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Saturday, November 23, 2024
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मराठा आरक्षण पर राहुल गांधी की चुप्पी पर नितेश राणे का सवाल!    

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महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की आग तेज हो गई है। वहीं, उद्धव गुट के संजय राउत ने इस मामले में पीएम नरेंद्र मोदी के न बोलने पर सवाल उठाया है। तो बीजेपी नेता नीतेश राणे ने भी राहुल गांधी पर मराठा आरक्षण पर चुप्पी साधने पर निशाना साधा है। सवाल यह है कि आखिर किसको बोलना चाहिये, किसको नहीं बोलना चाहिए। केंद्र सरकार इस मुद्दे पर नहीं बोल रही है,क्यों नहीं बोल रही है? यह अलग मुद्दा हो सकता है।

क्योंकि, कोई भी सरकार संविधान से बाहर जाकर कुछ भी नहीं कर सकती है, चाहे वह मोदी सरकार ही क्यों न हो ? अगर हम कुछ समय के लिए मान भी लें कि केंद्र सरकार इस मामले पर कुछ नहीं कर रही है ? तो सवाल यह कि इस मुद्दे पर विपक्ष कितना सक्रिय है। जिस “इंडिया गठबंधन” को लेकर संजय राउत बड़े बड़े दावे करते रहते हैं, आखिर वह “इंडिया गठबंधन” कहां है? उसकी इस मुद्दे पर क्या भूमिका है ? यह सभी को जानने की जरुरत है।

दोस्तों, संजय राउत एक बार नहीं, बल्कि हजारों बार कह चुके हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया जीत दर्ज करेगा। सवाल यह है कि अगर इतना ही संजय राउत को विश्वास है तो उन्हें डंके की चोट पर कहना चाहिए कि मराठा आरक्षण अगर बीजेपी की सरकार नहीं दे पा रही है तो 2024 में केंद्र में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर हम कानून बनाकर मराठा आरक्षण देंगे। संजय राउत मराठा आरक्षण पर केवल बयानबाजी के आलावा कुछ नहीं कर रहे हैं। संजय राउत केवल झूठ बोलते हैं और मराठा आरक्षण की आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। सवाल यह है कि जिसके पास किसी को देने के लिए कुछ है ही नहीं, तो वह दूसरे को क्या देगा? वह दूसरे को ही देने के लिए ही कहेगा ? यही हाल संजय राउत का है।

इस मुद्दे पर संजय राउत को मोदी सरकार का पिछलग्गू बनने से अच्छा है कि वह इंडिया गठबंधन को आगे कर राजनीति करते तो उन्हें इसका लाभ मिल सकता है। देश में इंडिया गठबंधन को लेकर सकारात्मक माहौल बनता। एक तरह से कहा जाए तो इंडिया गठबंधन के लिए मराठा आरक्षण आपदा में अवसर था और है। क्या गठबंधन इस मौके को भुना पाए रहा है, यह बड़ा सवाल है। हां, इस मुद्दे पर विपक्ष राजनीति जरूर कर रहा है। यह बात विपक्ष भी अच्छी तरह से जानता है कि वह मराठा आरक्षण देना मुश्किल है। क्योंकि कानून के दांव पेंच इतने उलझे हुए हैं कि हर पक्ष को इससे दो चार होना पड़ेगा। अब सवाल यह है कि मराठा आरक्षण पर कांग्रेस कहां खड़ी है? मराठा आरक्षण पर राहुल गांधी को लेकर जिस तरह से नीतेश राणे निशाना साधा है। उससे कांग्रेस के नेता के साथ संजय राउत भी मुंह छुपाते फिर रहे हैं। बता दें कि मराठा आरक्षण को लेकर कांग्रेस नेता भी केंद्र पर सवाल उठा चुके हैं।

हालांकि, यह पहला मौक़ा नहीं है जब कांग्रेस किसी बड़े मुद्दे से मुंह मोड़ती रही है। हम इतिहास में जाने के बजाय हाल ही में हुई कुछ घटनाओं पर बात करेंगे। नीतेश राणे ने सही पूछा कि राहुल गांधी क्यों नहीं मराठा आरक्षण पर अपनी बात रखते है। जो व्यक्ति दाढ़ी बढ़ाकर बड़े बड़े ज्ञान बांटता है। वह क्यों नहीं मराठा आरक्षण पर अपना ज्ञान बघार रहा है। महाराष्ट्र के कांग्रेसी नेता क्यों नहीं राहुल गांधी को इस मुद्दे पर बोलने को कहते हैं। राहुल गांधी इस मुद्दे पर अपनी बात रखकर मराठा समाज का हीरो बन सकते हैं। इतना ही नहीं, कानूनी दांवपेंच के अड़चनों पर अगर अपना महाज्ञान देते तो हो सकता है कि मराठा समाज को कुछ लाभ हो जाए।

पिछले दिनों जब केरल में फिलिस्तीन के समर्थन में रैली निकाली गई तो उसमें एक हमास का नेता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये शामिल हुआ था। जिस पर बीजेपी ने सवाल उठाया था और केरल सरकार से इस मामले की जांच करने की मांग की थी। यह वहीं कांग्रेस है जो इजरायल हमास युद्ध पर मानवता की दुहाई देकर भारत सरकार की कूटनीति पर सवाल खड़ा करती है। यह वहीं, कांग्रेस है जो पहले इजरायल का समर्थन करती है बाद में केरल नेताओं के दबाव में आकर अपना दूसरा बयान बदल कर जारी करती है, जिसमें फिलिस्तीन का समर्थन किया गया है। लेकिन हमास के हमले की निंदा नहीं की गई। कांग्रेस को बताना चाहिए कि 7 अक्टूबर को हमास ने जो हमला इजरायल पर किया क्या वह सही था ?

सवाल यह है कि राहुल गांधी इस मुद्दे पर क्यों नहीं बोले ? क्या कांग्रेस का यह स्टैंड सही है   क्या यह कांग्रेस साफ करेगी कि केरल में हमास नेता का शामिल होना गलत था। अगर कांग्रेस  इस पर भी नहीं बोल पा रही थी तो  वह देश के कौन से मुद्दे पर पर बोलेगी, क्या बटला हाउसकांड पर वोट के लिए केवल घड़ियाली आंसू बहना जानती है। कम से कम हमास के नेता के बयान पर तो अपना पक्ष रख सकती थी। लेकिन, कांग्रेस ने ऐसा भी नहीं किया। हमास नेता ने इस दौरान हिन्दू और बुलडोजर पर बयान दिया था। क्या राहुल गांधी इस पर अपनी आपत्ति दर्ज किये, नहीं।  इस बयान के बाद राहुल गांधी का हिंदुत्व कहां चला गया था। इस मौके पर खालिद मशाल ने हिंदुत्व को उखाड़ फेंकने और उसके खिलाफ नारेबाजी की थी। सवाल यह है कि क्या यह सही था। कांग्रेस के चाल और चरित्र के बारे में सभी जानते हैं।

इसके दो दिन बाद यहूदियों के एक कार्यक्रम में बम धमाका होता है। इस पर भी कांग्रेस ने कुछ नहीं बोला। जबकि इस घटना में मुस्लिम समुदाय का ही एक युवक सामने आया। जो बाद में आत्मसमर्पण कर दिया। लेकिन, राहुल गांधी इस घटना की निंदा नहीं किये, अपने वोट के लिए चुप्पी साध लेते हैं। समझा जा सकता है कि कांग्रेस या राहुल गांधी की पहली प्राथमिकता देशहित नहीं है, बल्कि वोट है। जिस व्यक्ति या पार्टी में देश प्रेम ही नहीं हो, वह देश के प्रति क्या करेगा यह सोचने वाली बात है। ऐसे में राहुल गांधी से मराठा आरक्षण पर बोलने या सलाह देने की बात सोचना बेवकूफी भरा विचार है।

 

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