केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज (20 दिसंबर) लोकसभा में भारतीय न्यायिक संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का प्रस्ताव रखा। ये तीन विधेयक ब्रिटिशकालीन भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1882) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) की जगह लेंगे। इस दौरान अमित शाह ने कहा कि तत्कालीन विदेशी शासकों ने अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए प्रासंगिक कानून बनाए थे| इस कानून में बदलाव की बात करते हुए गृह मंत्री ने इटली का भी जिक्र किया|
गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में तीनों संबंधित विधेयक पेश करते हुए कहा, ”मोदी के नेतृत्व में पहली बार संविधान की भावना के अनुरूप कोई कानून बनाया जा रहा है| मुझे गर्व है कि 150 साल बाद मुझे इन तीनों कानूनों को बदलने का सुनहरा अवसर मिला। जो कह रहे थे कि हम इसे समझ नहीं सकते| मैंने कहा कि अगर आप अपना दिमाग खुला रखेंगे और भारतीय होंगे तो आप नोटिस करेंगे। यदि आपका दिमाग इतालवी है, तो आप इसे कभी नहीं समझ पाएंगे।
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में आगे बताया कि नए कानून में कई बदलाव किए गए हैं| अब नए कानून के तहत सामूहिक बलात्कार के लिए 20 साल की कैद, नाबालिग लड़की से बलात्कार के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान है। मॉब लिंचिंग जैसे मामलों में दोषियों को उम्रकैद से लेकर मौत तक की सजा दी जाएगी| हिट एंड रन मामले में 10 साल की सजा का प्रावधान होगा| हालांकि, अगर घायल व्यक्ति को अस्पताल ले जाया जाए और 30 दिनों के भीतर अपराध कबूल कर लिया जाए तो राहत मिलेगी।
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