं है, मगर शिवानंद तिवारी के सवाल से सवाल ही पैदा होता है। सवाल यह है कि क्या वे यही सवाल अन्य धर्मो पर भी उठाएंगे ? शिवानंद तिवारी में ऐसी हिम्मत दिखाई नहीं देती है। अगर ऐसा करेंगे तो उन्हें जान से मारने की धमकी मिलनी शुरू हो जायेगी। शिवानंद, चंद्रशेखर या फ़तेह बहादुर सिंह जैसे नेता केवल हिन्दू धर्म के बहाने बीजेपी को निशाना बनाते हैं। आज भारत में केवल बीजेपी ही ऐसी राजनीति पार्टी है जो हिन्दू समाज के साथ खड़ा रहती है। भले बीजेपी इसका राजनीति लाभ लेती हो, मगर हिन्दू समाज के साथ कंधा से कंधा मिला कर खड़ा रहती है।
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